अफ़ग़ानिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री गुलबुद्दीन हिकमतयार ने भारत को दी चेतावनी

नई दिल्ली. अफ़ग़ानिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री गुलबुद्दीन हिकमतयार (Gulbuddin Hekmatyar) ने भारत को चेतावनी दी है. एक समय ‘काबुल का कसाई’ कहे जाने वाले गुलबुद्दीन ने कहा है कि भारत ऐसे लोगों को शरण न दें जिनके रिश्ते अफगानिस्तान (Afghanistan) की पुरानी सरकार से है. सीएनन-न्यूज़18 से खास बातचीत करते हुए उन्होंने ये भी कहा कि तालिबान ऐसी हरकतों का बदला लेगा. बता दें कि 15 अगस्त को काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद पिछली सरकार के कई मंत्री भारत आए हैं.

गुलबुद्दीन हिकमतयार को ई-मेल के ज़रिए सलाव भेजे गए थे. भारत को चेतावनी देते हुए उसने सवाल के जवाब में लिखा, ‘भारत को इस तरह की शरण देने से बचना चाहिए. भारत ऐसे लोगों को राजनीतिक शरण देकर उन्हें अफगानिस्तान सरकार के खिलाफ गतिविधियों को चलाने के लिए एक प्लैटफॉर्म दे रहा है जो ठीक नहीं है. ऐसे हालात में तालिबान भारत के खिलाफ एक्शन लेने के लिए मजबूर होगा’.

कश्मीर मुद्दे पर क्या कहा?

72 साल के हिकमतयार ने कश्मीर मुद्दे पर भी सवाल के जवाब दिए. उसने कहा कि अफगानिस्तान और उसके नए शासकों को कश्मीर मुद्दे में हस्तक्षेप करने में कोई दिलचस्पी नहीं है. उन्होंने ये भी सुझाव दिया कि भारत के मुकाबले पाकिस्तान के खिलाफ अफगान धरती का इस्तेमाल करना आसान होगा. उसने कहा, ‘मैं इस बात पर भी जोर देना चाहूंगा कि अफगानिस्तान की ज़मीन का इस्तेमाल अपने पड़ोसियों के खिलाफ अधिक प्रभावी ढंग से किया जा सकता है. भारत को ऐसी आशंका नहीं होनी चाहिए.’

वो भारत की भूल थी
तालिबान शासन के बारे में भारत की चिंताओं के बारे में पूछे जाने पर हिकमतया ने कहा, ‘भारत को अफगानिस्तान के बारे में अपनी विफल नीतियों पर पुनर्विचार करना चाहिए . भारत ने सोवियत संघ और अमेरिका से जो रिश्ते कामय कर ऐतिहासिक भूल की है उसे सुधारना चाहिए.;

कौन है गुलबुद्दीन हिकमतयार?
गुलबुद्दीन हिकमतयार का हमेशा विवादों से नाता रहा है. वो जून 1993 और 1996 में दो बार अफगानिस्तान के प्रधानमंत्री रहे. 80 के दशक में अफ़ग़ानिस्तान पर सोवियत संघ के क़ब्ज़े के बाद हिकमतयार ने मुजाहिद्दीनों को लीड किया था. 90 के दशक दौरान उसने काबुल पर कब्ज़े के लिए हिज़्ब-ए-इस्लामी के लड़ाकों के खिलाफ हिंसक लड़ाइयां लड़ी. जब तालिबान सत्ता में आई तो उन्हें काबुल से भागना पड़ा था. वो पाकिस्तान बाग गए थे. 2017 में हिकमतयार की 20 साल बाद काबुल में वापसी हुई थी. उस दौरान वो भारी सुरक्षा के बीच जलालाबाद से काबुल पहुंचे थे. साल 2003 में अमेरिका ने उसे आतंकवादी घोषित किया था.