मऊ। जिले अल्पसंख्यक कल्याण विभाग में अधिकारियों व कर्मचारी की मिलीभगत से फर्जी मदरसे को अनुदान पर देने के मामले में दर्ज एफआइआर के बाद लखनऊ के हजरतगंज थाने की पुलिस जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी के कार्यालय पहुंची और रिकार्ड खंगाला। इसके पूर्व मुहम्मदाबाद गोहना तहसील के मीरपुर रहीमाबाद गांव में मदरसा इस्लमियां शफीनतुल हेदाया भी गई और कर्मचारियों का बयान लिया। इसे लेकर गहमा-गहमी की स्थिति रही।

दरअसल, मुहम्मदाबाद गोहना तहसील के मीरपुर रहीमाबाद गांव में मदरसा इस्लमियां शफीनतुल हेदाया को फर्जी अभिलेखों के आधार पर मान्यता दी गई थी। मान्यता में लगाए गए भू-अभिलेख खतरा खतौनी आदि भी फर्जी है। इस मदरसे को 2013 में अनुदान पर लिया गया था। उस समय भी इस मदरसे के पत्रावली की जांच की गई थी। जांच के समय तत्कालीन रजिस्ट्रार मो. तारिक ने मदरसे को अनुदान पर लेने से इंकार कर दिया था। इसकी फाइल को निरस्त कर दी गई थी। इसकी शिकायत आजमगढ़ जनपद के रसूलपुर निवासी अमजद हुसैन एवं आजमगढ़ के ही रमेश द्विवेदी एडवोकेट ने जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी मऊ से की थी। इनकी शिकायत पर जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने जब जांच की तो सारा मामला सामने आ गया था।

इस पर उन्होंने मदरसे को फर्जी होने की अपनी रिपोर्ट मदरसा बोर्ड व शासन को प्रेषित कर दी थी। इसी रिपोर्ट के आधार पर बीते दिनों मदरसा की मान्यता निरस्त करते हुए इसके प्रबंधक के खिलाफ लखनऊ के हजरतगंज थाने में एफआइआर दर्ज कराई गई थी। एफआइआर दर्ज किए जाने के बाद से ही जनपद के मदरसा संचालकों में हड़कंप मच गया था। वहीं हजरतगंज थाने के विवेचना अधिकारी सहित टीम पहले रहीमाबाद गांव स्थित मदरसा पर पहुंची। यहां जांच पड़ताल व कर्मचारियों से बयान लिया। सारी कागजी प्रक्रिया पूरी करने के बाद शाम को कलेक्ट्रेट स्थित जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी कार्यालय पहुंची। यहां अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी साहित्य निकष सिंह से पूरे मामले की जानकारी ली और कागजातों का मिलान किया। इसके बाद वापस लखनऊ रवाना हो गई।