आज़मगढ़ : क्रमिक वृद्धि को देखते हुए कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या भविष्य में भी बढ़ सकती है- जिला मजिस्ट्रेट
जिला मजिस्ट्रेट नागेन्द्र प्रसाद सिंह ने बताया है कि वर्तमान समय में नोबल कोरोना वायरस के संक्रमण एवं महामारी से बचाव हेतु जन-सामान्य के स्वास्थ्य एवं सुरक्षा के दृष्टिगत कतिपय गतिविधियों को निषेधित किया जाना अपरिहार्य हो गया है। कोविड-19 (कोरोना वायरस) के मरीजों में क्रमिक वृद्धि को दृष्टिगत रखते हुए ऐसी सम्भावना है कि ऐसे मरीजों की संख्या भविष्य में भी बढ़ सकती है।
अतएव महामारी अधिनियम 1897 (अधिनियम संख्याः 3 सन 1897) की धारा-2 व डिजास्टर मैनेजमेन्ट ऐक्ट 2005 की धारा-65 में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए नोवल कोरोना वायरस के संक्रमण एवं महामारी से बचाव की दृष्टि से जिला मजिस्ट्रेट ने आदेश पारित किया है, जिसमें कोई भी निजी चिकित्सालय अपने किसी भी चिकित्सक/ पैरामेडिकल स्टाफ, जो 01 मार्च 2020 को तैनात रहे हैं, उनको जिला मजिस्ट्रेट की अनुमति के बिना कोई अवकाश नहीं दिया जायेगा। समस्त निजी चिकित्सालय/ क्लिनिक्स अपने समस्त संसाधनों की सूची मुख्य चिकित्सा अधिकारी को उपलब्ध करायेंगे तथा आवश्यकतानुसार कोविड-19 (कोरोना) के मरीजों को भर्ती किये जाने व उनके उपचार आदि के संदर्भ में सम्पूर्ण संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करायेंगे। जिला चिकित्सालय एवं अन्य सरकारी अस्पतालों के साथ-साथ निजी चिकित्सालयों के ओ0पी0डी0 चालू रखे जायेंगे तथा सरकारी चिकित्सालयों की भांति प्राइवेट क्लिनिक्स/ अस्पतालों में सामान्य ओ0पी0डी0 के अतिरिक्त सर्दी, कोल्ड, फ्लू, बुखार व कोविड-19 (कोरोना) के संदिग्ध मरीजों को अलग से डेडीकेटेड ओ0पी0डी0 बनाकर देखे जायेंगे तथा आपातकालीन स्थिति में ओ0पी0डी0 का समय बढ़ाकर दो पालियों में किया जा सकता। साथ ही किसी मरीज में कोरोना का कोई प्रमुख लक्षण प्रतीत होता है तो मुख्य चिकित्साधिकारी को अवगत कराते हुए उनका सैम्पल लेकर अधिकृत लैब को भेजा जा सके।
उन्होने बताया कि निजी चिकित्सालयों में ओ0पी0डी0 चालू किये जाने के संबंध पूर्व में निर्गत आदेश एतद्द्वारा संशोधित किया जाता है। यह आदेश जनपद आजमगढ़ के सम्पूर्ण क्षेत्र में दिनांक 25 मार्च 2020 से प्रभावी रहेगा। आदेश में वर्णित प्रतिबन्धों की अवहेलना किये जाने पर महामारी अधिनियम 1897 (अधिनियम संख्याः 3 सन 1897) की धारा-2 एवं डिजास्टर मैनेजमेन्ट ऐक्ट 2005 की धारा-57 के अन्तर्गत दण्डनीय अपराध होगा। चूंकि स्थिति की गम्भीरता एवं तात्कालिक आवश्यकता को देखते हुए उक्त प्रतिबन्धों को तत्काल प्रभावी किया जाना आवश्यक है और समयाभाव के कारण किसी अन्य पक्ष को सुनवाई का अवसर प्रदान कर पाना सम्भव नहीं है, अतएव यह आदेश एकपक्षीय रूप से पारित किया जा रहा है।