लखनऊ : मां के शव के साथ 7 दिनों तक सिसकती रही बेटी, कालोनी में फैली दुर्गन्ध तो खुला राज

लखनऊ। राजधानी के इंदिरानगर थाना क्षेत्र स्थित मयूर रेजीडेंसी में एक घटना ऐसी हुई जिसने पूरी कालोनी को हैरत में डाल दिया। यहां रहने वाली रिटायर इंजीनियर सुनीता दीक्षित की आठ दिन पहले मौत हो गई और उनकी 26 साल की बेटी अंकिता शव के साथ ही घर में आठ दिन रही। उसने न रिश्तेदारों को बताया और न ही मोहल्ले में सूचना दी। तेज दुर्गन्ध फैली तो पड़ोसियों ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस पहुंची तो बेटी दरवाजा खोलने को तैयार नहीं हुई। वह कोई जवाब भी नहीं दे रही थी। आखिरकार एक बढ़ई की मदद से पुलिस ने दरवाजा खुलवाया और शव को पोस्टमार्टम के लिये भिजवाया।

 

मयूर रेजीडेंसी के मकान नम्बर 26 में रहने वाली सुनीता एचएएल में इंजीनियर थी। उनका अपने पति रजनीश दीक्षित से तलाक हो चुका था। यहां वह अपनी बेटी अंकिता के साथ रहती थी। यह परिवार किसी से बोलता नहीं था। जब पुलिस को सूचना मिली तो एसीपी गाजीपुर सुनील कुमार और इंस्पेक्टर इंदिरानगर वहां पहुंचे थे। एडीसीपी प्राची सिंह ने बताया कि पुलिस पहुंची तो घर से तेज बदबू आ रही थी। अंदर से एक युवती की आवाज आ रही थी। पुलिस ने दरवाजा खटखटाया लेकिन उसने दरवाजा नहीं खोला और न ही जवाब दिया। एक बढ़ई को बुलाकर दरवाजा खुलवाया गया। पड़ोसियों ने बताया कि पुलिस ने जब दरवाजा खुलवा लिया तो अंकिता सिर्फ इतना बोली कि कांच का गिलास टूट गया है। टुकड़े पड़े हैं। संभल कर आईये। इसके बाद वह कुछ नहीं बोली।

 

पुलिस ने मां की मौत के बारे में उससे कई सवाल किये लेकिन उसने कुछ नहीं बोला। एडीसीपी प्राची सिंह ने बताया कि अंकिता मानसिक रूप से अस्वस्थ लग रही थी। उसके मामा एसके पाण्डेय उसे अपने साथ लेकर चले गये हैं। एडीसीपी प्राची सिंह ने बताया कि हत्या नहीं लग रही है। पर, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सुनीता के सिर पर चोट के निशान का जिक्र किया गया है। इस आधार पर यह भी सम्भावना व्यक्त की जा रही है कि सुनीता ने सुसाइड करने का प्रयास किया होगा जिससे उसके सिर पर चोट आयी है। मौत का कारण पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है। विसरा सुरक्षित कर लिया गया है। सुनीता के भाई एसके पाण्डेय ने बताया कि वह सोमवार को बहन के घर गये थे। पर, दरवाजा खटखटाने पर कोई जवाब नहीं मिला था। इस पर वह लौट आये थे। एक-दो दिन बाद अंकिता के सामान्य होने पर पूछताछ की जायेगी।