आजमगढ़ : महिलाओं को सशक्त करना है मानवता में नया रंग भरना है, बाल कल्याण समिति के माध्यम से बालिकाएँ हुई पुनर्वासित
आजमगढ़, 21 मई 2022
बच्चों के किसी प्रकार के शोषण के खिलाफ बाल कल्याण समिति या अन्य सक्षम पदाधिकारी समय-समय पर सरकार के दिशा-निर्देशों का पालन करते रहते हैं। उन्होंने बताया कि कोई भी व्यक्ति या परिवार 18 वर्ष तक के बच्चों की समस्याओं के लिए समिति से मदद ले सकता है। यह कहना है प्रभारी जिला प्रोबेशन अधिकारी शशांक सिंह का।
डीपीओ ने बताया कि बाल कल्याण समिति उपेक्षित, देखरेख एवं संरक्षण निराश्रित, बाल विवाह तथा यौन उत्पीड़न शिकार लोगों का मार्गदर्शन करती है। इससे उन्हें मुख्य धारा से जोड़ने में मदद मिलती है। वर्ष 2020 में बाल कल्याण समिति के पास कुल 126 केस आए थे। इसमें सभी केस निस्तारित हो गये, सिर्फ दो मामले विचाराधीन हैं। इसी प्रकार 27 जुलाई 2021 से अब तक 205 मामले आए हैं। जिसमें 199 केस निस्तारित करते हुये बच्चों को उनके परिवार के सुपुर्द कर दिया गया है, जबकि पाँच बालिका एवं एक बालक को बालगृह में आवासित कराया गया है। तथा उन्हें भी उनके परिवार से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है।
उन्होने बताया कि समिति में सदस्यों की तैनाती शासन की ओर से की जाती है। इस समिति का काम उपेक्षित निराश्रित बच्चों के मामलों का निस्तारण करना और उन्हें बाल संरक्षण गृहों में भेजना होता है। 18 वर्ष से कम उम्र का कोई भी बच्चा चाहे लड़का हो या लड़की जो निराश्रित हालत में कहीं मिलता है तो उसे बाल कल्याण समिति में पेश करना होता है, तथा समुचित कार्यवायी करते हुये उचित न्याय दिलाया जाता है। जरूरत पड़ने पर किसी भी कार्य दिवस में समिति बैठक कर सकती है।
बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष रजनीश श्रीवास्तव ने बताया कि प्रत्येक जिले में एक बाल कल्याण समिति होती है। जिसका गठन अधिनियम की धारा 27 की उपधारा एक के अनुसार, राजपत्र में अधिसूचना के माध्यम से राज्य सरकार द्वारा किया जाता है। समिति को सुचारू रूप से चलाने के लिए राज्य सरकार आवश्यक संरचना, मानव एवं वित्तीय संसाधन उपलब्ध करती है। समिति में एक अध्यक्ष और चार अन्य सदस्य होते हैं, जिनमें से कम से कम एक महिला सदस्य भी होती है।
उन्होने बताया कि विगत 18 मई को थाना रौनापार के अंतर्गत एक यौन शोषण का मामला 14 वर्षीय संजू (काल्पनिक नाम) का आया था। जिसमें गाँव का ही लड़का अपने साथ भगा ले गया था। घर वालों की प्राथमिकी पर थाना रौनापार पुलिस ने त्वरित कार्यवाई करते हुये लड़की को बरामद कर लिया था। जिसमें आईपीसी की धारा 376,506 तथा ¾ पाक्सो एक्ट 2012 लगाया गया था। जिसे बाल कल्याण समिति के सामने उपस्थित कराते हुये, बालिका और माता-पिता की अलग-अलग काउन्सलिंग कर बालिका को घर वालों को सुपुर्द कर दिया गया। जिसमें पुलिस के साथ बाल कल्याण समिति की भी अहम भूमिका थी।
इसी प्रकार एक और मामला 11 अप्रैल को थाना अतरौलिया के अंतर्गत 17 वर्षीय माधुरी (काल्पनिक नाम) का आया था। इस केस में भी गाँव का ही लड़का उसे बहला फुसलाकर/डरा धमकाकर यौन शोषण करता था। जब घर वालों को भनक लगी तब घर वालों ने प्राथमिकी दर्ज करवाई। उक्त प्राथमिकी के आलोक में थाना अतरौलिया पुलिस ने त्वरित कार्यवाई करते हुये लड़की को बरामद कर लिया था। जिसमें आईपीसी की धारा 376 तथा ¾ पाक्सो एक्ट 2012 लगाया गया था। जिसे बाल कल्याण समिति के सामने उपस्थित कराते हुये, बालिका और परिवार की अलग-अलग काउन्सलिंग कर बालिका को घर वालों को सुपुर्द कर दिया गया था। इसमें भी पुलिस के साथ बाल कल्याण समिति की अहम भूमिका थी।