• पोषणयुक्त आहार का करें सेवन
• जंक फ़ूड और फ़ास्ट फ़ूड से करें परहेज
• रोजाना व्यायाम कर पायें इस बीमारी से छुटकारा
आजमगढ़, 1 सितम्बर 2022
फेफड़ों की बीमारी (पल्मोनरी एम्बोलिज्म) एक फेफड़े का रोग है जिसमें फेफड़ों तक खून ले जाने वाली नली में खून का थक्का जम जाता है। इससे फेफड़ों में रक्तसंचार बाधित होता है। आमतौर पर ये खून के थक्के पैरों की नसों से गुजरते हुए ऊपर आकर फेफड़ों की रक्त वाहिकाओं में अटक जाते हैं। इसलिए इस तरह के लक्षणों की अनदेखी न करें और समय पर करायें उपचार। यह कहना है मंडलीय जिला चिकित्सालय के वरिष्ठ परामर्शदाता एवं फिजीशियन डॉ एलजे यादव का।
डॉ यादव ने बताया कि हमारी ओपीडी मंडलीय जिला चिकित्सालय के कमरा नम्बर 24 में होती है। चिकित्सालय में पांच विशेषज्ञों की ओपीडी होती है। हमारी ओपीडी में इस समय लगभग 60 से 70 मरीज प्रतिदिन आ रहे हैं। जिसमें 5 से 10 मरीज साँस फूलने, सीने में दर्द तथा फेफड़ों में पानी की समस्या से संबन्धित बीमारी के होते हैं। इस क्रम में जून माह में 1416, ,जुलाई में 1676 तथा अगस्त में 1792 मरीजों की ओपीडी हुई है।
उन्होंने बताया कि फेफड़ों की बीमारी (पल्मोनरी एम्बोलिज्म) फेफड़े में एक रक्त का थक्का होता है जो तब होता है जब शरीर के किसी अन्य हिस्से में एक थक्का, जैसे हाथ या पैर, रक्तप्रवाह से होकर फेफड़ों की रक्त वाहिकाओं में जमा हो जाता है। यह खून का थक्का, पल्मोनरी एम्बोलिज्म फेफड़ों में रक्त के प्रवाह में बाधा उत्पन्न करता है, फेफड़ों में ऑक्सीजन के स्तर को कम कर देता है, और हृदय से फेफड़ों तक रक्त ले जाने वाली धमनियां में रक्तचाप में वृद्धि का कारण बनता है। जिससे मरीजों में साँस फूलना, सीने में दर्द तथा फेफड़ों में ब्लड़युक्त पानी जमा होने लगता है। यह समस्या किसी भी आपरेशन के बाद तथा प्रसव के बाद महिलाओं में होने की संभावना ज्यादा होती है। इस स्थिति में तत्काल डॉ को दिखाकर उपचार करें।
फेफड़ों की बीमारी होने पर खाने में फल और सब्जियों को शामिल करना चाहिए। साथ ही खाने में जैसे कि ब्राउन राइस, बाजरा, पॉपकॉर्न तथा सभी रेशे वाले अनाज को शामिल करना चाहिए। इसमें आप लो फैट प्रोटीन में बींस, सोया और अंकुरित अनाज ले सकते हैं।
जंक फ़ूड और फ़ास्ट फ़ूड से 100 फीसदी परहेज करना चाहिए। अगर आप खानपान अच्छा रखेंगे तो इस तरह की बीमारी से बचे रहेंगे।
इस बीमारी से बचने के लिए खानपान के साथ ही हाइड्रेशन का भी ख्याल रखें। आप दिन में पानी का सेवन अधिक करें। एक दिन में सात से आठ ग्लास पानी जरूर पिएं। अगर आप लंबे समय तक एक ही स्थान में बैठे रहते हैं, तो आपको ये आदत छोड़ देनी चाहिए, वरना आपको ब्लड क्लॉट्स की प्रॉब्लम हो सकती है। अगर आपको लंबी ड्राइविंग करनी है, तो बीच में ब्रेक लें और कुछ देर जरूर टहलें। अगर आपको सांस लेने में दिक्कत हो रही हो तो डॉ से तुरंत संपर्क करें।
ब्लाक रानी की सरांय के अंतर्गत अल्लीपुर गाँव निवासी 62 वर्षीय रामचरन ने बताया कि मुझे पिछले एक वर्ष से बुखार आने के साथ सांस फूलने एवं बलगम कि समस्या थी। मैंने जून में डाक्टर को दिखाया था, उन्होंने जाँच करायी और दवा भी अस्पताल से दिलाया था, 15-15 दिन पर मुझे फालोअप के लिए बुलाया गया, डाक्टर ने सुर्ती और बीड़ी का परहेज बताया है , मुझे अब पहले से आराम है।
खालिसपुर नई बस्ती गाँव निवासी 30 वर्षीय गोविन्द ने बताया कि मुझे बुखार, उल्टी, सांस फूलने के साथ फेफड़े में पानी की समस्या थी। मैंने यहाँ डाक्टर को दिखाया, जाँच करायी और दवा दी, उन्होंने फेफड़े की टीबी बताया है, 20 दिन पर मुझे बुलाया गया था, डाक्टर द्वारा बताये गये परहेज के साथ दवायें लीं। पहले से ठीक हूँ।