हमारी आन है हिन्दी
हमारी बान है हिन्दी
हमारी शान है हिन्दी
हमारी जान है हिन्दी
सच कहूँ यारों पूरा
हिंदुस्तान है हिन्दीः प्रोफेसर अखिलेश चन्द्र
आधुनिक समाज मे यूँ तो एक साथ बैठकर संवाद का दौर कम हो रहा है पर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के दौर में यह स्थान अब धीरे-धीरे ई-कंटेन्ट लेता जा रहा है। मानव के बीच किसी भी रुप मे संवाद का होना तय है क्योंकि मानव बिना संवाद रह नहीं सकता। मानव सभ्यता का विकास संवाद पर ही टिका है। मानव जन्म से अपनी मातृभाषा में बोलना शुरू करता है। समय सापेक्ष धीरे.धीरे वह विकास के पथ पर आगे बढ़ता है। विकास के विभिन्न सोपान से गुजरते हुये जब बात मूल भाषा की आती है तब भारत का नागरिक कहीं न कहीं सब जगह की भाषाओं में हिन्दी मे ही आत्मसुख पाता है क्योंकि हिन्दी माँ है और एक बच्चा जब कहीं सुख नहीं पाता तब उसे माँ की गोंद याद आती है और यहीं हिन्दी मां उसे सभी सुख देकर समृद्ध बनाती है। आज भारत की हिन्दी ने विश्व स्तर पर अपना परचम लहरा रखा है। विश्व की सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा मे आज हिन्दी का स्थान तीसरा है। प्रथम स्थान पर चीन की भाषा मंडारिन है और दूसरे स्थान पर अंग्रेजी है। दुनियां भर में कुल 7100 भाषा बोली जाती है। इस ऐतिहासिक भाषा गणना में हिन्दी का विश्व मे तीसरा स्थान पाना सभी भारतीयों के लिये बड़े गर्व का विषय है।
हिंदी को राजभाषा का दर्जा 14 सितंबर 1949 को मिला और संविधान के भाग.17 में इससे संबंधित महत्त्वपूर्ण प्रावधान किए गए। इसी ऐतिहासिक महत्व के कारण 1953 से राष्ट्रभाषा प्रचार समिति द्वारा प्रतिवर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस का आयोजन किया जाता है। हिन्दी न केवल हमारी आन-बान-शान है बल्कि देश की पहचान है। देश की संस्कृति और सभ्यता की मिशाल है। जब हम हिन्दी मे कहते हैं कि आज पेट मे बड़ा दर्द है तब यह हमारे अंदर के दर्द की सही अभिव्यक्ति कराती है और जब हम अंग्रेजी में कहते हैं कि आई हैब पेन इन स्टोमक तब हम उस दर्द को सही और दिल से अभिव्यक्त नहीं कर पाते। हिन्दी हमारी आत्मा में बसी औऱ रक्त के डी एन ए में सनी अभिव्यक्ति का वो संसार है जिसे सिर्फ और सिर्फ हिन्दी मे ही सही-सही व्यक्त किया जा सकता है।
आज विश्व के 200 विश्वविद्यालयों में हिन्दी न केवल पढ़ाई जा रही हैं बल्कि इस विषय मे डी0लिट0स्तर की उपाधि भी दी जा रही है। आज भारत के अनेक विश्वविद्यालयों में विदेशी छात्र-छात्राएं हिन्दी पढ़ने के लिये आ रहें हैं। उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में आक्सफोर्ड कहे जाने वाले काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी में भी अनेक देश के छात्र और छात्राएं हिन्दी पढ़ने आते हैं और यहाँ की उपाधि पर अपने देश में बड़ी-बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियों में बड़े-बड़े जॉब पा जाते हैं। आधुनिक मल्टीमीडिया के दौर में हिन्दी ने नये रोजगार के द्वार खोलें हैं। आज देश मे अनेकों समाचार चैनलों की भरमार है। आजतक, एजी न्यूज, स्टार न्यूज, 09 भारत. आर भारत, एन डी टी वी, डी डी न्यूज जैसे राष्ट्रीय चैनल में तमाम रोजगार के अवसर उपलब्ध हैं। यहाँ फर्क सिर्फ इतना है कि आपको द्विभाषिक ज्ञान का होना आवश्यक है। आप हिन्दी के साथ अंग्रेजी को अपना स्नातक विषय रखें तो यहाँ अपार संम्भावनाएँ हैं। स्नातक में हिन्दी के साथ अगर अंग्रेजी नहीं है तो भी घबराने की जरूरत नहीं है। आप अंग्रेजी की जगह संस्कृत भी लेकर यदि पढ़ रहें हैं तो शिक्षण का पूरा रोजगार आपके लिये खुला पड़ा है साथ ही साथ प्रशासनिक सेवा का अवसर भी उपलब्ध है।
मल्टीमीडिया में आज टी वी सीरियल, फ़िल्म, ओ टी टी प्लेटफार्म के लिये कहानी लेखक, गीतकार, डायलॉग लेखक का काम अच्छी हिन्दी आने पर उपलब्ध है। इन जगहों पर अंग्रेजी से हिन्दी, हिन्दी से अंग्रेजी का रूपांतरण, अनुवादक का कार्य विश्व स्तरीय रूप में उपलब्ध है। कौन नहीं जानता कि फ़िल्म बाहुबली और बाहुबली-2 कुल मिलाकर 2500 करोड़ का कारोबार करके सफलता के बुलन्दी पर पहुंच गई साथ ही साथ द जंगल बुक; 2016 स्पाइडर मैन के हिन्दी संस्करण ने पूरा बाजार का स्वरूप ही बदल दिया। इस कारोबार में मुख्य काम फ़िल्म अनुवादक का ही रहा जिसने सर्व भाषा में इस फ़िल्म को उपलब्ध कराया। यहाँ एक बात जरूरी है कि आपका हिन्दी और अंग्रेजी का ज्ञान उच्च स्तरीय होना चाहिए। इस समय हर सुपरहिट फिल्म का दूसरे भाषा मे रूपांतरण करके डब किया जा रहा है और यह काम हिन्दी का जानकार कर रहा है। टी वी और फ़िल्म में विज्ञापन का भी बाजार बहुत बड़ा बाजार है। कौन नहीं जानता कि लाइफबॉय साबुन का बाजार बिना उसके विज्ञापन लाइफबॉय है जहाँ तंदुरुस्ती है वहाँ के बिना किस हाल में होता। निरमा वासिंग पाउडर का विज्ञापन दूध सी सफेदी निरमा से आये वासिंग पाउडर निरमा वासिंग पाउडर निरमा ने निरमा कम्पनी को रातोंरात करोङो में पहुँचाया था। इसी तरह कोलगेट, रिन शक्ति, बबूल टूथपेस्ट, एरियल पाउडर से लगायत सभी प्रॉडक्ट आपके घर तक आने का माध्यम विज्ञापन ही है। विज्ञापन का बाजार हिन्दी सेवी के लिये बहुत बड़ा बाजार है।
वर्तमान युग कम्प्यूटर का युग है। आपका कोई भी छोटा या बड़ा कार्य बिना कंप्यूटर के हो ही नहीं सकता या यँन कहें कि सोचा भी नहीं जा सकता।विश्व की सभी कम्प्यूटर निर्माता कम्पनियां आज अपने साफ्टवेयर में हर तरह से हिन्दी वर्जन का इस्तेमाल कर रहीं हैं।भारतीयों को यह बहुत रास भी आ रहा हैं।भारतीय कानों को हिन्दी में सुनने की आदत पड़ गयी हैं।भारतीय मूल संस्कृति यह है कि खाना चाहें जितना अच्छे से बना हो, खूबसूरत तरीके से परोसा गया हो, काटा-चम्मच के साथ थाली क्यों न दी गयी हो, पर भारतीय जब तक हांथ से खाना नहीं खायेंगें तब तक उनका पेट नहीं भरेगा।ठीक उसी तरह जब तक उनके कान में हिन्दी में सुनाई नहीं देगा तब तक जैसे उन्हें कुछ सुनाई ही नहीं दिया का आभास वो करते रहेंगें इसलिए भारतीय लोंगों के लिये हिन्दी में सभी बाजारनवीस हर वस्तु उन्हें हिन्दी में उपलब्ध करा रहें हैं और यह हिन्दी में रोजगार के नये-नये अवसर उपलब्ध करा रहा हैं।
आज मल्टीमीडिया के दौर में दर्शक विश्व सिनेमा का आनन्द अपने घरों में टी वी पर और मल्टी स्क्रीन और सिंगल स्क्रीन पर देख रहें हैं। आज दर्शक अपनी मनपसंद फ़िल्म अपनी भाषा हिन्दी में देख रहें हैं। भारतीय दर्शकों के लिए विदेशी निर्माता-निर्देशक अपनी फिल्में हिन्दी भाषाओं में अनुवाद करके पेश कर रहें हैं। अंतरराष्ट्रीय फलक पर हिन्दी के बढ़ते दबदबे की वजह से फिल्मों के लिये हिन्दी अनुवाद की गुणवत्ता में भी सुधार आया है। भारतीय फिल्म उद्योग और विश्व सिनेमा के इस बदले बाज़ार में हिन्दी अनुवादकों के लिये रोजगार के नये अवसर उपलब्ध हो रहें हैं। आज के नये दौर में विदेशी फिल्मों में हिन्दी के जानकार को नये- नये काम मिल रहें हैं।
सोशल मीडियाएप्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के क्षेत्र में हिन्दी बड़ी तेजी से अपना परचम लहरा रहीं हैं। हिन्दी में नव रोजगार के लिये हिन्दी में अध्ययन कर रहें किसी भी स्तर के छात्रों को आत्मविश्वास के साथ साहित्यिक हिन्दी को गम्भीरता से व्याकरण की दृष्टि से समझना चाहिये।हिन्दी के विद्यार्थियों को हिन्दी पढ़ते समय हिन्दी को आसान मानकर नहीं पढ़ना चाहिये।जिस भाषा का अपना शब्द भण्डार और शब्दग्राह्ता इतना व्यापक है, उसका इतिहास इतना प्राचीन है वह आसान कत्तई नहीं है। हिन्दी में मल्टीनेशनल कंपनियों तक जॉब पाना है तो हिन्दी के ज्ञान का स्तर भी मल्टीनेशनल होना आवश्यक है।