संभल : गंगा एक्सप्रेसवे के लिए भूमि खरीद में घपलेबाजी, चकबंदी अधिकारी निलंबित

संभल। गंगा एक्सप्रेसवे के लिए खरीदी गई जमीन में हुई घपलेबाजी की गाज बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी (एसओसी) सचेंद्र कुमार सिंह पर गिरी है. चकबंदी आयुक्त ने सचेंद्र को लंबित कर दिया है. उनका कार्यभार बिजनौर के बंदोबस्त अधिकारी को सौंपा है. आरोपों की जांच अमरोहा के जिलाधिकारी को सौंपी है. शासन द्वारा की गई कार्रवाई में कहा गया है कि संभल बंदोबस्त अधिकारी चकंबदी के न्यायालय में 28 अगस्त 2018 में शिकायतकर्ता राजपाल ने अपील दायर की थी. बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी ने शिकायतकर्ता को साक्ष्य प्रस्तुत करने का अवसर न देकर एक पक्ष को लाभ पहुंचाने के लिए 05 अक्तूबर 2021 को अपील खारिज कर दी. इसमें शासन को 927511 रुपये की धनराशि की क्षति पहुंचाई. संभल चकबंदी न्यायालय के इस निर्णय से कई मामले उच्च न्यायालय पहुंचे और गंगा एक्सप्रेसवे जैसी महत्वपूर्ण योजना का कार्य प्रभावित हुआ. इन्हीं आरोपों का संज्ञान लेते हुए निलंबन की कार्रवाई की गई.
संभल के गांव मझौला निवासी किसान राजपाल ने अपील दायर की थी. जिसको बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी न्यायालय में खारिज कर दिया था. अपील खारिज होने के बाद 17 लोगों के नाम से गंगा एक्सप्रेसवे की जमीन का बैनामा हो गया. इसकी शिकायत जिला प्रशासन से हुई तो जिलाधिकारी मनीष बंसल ने जांच कराई थी. जिसमें सामने आया कि बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी ने सुनवाई किए बिना ही एक पक्ष को लाभ पहुंचाने के लिए अपील खारिज की थी जबकि राजपाल का दावा सही है.
इस मामले की अपील और निगरानी उप संचालक चकबंदी न्यायालय में हुई तो राजपाल के पक्ष में निर्णय दिया गया. जिससे तय हो गया कि बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी सचेंद्र कुमार सिंह ने एक पक्ष को लाभ पहुंचाने के लिए अपील खारिज की थी. इसी क्रम में कार्रवाई की गई है. कार्रवाई का आदेश 3 अक्तूबर को जारी किया गया है. अभी इस मामले में चकबंदी विभाग के कई अधिकारी और कर्मचारियों पर कार्रवाई होनी बाकी है. जो जांच में दोषी पाए गए हैं उनके विभागाध्यक्षों को पत्र लिखकर जिलाधिकारी ने कार्रवाई का आग्रह किया है.
गंगा एक्सप्रेसवे की जमीन में बैनामा कराने वाले किसानों ने उच्च न्यायालय का निर्णय आने तक भुगतान नहीं करने का आग्रह किया है. गांव मझौला के किसानों का दावा है कि राजपाल के पक्ष में उप संचालक चकबंदी ने जो निर्णय दिया है. उसी मामले में उच्च न्यायालय में भी सुनवाई चल रही है. ग्रामीणों ने जिलाधिकारी को दिए पत्र में आग्रह किया है कि जब तक उच्च न्यायालय का निर्णय नहीं आता है तब तक गंगा एक्सप्रेसवे में अधिग्रहीत की गई जमीन का भुगतान न किया जाए. मालूम हो करीब 2.17 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाना है. पत्र में गांव मझौला निवासी रामवीर, सरोज, मोहन, मदनलाल, सरपाल आदि नाम अंकित हैं.