कानपुर देहात। नाटक के कार्य व्यापार में एक इंसान और पशु के बीच लगाव तथा इंसानियत और पशुता की धुंधली सीमा रेखा को दिखाने वाले प्रसंग है जिसमें मानवीय भावना और करुणा बेरहम जिंदगी के अंधकार में धूप की किरण की तरह झिलमिलाती रहती है। यह आकर्षक प्रस्तुति दिखाती इमेन्स आर्ट्स एण्ड कल्चरल, सोसाइटी लखनऊ द्वारा जान स्टीन बैंक के बहुचर्चित उपान्यास के ऑफ माइस एण्ड मेन के रूपान्तरित ये आदमी ये चूहे नाटक का मंचन में कलाकारों द्वारा की गई।
परिकल्पना एवं निर्देशन सुदीप चक्रवर्ती द्वारा नाटक का मंचन स्थानीय उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के प्रेक्षागृह वाल्मीकि प्रेक्षागृह में किया गया। मंच पर जग्गू – दिव्यांशू, लोरी- विक्रम, काव्याल, खेमू – धर्मेन्द्र कुमार, मालिक – राजनाथ सरोज, बाबी, बृजेश यादव, बाँबी की पत्नी मयूरी द्विवेदी, सुलेमान – विवेक, रंजन सिंह, कैलाश, विकास कुमार, बाबू – अनुज, हीरा-सुब्रत राय की भूमिका में रहे। नाटक के मूल लेखक जॉन स्टीन बेक, हिन्दी अनुवाद वीरेन्द्र सक्सेना और देवेन्द्र राज अंकुर थे।
ये आदमी ये चूहे में जग्गू ओर लोरी आजीविका की तलाश में दूसरे राज्य व कस्बों में जाते हैं। मजदूर अच्छे जीवन यापन की उम्मीद पर अपना गाँव छोड़ देते हैं, उम्र बढ़ने के साथ इच्छायें मर जाती और उनकी बूढ़ी आँखो में परिलक्षित होती है। चूहे छोड़ भागम भाग की जिन्दगी में लोरी मुसीबत में फँस जाती है। नाटक में दो बेबस मजदूर इंसान के चिंतन स्वपन और आकांक्षा की आश और निराशा की बेहद झकझोर देन वाली कथा की मार्मिक आकृर्षित प्रस्तुति की सभी ने सराहा। इस मौक पर अनेक कला प्रेमियों के साथ उपनिदेशक सूचना (से. नि०) प्रमोद कुमार, शुभम गौतम, शशांक कल्पना, निशा तिवारी वरुण चौरसिया आदि बड़ी संख्या में दर्शक उपस्थित थे ।