प्रयागराज। एक किन्नर की एक दो नहीं, 40 औलाद हैं. यह बात सुनकर आप शायद चौंक जाएं, लेकिन सच है. उत्तर प्रदेश किन्नर कल्याण बोर्ड की सदस्य, किन्नर अखाड़े की प्रदेश प्रभारी और महामंडलेश्वर कौशल्यानंद गिरि ‘टीना मां’ एक ऐसी किन्नर हैं, जिन्होंने 40 खानाबदोश किन्नरों को अपनी औलाद माना है. उन्होंने ऐसा अपने समाज के कल्याण और उत्थान के लिए किया हैं. इन्हें गोद लेकर अपना नाम दिया. अब ये सभी किन्नर इन्हें मां कहते हैं. इन किन्नरों को भी पहचान मिल है.

दरअसल, पिछले दिनों शासन ने किन्नरों का पहचान पत्र बनाने का निर्देश दिया. पहचान पत्र के लिए अपना घर, आधार कार्ड, पैन कार्ड आदि दस्तावेज जरूरी है. कौशल्यानंद गिरि का बैरहना इंद्रपुरी में अपना घर है. लिहाजा जिले का पहला किन्नर पहचान पत्र उनका बना. उत्तर प्रदेश किन्नर कल्याण बोर्ड की सदस्य के तौर पर जब उन्होंने समाज के लोगों को इसके लिए जागरूक किया तो पहचान के लिए जरूरी दस्तावेज न होने की समस्या सामने आई.

यूपी सीएम बाल सेवा योजना के तहत माता-पिता की मौत के बाद अनाथ हुए बच्चों के लिए मदद, ये दस्तावेज जरूरी इसका समाधान करने के लिए उन्होंने ऐसे किन्नरों को गोद लिया. किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर का कहना है कि संन्यास लेने के बाद तो पूरा संसार हमारा ही हो गया. ऐसे में इन लोगों को पहचान दिलाने के लिए यह काम किया. जिले में अब तक 18 किन्नरों का पहचान पत्र बन चुका है. शेष का पहचान पत्र बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. जल्द ही इन्हें पहचान पत्र मिल जाएगा. प्रदेश सरकार की योजना है कि पहचान पत्र बनाकर पहले किन्नरों की सही संख्या का आकलन किया जाए. इसके बाद किन्नर कल्याण की योजनाएं लागू कर इन्हें सरकारी योजनाओं से सहायता दी जाएगी. इसी क्रम में पहचान पत्र बनाने की कवायद शुरू की गई है.