कोरोना संक्रमित किफायत क्वारंटाइन केंद्र से ऑनलाइन बांट रहे शिक्षा का उजियारा

श्रीनगर : अध्यापक मजबूत समाज और राष्ट्र का निर्माता होता है। वह समाज को रास्ता दिखाता है। केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में एक स्कूल के अध्यापक किफायत हुसैन इसे सही साबित कर रहे हैं। कोरोना से संक्रमित किफायत क्वरटांइन केंद्र से ही अपने विद्यार्थियों से लगातार संवाद बनाए हुए हैं। क्वारंटाइन केंद्र से ही ब’चों को गणित के कठिन सवाल और फार्मूले समझा रहे। जूम और यूटयूब का वह समुचित सदुपयोग कर रहे हैं।

लेह स्थित क्वरटांइन केंद्र में कोरोना के संक्रमण से लड़ रहे किफायत हुसैन नियमित तौर पर नौवीं और दसवीं कक्षा के अपने विद्यार्थियों को पढ़ा रहे हैं। ऑनलाइन कक्षा के साथ वीडियो रिकॉर्ड कर ब’चों को पहुंचा रहे क्योंकि इंटरनेट कनेक्टिविटी हमेशा एक जैसी नहीं रहती। उनका कहना है कि स्कूल में पढ़ाना सिर्फ रोजगार के लिए शुरू नहीं किया था, यह उनका शौक है। जिस दिन क्वरटांइन होना पड़ा, कुछ परेशान था कि छात्र पढ़ाई में पीछे न रह जाएं। फिर मैंने क्वरंटाइन केंद्र से ही पढ़ाने का विकल्प अपनाया।

लामडन मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल के अध्यापक किफायत हुसैन ने कहा कि मेरे गांव में कोरोना के कुछ मरीज हैं। इस कारण गांव को हॉटस्पॉट और रेडजोन घोषित किया गया। मेरे अंदर कोई लक्षण नजर नहीं आ रहा था। मैंने खुद डॉक्टरों से संपर्क किया। 30 अप्रैल को अस्पताल जाकर जांच कराई तो कोरोना की पुष्टि हुई।

उन्होंने कहा कि मुझे कोरोना संक्रमण का डर नहीं है। यकीन है कि मैं जल्द ठीक होकर घर लौटूंगा। उन्होंने कहा कि मैंने क्वारंटाइन केंद्र से छात्रों को पढ़ाने का निश्चय कर प्रशासन से आग्रह किया कि ऑनलाइन पढ़ाने की अनुमति दी जाए। प्रशासन अनुमति दे दी। मेरे स्कूल ने मुझे डिजिटल बोर्ड, पेन उपलब्ध कराया। मैंने रोज दोपहर दो से तीन बजे तक जूम के जरिए अपने छात्रों को पढ़ाना शुरू कर दिया।

नई उम्मीद जगाते हैं किफायत: स्कूल प्रिंसिपल डॉ. स्टैंजिन दावा ने कहा कि एक अध्यापक प्रकाश स्तंभ होता है जो समाज को रोशनी दिखाता है। वह छात्र का नैतिक विकास कर सभ्य और जिम्मेदार नागरिक बनाता है। किफायत हुसैन सभी के लिए प्रेरणास्रोत हैं। कोरोना के कारण जो डर, असमंजस का माहौल बना है, किफायत हुसैन ऐसे में नई उम्मीद जगाते हैं।

सभी का मिला सहयोग: किफायत हुसैन ने कहा कि लद्दाख प्रशासन, स्कूल प्रिंसिपल डॉ स्टैंजिन दावा और लामडन प्रबंधन कमेटी के प्रधान त्सवांग पलजोर ने मेरी पूरी मदद की है। अस्पताल का स्टाफ भी मेरा पूरा ध्यान रखता है। यहां बहुत से लोग कोरोना के मरीज के नाम से ही डरते हैं। लोग उससे दूरी बना लेते हैं, लेकिन मेरे परिवार ने इसकी परवाह नहीं की। मेरे छात्रों ने भी मेरा पूरा साथ और सहयोग किया है। इससे बड़ी बात और क्या होगी कि लद्दाख के सचिवायुक्त रिग्जिन सैंफल ने निजी तौर पर मुझसे बातचीत कर मनोबल बढ़ाया।