सागर। मप्र के सागर-कानपुर नेशनल हाईवे 86 पर छतरपुर जिले के बकस्वाहा के पास शनिवार सुबह मिनी ट्रक पलटने से छह प्रवासी मजदूरों व स्वजनों की मौत हो गई और 15 लोग घायल हो गए। घायलों ने हादसे का मंजर बताया तो वहां मौजूद लोगों की आंखें नम हो गई। किसी मजदूर ने कहा कि पहले काम गया और अब इस हादसे में कमाने वाला चला गया। तो किसी ने अपने वालों को अपनी आंखों के सामने मरते देखा।
घायलों की जुबानी दिल दहला देने वाला मंजर
पति और बेटी को आंखों के सामने मरते देखा सलमा खातून ने अपने पति मंसूर अली और आठ साल की पुत्री आसना अली को मौत का सामना करते देखा, लेकिन वह उन्हें बचा सकी। घायल सलमा दो बच्चे अयान और सन्ना उम्र 5 और 6 साल के साथ जिला अस्पताल में भर्ती है। तीनों को ज्यादा चोटें नहीं आई हैं, लेकिन पति और दो बेटियों की मौत ने उसे अंदर से तोड़कर रख दिया है। उसका परिवार सालों से मुंबई में रहकर मजदूरी कर परिवार का भरण-पोषण करता था। सलमा का परिवार तीन दिन पहले मुंबई से ट्रक से इंदौर आया। एक दिन इंदौर रकने के बाद भोपाल आए। शुक्रवार रात सागर नाके पर कानपुर जाने के लिए ट्रक मिला, तो घर जल्द पहुंचने की लालसा में ट्रक पर सवार हो गए। शनिवार सुबह हादसा हो गया। उसका आरोप है कि चालक शराब के नशे में था।
लोग तो कुछ भी कहते हैं
घटना में ट्रक चालक फिरोज खान भी घायल है। उसे सिर और सीने में चोट आई है। ट्रामा सेंटर में इलाज चल रहा है। शराब के नशे में ट्रक चलाने के सवाल पर उसका कहना था, घटना होना थी, हो गई। लोग तो कुछ भी कहते हैं। रातभर गाड़ी चलाते-चलाते थकान होने लगी थी, जिससे पुलिया के पास स्टेरिंग कंट्रोल नहीं कर पाया और घटना हो गई। ट्रक में सवार लोग हाइवे पर वाहन का इंतजार कर रहे थे। उनकी बेबसी देखकर मैंने उन्हें ट्रक में बैठा लिया। फिरोज का कहना है- इलाज चल रहा है, मेडिकल रिपोर्ट में स्पष्ट होगा कि मैं शराब के नशे में था या नहीं।
जॉब की तलाश में भोपाल आए थे
हादसे में भोपाल से कानपुर जा रहे संजीव कुमार भी घायल हैं। वे ट्रक के पिछले हिस्से में अन्य लोगों के साथ बैठे थे। रास्ते में सुबह करीब नौ बजे आगे से जोर का झटका लगा तो देखा ट्रक के नीचे दबे हैं। संजीव ने बताया लॉकडाउन शुरू होने के दस दिन पहले भोपाल नौकरी की तलाश में गया था। आठ दिन एक फैक्टरी में काम किया, लेकिन लॉकडाउन के कारण फैक्टरी में काम बंद हो गया। कुछ समय फैक्टरी में रहा, लेकिन मालिक ने कह दिया काम नहीं है, घर जाओ, पांच सौ रपये बचे थे। कानपुर तक का किराया देकर ट्रक में सवार हुआ था। रास्ते में यह घटना हो गई। परिवार वालों को जानकारी दे दी गई है।
कबाड़ का काम था, चौपट हो गया
कानपुर के गोपीकृष्ण भोपाल में कबाड़ का कारोबार करते हैं। वे पांच-छह साल से भोपाल में छोला रोड पर रहते हैं। लॉकडाउन ने उनका रोजगार छीन लिया। पत्नी व दो बच्चों को लेकर कानपुर जा रहे थे। छतरपुर रोड पर हादसे में घायल हो गए। उनके सिर और माथे पर गहरी चोट है। बच्चे शैलू और निशा की हालत ठीक है। गोपी का कहना है कि घटना के समय चालक शराब के नशे में था। मजदूरों की जान से खिलवाड़ करने वाले चालक पर कार्रवाई होनी चाहिए।
पीने को पानी तक नहीं मिला
ढुमरिया उप्र के इरशाद खान, मुंबई के नाला सुपारा में मकानों में पुट्टी और पेंटिंग का काम करते हैं। सिर में चोट आई है। कहने लगे-करीब 20 मिनट तक बाहर स्ट्रेचर पर दर्द से कराहता रहा।
इसी हाइवे पर एक और वाहन पलटा, 13 मजदूर घायल
इसी सागर-कानपुर मार्ग पर शनिवार सुबह पांच बजे भी एक हादसा हुआ था। पठानबली घाटी के पास पिकअप वाहन पलटने से 13 मजदूर घायल हो गए। यह पिकअप वाहन महाराष्ट्र के रायगढ़ से यूपी के चंदौली जा रहा था। वाहन में करीब 20 लोग सवार थे। 13 लोगों को मामूली चोट आई है। शाहगढ़ में प्राथमिक इलाज के बाद छुट्टी दे दी गई।