कोरोना से लड़ने को RSS ने शुरू किया रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने का महाअभियान

रांची। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने महामारी के इस दौर में देशवासियों में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने का महाअभियान शुरू किया है। लॉकडाउन से प्रभावित लोगों को भोजन कराने से लेकर जरूरतमंद परिवारों तक राशन पहुंचाने का काम जारी रखते हुए स्वयंसेवकों ने अपने इस अभियान के तहत अब लोगों को काढ़ा पिलाना शुरू किया है। साथ ही आयुष मंत्रालय की ओर से अनुशंसित होम्योपैथी दवा आर्सेनिक एल्बम-30 भी घर-घर जाकर बांटने की शुरुआत की है।

रांची, दिल्ली, पटना, मुंबई, भोपाल सहित देश के अधिकतर बड़े शहरों में यह अभियान जारी है। देश के अन्य हिस्सों में काढ़ा के साथ पहुंचने का रोडमैप भी आरएसएस ने तैयार कर लिया है। इस कार्य में विहिप, अभाविप, आरोग्य भारती, सेवा भारती, एकल, राष्ट्र सेविका समिति, हिंदू जागरण मंच, वनवासी कल्याण केंद्र, भारतीय मजदूर संघ सहित आरएसएस से संबद्ध सभी संगठन सहयोग कर रहे हैं।

स्वयं तैयार करते हैं काढ़े का चूर्ण

आयुष मंत्रालय के निर्धारित मानकों के अनुसार संघ के स्वयंसेवक स्वयं से काढ़े का चूर्ण तैयार कर रहे हैं। इसमें 100 ग्राम सोंठ (सूखी अदरक), 100 ग्राम दालचीनी, 50 ग्राम गिलोय, 50 ग्राम काली मिर्च व 50 ग्राम हल्दी मिलाया जाता है। फिर उसका चूर्ण तैयार कर लगभग 80 ग्राम का एक पैकेट बनाया जाता है। स्वयं सेवकों का खास फोकस श्रमिकों, सब्जी विक्रेताओं, पुलिसकर्मियों और सफाईकर्मियों पर है।

ऐसे तैयार होता है काढ़ा

आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक एवं झारखंड-बिहार के क्षेत्र सेवा प्रमुख अजय कुमार ने कहा कि 20 लीटर पानी में एक पैकेट चूर्ण डाला जाता है। उसे खौलाकर आधा कर लिया जाता है। काढ़ा तैयार होने से 10 मिनट पहले 50 की संख्या में तुलसी का पत्ता डाल दिया जाता है। स्वाद के अनुसार इसमें गुड़, चीनी अथवा नमक डाला जा सकता है। वहीं आर्सेनिक एल्बम-30 के संबंध में आरोग्य भारती के प्रदेश सचिव डा. डीएन तिवारी ने बताया कि बड़े व्यक्ति इसकी छह और बच्चे तीन गोलियां तीन दिनों तक तीन बार ले सकते हैं।

दैनिक जीवन का बनाएं अंग

अजय कुमार ने कहा कि कोरोना वायरस का प्रभाव लंबे समय तक  रहने वाला है। ऐसे में इससे बचने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना जरूरी है। इसके लिए प्राणायाम, आयुर्वेदिक काढ़ा एवं मास्क अथवा  गमछा को दैनिक जीवन का अंग बना लेना होगा। प्रतिदिन खाली पेट एक कप काढ़ा पीने की आदत डालनी होगी। बचाव का यह सर्वोत्तम उपाय है। संघ के स्वयंसेवक घर-घर जाकर लोगों को इसके लिए जागरूक करेंगे।