लॉकडाउन में छा गई रागिनी, टेंशन में जेठानी; पढ़ें सियासत की खरी-खरी

धनबाद । सिंह मेंशन की रागिनी सिंह। स्वर्गीय सूर्यदेव सिंह की बहू व झरिया के पूर्व विधायक संजीव सिंह की भार्या। सिंह मेंशन से जुड़े अदने इंसान को भी एकसूत्र में बांधे रखने में जुटी हुई हैं। झरिया को सिंह मेंशन अपने परिवार की सियासी विरासत मानता है। रागिनी पूरे मनोयोग से झरिया के लोगों को सियासत के मधुर धुन सुनाने में लग गयी है। लॉकडाउन में रागिनी के पास गरीबों के लिए मास्क, सैनिटाइजर से लेकर अनाज की थैली तक थी। लॉकडाउन में सिंह मेंशन के फाटक भी खोल दिये गये। जरूरतमंद आइए और भरपेट सुस्वादु भोजन करके जाइये। ढुलू जेल गये तो उनकी पत्नी सावित्री देवी को सिंह मेंशन बुलाया। उनसे रिश्ता और प्रगाढ़ बनाया। निरसा विधायक अपर्णा सेनगुप्ता से भी नजदीकी बढ़ाने से गुरेज नहीं। चुनाव में चचेरी जेठानी पूर्णिमा सिंह से हारने वाली रागिनी के कामकाज का मिजाज चुनावी बना हुआ है।

ढुलू पर हो गयी नजरे इनायत 

आखिरकार ढुलू महतो जेल चले गये। हेमंत सरकार बनने के बाद पुलिस का एकमात्र मकसद ढुलू को जेल में डालना था। आखिर सरकार की बात थी। खूब केस मुकदमे किये गये। ढुलू महतो पर और उनके करीबी लोगों पर भी। तीन बार ढुलू महतो के आवास समेत कई ठिकानों पर छापा गया। फिर अचानक सब कुछ बंद। लॉक डाउन में न्यायालय में पुराने मुकदमे की सुनवाई भी बंद थी। जिस दिन न्यायालय में कामकाज सामान्य हुआ, उसी दिन ढुलू महतो ने सरेंडर कर दिया। वातानुकूलित चमचमाती कार में। जितने भी मुकदमे विचाराधीन हैं, उनमें ढुलू रिमांड भी करा रहे हैं अर्थात उन मुकदमों में न्यायालय में उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। अभी तक किसी भी मुकदमे में रिमांड पर लेने के लिए पुलिस ने न्यायालय में अर्जी नहीं लगायी है। पुलिस में इतना बदलाव। भौंचक वकील उवाच रहे हैं, सब सरकार की माया है।

वेब के सहारे पहली क्राइम मीटिंग 

यहां सिंह मेंशन और रघुकुल जैसे दबंग राजनीतिक घराने हैं तो गैंग्स ऑफ वासेपुर भी। सिर्फ आपराधिक गिरोह अथवा दबंग लोगों की लंबी फेहरिश्त नहीं है। टुंडी का बड़ा इलाका जंगल और पहाड़ों से घिरा है। कभी माओवाद की लाल फसल यहां लहलहाती रही हैं। कोरोना के कोहराम के बीच आये नये एसएसपी अखिलेश बी वारियर को यह जरुर लगा कि मासिक क्राइम मीटिंग की जाय। जिले में कुल 56 थाना और ओपी। सिटी एसपी, ग्र्रामीण एसपी, डीएसपी को मिला लिया जाय तो 70 से अधिक लोगों के एक जगह बैठने का इंतजाम। वह भी गोपनीय बैठक के लिए। आखिरकार एसएसपी ने सोमवार को पहली क्राइम मीटिंग के लिए वेब का सहारा लेने का फैसला लिया। उम्रदराज अफसर तनाव में हैं। मीटिंग के दौरान कप्तान साहब कोई कागजात वाट्सअप करने को बोले तो फंसान हो जायेगी। सारे थानेदार दस्तावेज दुरुस्त करने में लगे हैं।

अब लगेगा माननीय लोगों का तांता 

माननीय लोगों से से जुड़े मुकदमे की सुनवाई के लिए धनबाद में विशेष न्यायालय की स्थापना हो गयी है। संताल परगना से कोयलांचल तक कई न्यायालयों में माननीयों के जो भी मुकदमे विचाराधीन हैं, उनकी सुनवाई धनबाद में होगी। लॉकडाउन खत्म होने के बाद माननीय लोगों से जुड़े मुकदमे की दनादन सुनवाई शुरू होगी। आखिर विशेष न्यायालय के गठन का ही जनता के भाग्य विधाता के भाग्य का जल्द निर्धारण करने के लिए किया गया है। झारखंड के 33 ऐसे माननीय हैं जिनके मुकदमों की फाइलें लाल कपड़े में बांध कर न्यायालय में आ चुकी हैं। हत्या के प्रयास जैसे गंभीर अपराध के कुछेक मुकदमों को छोड़ दें तो अधिकतर मामले चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन के हैं। चुनाव से जुड़े मुकदमे में तारीख पर तारीख पड़ती है। सो, पेशी खूब होगी। यहां के आम लोग जिंदाबाद सुनने को तैयार रहिये। कभीकभार मुर्दाबाद भी।