दानपेटियां खाली, नमक-भात खा रहे पुजारी

चाईबासा । जब भी कोई शुभ कार्य कराना होता है तो सबसे पहले पंडित जी की तलाश की जाती है। पंडित जी के आने के बाद उस शुभ कार्य की तिथि निकलवाई जाती है। लेकिन इन दिनों जो पंडित जी शादी, ब्याह, मुंडन संस्कार, यज्ञोपवीत, गृह प्रवेश, सत्य नारायण की कथा, मरनी के क्रिया-कर्म आदि सभी काम कराते हैं उन लोगों को आजकल कोरोना संक्रमण के दौर में कोई पूछ तक नहीं रहा है।

चाईबासा स्थित करणी मंदिर

स्थिति यह है कि पुजारियों के घर में नमक-भात खाकर परिवार जीने को विवश हैं। आजकल सभी मंदिरों के कपाट लगभग बंद हैं। केवल सुबह व शाम कुछ देर आरती करने के लिए खुलते हैं। भक्त भी दर्शन के लिए नहीं पहुंच रहे है। दानपेटी पूरी तरह से खाली पड़ी है। लेकिन अभीतक इन लोगों की न तो प्रशासन ने और न ही किसी स्वंयसेवी संस्था ने हाल जाना है।

पंडित-पुजारी की आज कोई सुधि लेने वाला नहीं, स्थिति भगवान भरोसे

शहर के शिवा तालाब स्थित शिव मंदिर है। यहां पर सालोंभर पूजा-अर्चना का दौर चलता है। मंदिर के ठीक सामने बड़ा तालाब है। कई भक्त सुबह का स्नान इसी तालाब में कर शिवलिंग पर जलाभिषेक कर दानपेटी में दान करते है, लेकिन जब से लॉकडाउन लगा है मंदिर की ओर कोई झांकने तक नहीं आता है।

प्रत्येक सोमवार को 200 से 300 रुपये मिल जाता था, लेकिन अभी कुछ नहीं। दस लोगों के परिवार का जीवन-यापन करना बहुत मुश्किल हो गया है। यहां पर न ही कोई जिला प्रशासन से राहत मिली है

जिस मंदिर में सुबह से लेकर शाम तक भक्तों का दिनभर आना जाना लगा रहता रहा हो, वहां सिर्फ आज एक-एक कर पांच भक्त ही पहुंच रहे हैं। यह वाक्या है शहर के बीचों बीच अमलाटोला स्थित बाबा मंदिर। यहां पर श्री हनुमान की प्रतिमा स्थापित है। इस मंदिर में पहले प्रत्येक मंगलवार व शनिवार को दानपेटी में एक हजार रुपये आ जाता था। पांच से सात हजार रुपये मासिक मंदिर से आय हो जाती है। लेकिन लॉकडाउन के बाद कोई मंदिर नहीं आता है। जिला प्रशासन और किसी स्वयंसेवी संस्था से कोई मदद नहीं मिली है।

जिस मंदिर में सुबह 4 बजे से घंटियों की आवाज सुनने को मिलती थी, आज घंटी तो दूर की बात, कोई मंदिर की ओर झांकने तक नहीं आ रहा है। यह हाल है चाईबासा शहर के गांधीटोला स्थित श्रीश्री मां करणी मंदिर का। मंदिर के ठीक नीचे से रोरो नदी का शीतल जल का बहाव होता है। यहां पर भक्त रोजाना सुबह चार बजे से रोरो नदी में स्नान कर मां करणी माता के दर्शन के साथ शिवलिंग में जलाभिषेक करते थे, अभी के दौर में मंदिर पूरी तरह सूना पड़ा है। मंदिर सिर्फ सुबह 6 से 7.30 बजे तक ही खुलता है।