अंतरराष्ट्रीय मंच पर मुश्किल में घिरा चीन तो दूसरे देशों पर शुरू कर दी प्रेशर टेक्टिक्स, जानें कैसे
नई दिल्ली। कोरोना वायरस के स्रोत को लेकर लगातार चीन पर सवाल उठते रहे हैं, लेकिन अब दुनिया के 62 देशों ने जिस मुहिम को वर्ल्ड हेल्थ असेंबली के दौरान आगे बढ़ाया है वह चीन के लिए गले की फांस बन गया है। इस मुहिम में भारत के शामिल होने से भी उसकी मुश्किलें काफी बढ़ी हैं। ऐसा इसलिए भी है, क्योंकि दोनों ही एक-दूसरे के पड़ोसी होने के अलावा बड़े व्यापारिक साझेदार भी हैं। हालांकि, ये भी एक सच्चाई है कि चीन से भारत शुरू से ही परेशान रहा है। इसकी वजह है उसकी विस्तारवादी नीतियां जिनको चीन की सरकार पीएलए के माध्यम से हर समय आगे बढ़ाती आई है,लेकिन वर्तमान में चीन पर जो संकट के बादल दिखाई दे रहे हैं वह आने वाले दिनों में कुछ नई कहानी गढ़ सकते हैं
दबाव के बदले दबाव
चीन पर सवालों की बौछार और उसकी पैतरेबाजी पर पर ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के प्रोफेसर और विदेश मामलों के जानकार हर्ष वी पंत मानते हैं कि वो दबाव के बदले दबाव बनाने की कवायद शुरू कर चुका है। उनके मुताबिक, भारत की सीमा पर चीनी सैनिकों की हरकत या नेपाल को भारत के खिलाफ भड़काकर अपने साथ मिलाने की कोशिश भी इसका ही नतीजा है। उन्होंने ये भी कहा है कि कोरोना के मुद्दे पर चीन ने खुद को एक परिपक्व और समझदार ताकतवर देश के तौर पर पेश नहीं किया। वे मानते हैं कि चीन में शी चिनफिंग के सत्ता में आने के बाद उन्होंने एग्रेसिव और एक्सेप्टेड की पॉलिसी अपनाई है। कोरोना संकट के दौरान भी चीन अपनी ताकत का बेजा इस्तेमाल करने से नहीं चूका। इतना ही नहीं चीन ने विश्व के बड़े संस्थानों का दुरुपयोग तक किया।
ताकत का बेजा इस्तेमाल
प्रोफेसर पंत मानते हैं कि पहले चीन ने अपनी ताकत का इस्तेमाल करते हुए इन वैश्विक संस्थानों में अपने लोगों को शामिल करवाया और फिर अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने का काम बखूबी किया। कोरोना संकट के मामले में चीन को जो जानकारियों दूसरे देशों के साथ बांटनी चाहिए थी, वो नहीं की गई। पंत मानते हैं कि दुनिया आज कोरोना संकट की बदौलत जो कुछ झेल रही है यदि चीन ने इस संकट को सही तरीके से निपटाया होता तो ये संकट खड़ा ही नहीं होता। उनके मुताबिक, चीन काफी पहले से ही पूरी दुनिया में फेक न्यूज परोसने के अलावा इस गलतफहमी में भी है कि दुनिया की वो एक बड़ी शक्ति है इसलिए बाकी दुनिया उसके बिना आगे कदम नहीं उठा सकती है। इसके पीछे एक वजह ये भी है कि चीन अपने देश से बाहर आने वाली खबरों को रोकने में महारत रखता है जो अन्य देश न करते हैं और न ही कर सकते हैं। चीन में खबरों को लेकर बंदिशें काफी ज्यादा हैं। इसका ही वे इस्तेमाल करता है।
चीन को अलग-थलग करने की मांग
चीन की इसी दादागीरी का नतीजा है कि अब दुनिया में चीन को अलग-थलग करने और ग्लोबल सप्लाई चेन को नए सिरे से गढ़ने की जरूरत महसूस की जा रही है। इसमें चीन की भागीदारी बेहद कम होगी। पंत की मानें तो चीन ने कोविड-19 की आड़ में पहले तो पीपीई किट के एक्सपोर्ट को बंद किया और फिर बाद में बेहद खराब क्वालिटी की पीपीई किट की सप्लाई पूरी दुनिया में की है। इसको लेकर लगातार कई देशों ने भी सवाल खड़े किए हैं। लेकिन अब आने वाले दिनों में जो बहस जोर पकड़ने वाली है उसमें चीन के लिए मुश्किलें बढ़ना लगभग तय है।