वाराणसी। विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) अवनीश गौतम की अदालत ने 30,577 रुपये के गबन के मामले में ग्रामीण अभियंत्रण सेवा गाजीपुर के तत्कालीन अवर अभियंता कैलाश सिंह को दोषी पाया है। अदालत ने कैलाश को 10 वर्ष की कड़ी कैद और एक लाख दस हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है।
वह बलिया के नवापुरा के इंदिरा आवास निर्माण समिति का सचिव और लखनऊ के मोहनलालगंज का निवासी है। कैलाश सिंह सरकारी सेवा से सेवानिवृत्त हो गया है। वर्तमान में उसकी उम्र 65 वर्ष है। बलिया जिले के सिकंदरपुर थाने में 23 मई 1995 को सतर्कता अधिष्ठान, वाराणसी के डिप्टी एसपी राधे सिंह यादव ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी।एडीजीसी आलोक कुमार श्रीवास्तव के मुताबिक बलिया के विकास खंड नवापुरा के अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा वित्तीय वर्ष 1987- 88 और 1988-89 में सड़क निर्माण, संपर्क मार्ग, नाला-नाली निर्माण, इंदिरा आवास, सुलभ शौचालय निर्माण और वृक्षारोपण आदि कार्यों को कराने के दौरान श्रमिकों को काम के बदले अनाज देने की योजना में गड़बड़ी की गई। प्रस्तावित कार्य नहीं कराए गए, लेकिन अभिलेखों में पूरा दिखाए गए। मस्टररोल तैयार करके शासन से प्राप्त खाद्यान्न के वितरण में गंभीर अनियमितता की गई। श्रमिकों को खाद्यान्न न देकर उसे बाजार में बेचा गया और प्राप्त धनराशि की बंदरबांट की गई।इस मामले में संयुक्त निदेशक सतर्कता अधिष्ठान ने 20 फरवरी 1995 को जांच का आदेश दिया था। विवेचना के बाद कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया गया। 20 अप्रैल 2015 को आरोप तय किया गया था। अदालत ने 10 गवाहों के बयान के बाद लोकसेवक रहते हुए गंभीर प्रवृत्ति के अपराध को देखते हुए अभियुक्त कैलाश सिंह को दोषी पाते हुए सजा सुनाई।