जिले भर में निशुल्क दाखिले के लिए 4296 आवेदन किए गए और 2368 बच्चों का चयन हुआ। 1503 आवेदन निरस्त हो गए। इसके बाद लाटरी निकाली गई जिसमें 425 आवेदन निरस्त हो गए। वहीं एक अगस्त से 10 अगस्त तक चौथे चरण की प्रक्रिया चली। चौथे चरण में कुल 61 फॉर्म आए थे। जिसमें कुल करीब 24 बच्चों का चयन हुआ है। ऐसे में इस वर्ष चयनित न होने के बाद भी स्कूलों द्वारा दाखिला नहीं लिया गया है। जिसके कारण अभिभावक कार्यालयों का चक्कर लगा रहे हैं। जबकि शासन का सख्त आदेश है कि आरटीई के तहत गरीब परिवार के बच्चों को निजी स्कूलों में कक्षा एक से कक्षा आठ तक 25 प्रतिशत सीटों पर निशुल्क प्रवेश दिया जाए।
बेसिक शिक्षा विभाग प्रति छात्र प्रति महीना 450 रुपये फीस प्रतिपूर्ति के रूप में देता है। वहीं पांच हजार रुपये स्टेशनरी इत्यादि खरीदने को अलग से दिए जाते हैं। बीएसए समीर कुमार ने बताया कि शासन के निर्देश पर विद्यालयों में दाखिल हुए बच्चों का सत्यापन कराया जा रहा है। उन विद्यालयों को चिह्नित किया जा रहा है जिन्होंने अभी तक दाखिला नहीं लिया है।