लखनऊ:मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य भूगर्भ जल प्रबन्धन और विनियामक प्राधिकरण की पाँचवी बैठक संपन्न

 

 

 

मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र की अध्यक्षता में राज्य भूगर्भ जल प्रबन्धन और विनियामक प्राधिकरण की पाँचवी बैठक आयोजित की गई।
अपने संबोधन में मुख्य सचिव ने कहा कि जल मनुष्य ही नहीं अपितु समस्त जीव जन्तुओं व वनस्पतियों के लिए जीवनदायी तत्व है। मानव जिस तीव्र गति से जलस्रोतों को अनुचित शैली में दोहन कर रहा है वह भविष्य के लिए खतरे का संकेत है। इसलिए मानव जाति को वर्तमान एवं भावी पीढ़ी को इस खतरे से बचाने के लिए जल संरक्षण के उपायों पर सबसे अधिक ध्यान देने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि अभियान चलाकर छात्र-छात्राओं को प्रदेश में भूगर्भ जल संपदा का महत्व व भूगर्भ जल संसाधनों की सुरक्षा, जल संरक्षण एवं प्रबंधन व नियमन के संबंध में जागरूक किया जाए। विभाग द्वारा अनापत्ति निर्गत करते समय वर्षा जल रिचार्जिंग, वाटर ऑडिट, वाटर मैनेजमेंट प्लान एवं इम्पैक्ट एसेसमेंट इत्यादि को भी शामिल किया जाये।
उन्होंने अधिसूचित क्षेत्रों की घोषणा एवम् भूजल संसाधन आकलन के आधार पर क्षेत्रों को डि-नोटिफाई करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि भूगर्भ जल के व्यवसायिक, औद्योगिक, अवस्थापना एवं थोक उपभोक्ताओं के भूजल निकास की सीमा तय की जाए। जनपदीय भूजल प्रबन्धन परिषद के माध्यम से भूजल प्रदूषण की रोकथाम सुनिश्चित किया जाए।
उन्होंने कहा कि विद्यमान सरकारी एवं अर्द्धसरकारी उपक्रमों एवं संगठनों को अधिनियम के तहत छूट प्रदान करते हुए अनापत्ति निर्गमन की परिधि में लाया जाए। भूजल निष्कर्षण हेतु अनापत्ति निर्गत करने से पूर्व यह परीक्षण कर लिया जाए कि संबंधित उपक्रम द्वारा नियमानुसार कुल भूजल आवश्यकता, भूजल निष्कर्षण के सापेक्ष रिचार्ज और पुनरुपयोग की समुचित व्यवस्था की जाएगी।
बैठक में बताया गया कि वर्ष 2020 एवं वर्ष 2022 के आंकड़ों के आधार पर ग्रामीण क्षेत्र में भूजल स्तर में सुधार होने के कारण 12 पूर्व अधिसूचित विकास खंड नोटिफाइड एरिया से बाहर और भूजल स्तर में गिरावट दर्ज होने पर 07 नये विकास खंड नोटिफाइड एरिया के अन्तर्गत सम्मिलित हुए हैं। इसी प्रकार वर्ष-2020 एवं वर्ष-2022 के आंकड़ों के आधार पर 11 पूर्व अधिसूचित शहरी क्षेत्र नोटिफाइड एरिया से बाहर हुए हैं, साथ ही 02 नये शहरी क्षेत्र नोटिफाइड एरिया के अन्तर्गत सम्मिलित हुए हैं।
बैठक में भूगर्भ जल निधि में प्राप्त राजस्व के आहरण और वितरण के प्रस्ताव को अनुमोदन प्रदान किया गया। भूजल निष्कर्षण, अर्थ दंड से प्राप्त राशि का उपयोग संबंधित जनपद में जल संचयन से सबंधित प्रस्तावों में किया जाएगा। इसी तरह अनापत्ति निर्गमन पंजीकरण हेतु आवेदन शुल्क के द्वारा प्राप्त राजस्व का उपयोग निदेशक, भूगर्भ जल विभाग, उ०प्र० के निवर्तन पर राज्य भूगर्भ जल प्रबंधन और नियामक प्राधिकरण हेतु सृजित तकनीकी सचिवालय के कार्मिकों एवं विषय विशेषज्ञों की सेवाओं के उपार्जन एवं कार्यालय व्यय में किया जाएगा।
बैठक में तकनीकी आख्या एवं प्रदेश में परियोजना की स्थापना व राज्य के समग्र विकास के हित में नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट तथा सरसावा हवाई अड्डा (सहारनपुर) को अधिनियम में निहित प्रविधानों के अंतर्गत अधिसूचित क्षेत्र में कुल भूजल निष्कर्षण के सापेक्ष नियमानुसार भूजल संचयन की समुचित व्यवस्था के अनुरूप सशर्त भूजल निकासी हेतु संस्तुति की गई।
उल्लेखनीय है कि नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट द्वारा नवीन नलकूप के निर्माण हेतु तथा भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण, देहरादून द्वारा सरसावा हवाई अड्डे के संचालन हेतु परिसर में 02 बोरवेल के निर्माण हेतु अनुरोध किया गया था।
बैठक में प्रमुख सचिव नमामि गंगे अनुराग श्रीवास्तव, प्राधिकरण के सदस्य सचिव वीके उपाध्याय समेत अन्य अधिकारीगण आदि उपस्थित थे।