आजमगढ़ 26 मई– जिला कृषि रक्षा अधिकारी डाॅ0 उमेश गुप्ता ने किसान भाइयों को अवगत कराया है कि राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश इसके अलावा अपने प्रदेश के जनपद झासी, ललितपुर में टिड्डी दल का आक्रमण हो चुका है, तथा आगरा में भी राजस्थान की ओर से आक्रमण की सम्भावना बनी हुई है। टिड्डी दल एक साथ लाखांे की संख्या में गमन करते है जिस क्षेत्र में इनका आक्रमण होता है वहाॅ का क्षेत्र विरान हो जाता है। यह नीम, आक, जामुन और शीशम को छेडकर सभी फसलो एवं पेड पौधो की पत्तियों को खा जाते है। यह अपने वजन का दो गुना प्रतिदिन भोजन ग्रहण करती है। टिड्डीयाॅ एक दिन में 100-150 किमी दूरी तय कर लेती है। इनका आगे बढना हवा की गति एवं दिशा पर निर्भर करता है। ये हवा के विपरीत नही चलते। इनके सम्भावित प्रकोप को किसी दृष्टि से कम करके नही आका जा सकता। टिड्डी दल प्रायः सूर्यास्त के समय किसी न किसी पेड पौधो पर सूर्योदय होने तक आश्रय लेते है। आश्रय के समय फसलों को बहुत आर्थिक नुकसान/ समस्त फसलों को नष्ट भी कर देती है। तथा एक मादा टिड्डी 500 से 1500 अण्डे देती है फिर सुबह उड़ जाती है। अतः इनके नियन्त्रण के लिये संस्तुत रसायनों का छिड़कांव का सबसे उपयुक्त समय रात्रि 8ः00 बजे से सुबह 8ः00 बजे तक माना जाता है। टिड्डी दल के दिखाई देते ही किसान भाई अपनी फसलों/पेड़ो आदि पर बैठने से रोकने हेतु सायंकाल के समय थाली, ढोल, नगााड़े, घण्टीयां, पटाखे आदि की तेज आवाज करके इनको भगा सकते है। प्रकाश प्रपंच का प्रयोग करके भी टिड्डीयों को एकत्रित करके नष्ट किया जा सकता है। टिड्डीयों का प्रकोप होने पर क्लोरपायरीफाॅस 20 प्रतिशत ई0सी0 1200 मिली0, लेम्डा साइहेलोथ्रीन 5 प्रतिशत ई0सी0 400 मिली0 या बेन्थियोंकार्ब 80 प्रतिशत 125 ग्रा0, 500 ली0 पानी में घोलकर छिड़कांव करें या फेनवेलरेट 0.4 प्रतिशत अथवा मैलाथियान 5 प्रतिशत धूल 20 से 25 किग्रा0 प्रति हेक्टेयर की दर से सुबह पत्तियों पर ओस देखकर बुरकाव करें।टिड्डी दल के प्रकोप होने की सूचना ग्राम प्रधान, लेखपाल कृषि विभाग के प्राविधिक सहायकों एवं ग्राम पंचायत अधिकारी के माध्यम से कृषि विभाग एवं जिला प्रशासन तक तत्काल पहुचायें। टिड्डी दल के आक्रमण की दशा में जनपद स्तर पर बना कन्ट्रोल रुम मोबाइल नं0 9919588753 एवं 9450809578 पर जानकारी उपलब्ध करायें।