नई दिल्ली: केवल 15 राज्यों ने अपनाया केंद्र का मॉडल भूजल कानून, पानी के स्रोतों और इस्तेमाल के नियमन और निगरानी पर ढीला ढाला रवैया

केवल 15 राज्यों ने अपनाया केंद्र का मॉडल भूजल कानून, पानी के स्रोतों और इस्तेमाल के नियमन और निगरानी पर ढीला ढाला रवैया
ब्यूरो, नई दिल्ली। पानी की गंभीर चिंता के बावजूद एक तथ्य यह भी है कि केवल 15 राज्यों ने भूजल दोहन और रिचार्ज के नियम-कायदे तय करने वाले केंद्र के मॉडल कानून को अपनाया है। पानी का राज्यों का विषय है, इसलिए केंद्र सरकार इसकी निगरानी और नियमन के लिए सुझाव तो दे सकती है, लेकिन कोई बाध्यकारी प्रविधान नहीं कर सकती। इस मॉडल कानून को अपनाने के मामले में स्वाभाविक रूप से केंद्रशासित क्षेत्रों का रिकार्ड अच्छा है। छह केंद्रशासित प्रदेश इसे अपना चुके हैं।

केवल 15 राज्यों ने अपनाया मॉडल

केंद्रीय जलशक्ति राज्य मंत्री बीरेश्वर टूडू ने राज्यसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में बताया है कि अब तक केवल आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, गोवा, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, नगालैंड, ओडिशा, पंजाब, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और बंगाल ने ही मॉडल भूजल कानून को अपनाया है- या तो उसके मूल स्वरूप में या फिर अपने हिसाब से किए गए संशोधन के मुताबिक।केंद्र सरकार ने 2020 में यह मॉडल कानून राज्यों के साथ इस अपेक्षा के साथ साझा किया था कि वे इसी के अनुरूप स्थानीय जरूरतों के मुताबिक अपने-अपने कानून बनाकर लागू करेंगे, लेकिन उनकी रफ्तार बहुत धीमी है। मॉडल कानून हर क्षेत्र में भूजल के इस्तेमाल का नियमन करता है।

बिल का मसौदा 2016 में हुआ था तैयार

इसमें यह व्यवस्था भी की गई है कि राज्य अलग-अलग क्षेत्रों में पानी के इस्तेमाल के लिए दरें भी तय करेंगे। सबसे पहले इस मॉडल बिल का मसौदा 2016 में तैयार किया गया था और अगले साल इसके ड्राफ्ट में कुछ संशोधन किया गया। 2019 में नीति आयोग की सिफारिशों के अनुरूप इसमें नए प्रविधान जोड़े गए।
जल शक्ति मंत्रालय के एक अधिकारी के अनुसार राज्यों से कई बार यह सिफारिश की गई है कि वह मुफ्त पानी की अपनी नीतियों पर पुनर्विचार करें। इसी तरह गहरे ट्यूबवेल की निगरानी के लिए भी राज्यों को लगातार सुझाव दिए जाते रहे हैं। मंत्रालय ने जल स्रोतों के मैनेजमेंट के लिए कई स्तरों पर प्रयास किए हैं, जिसमें पानी के उपयोग की दक्षता बढ़ाने के लिए विशेषज्ञों की समिति बनाना भी शामिल है।
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भूजल के स्रोतों का विकास और उनका प्रबंधन पूरी तरह राज्यों का दायित्व है। केंद्र वित्तीय और तकनीकी सहायता के जरिये उनकी अधिक से अधिक मदद करने की कोशिश करता है। 2019 में शुरू किया गया जलशक्ति अभियान इसी का हिस्सा है। इसके तहत पानी की कमी का सामना कर रहे 256 जिलों को विशेष सहायता के लिए कवर किया गया है।