आजमगढ़ 28 मई– मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डा0 वी0के0सिंह ने सभी पशुपालकों को अवगत कराया है कि इस समय सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश में गर्म हवाएॅ/लू का प्रकोप व्याप्त है, जिससे तापमान काफी बढ़ गया है।उन्होने बताया कि इस अवस्था में उचित प्रबंधन से पशुओं को लू से बचाना अति-आवश्क है। गर्म हवाएॅ/लू के प्रभाव से पशु की उत्पादन क्षमता कम हो जाती है, इसके साथ ही उचित देख-रेख एवं प्रबंधन न होने से पशुओं में बीमारी की संभावना बढ़ जाती है। पशुपालन जीविका का साधन है। अतएव यह आवश्यक है कि गर्म हवाएॅ/लू से बचाव हेतु पशुपालकों को चाहिए कि पशुओं को सीधे धूप वाले स्थान में न रखे।चरायी हेतु प्रातः एवं सांय काल ही भेजे। विशेष तौर पर पूर्वान्ह 10.00 से अपरान्ह 4.00 बजे के बीच सूर्य के ताप से पशुओं को बचाए, उन्हें खुले स्थान/धूप में न खड़ा करें ।पशुओं को ऊपर से ढके हुए छप्पर ,टीनशेड वाले स्थानों में रखे तथा यह विशेष ध्यान रखे कि रोशनदान,दरवाजों एवं खिडकियों को टाट/बोरे से ढक दे जिससे सीधे हवा का झोंका पशुओं तक न पहुॅच सके तथा टाट/बोरे पर पानी का छिड़काव करते रहे। पशुओं को छाया में बांधे और उन्हें पर्याप्त मात्रा में पानी/तरल पदार्थ पिलाए। पशुओं को खली,दाना,चोकर,नमक एवं गुड के साथ संतुलित आहार दें। धूप में ज्यादा देर तक रखा पानी पशुओं को न पिलायें बल्कि ताजा व स्वच्छ पानी पिलाये। लू से प्रभावित पशु में बुखार के लक्षण होते हैं, उसे तत्काल निकटवर्ती पशु चिकित्सक को दिखाकर सलाह लें और परामर्श का पूर्ण रूप से पालन करें। पशुओं को दिन में एक बार अवश्य नहलाये। घर के बाहर छायादार स्थानों पर कटोरे में पानी भरकर रख दें, जिससे अन्य पक्षी भी पी सके। तापमान बढ़ने से सिंचाई के अभाव में चरी के सूखने एवं जहरीली होने की प्रबल सम्भावना रहती है। जहरीली चरी खाने से पशुओं की मृत्यु हो सकती है।अतः सिंचाई के अभाव में सूखी चरी पशुओं को कदापि न खिलाए। परन्तु यदि विषाक्तता की स्थिति दिखाई पडे़ तो तत्काल पानी पिलाकर जीवन रक्षा का प्रयास करें। तत्पश्चात निकटतम पशु चिकित्सक से सम्पर्क करें।
डा0 सिंह द्वारा बताया गया कि गला घोंटू एक जीवाणुजनित रोग है और इसका प्रभाव जून से अगस्त तक पशुओं को ज्यादा प्रभावित करता है। बीमार पशु के प्रमुख लक्षण हैं-पशु को अचानक तेज बुखार आता है, पशु चारा-पानी छोड़ देता है,मुॅह से लार गिरने लगती है, गले में सूजन आ जाती है, पशु को सांस लेने में भयंकर तकलीफ होती है, मुॅह से घर्र-घर्र की आवाज आने लगती है, जीभ बाहर निकल आती है। यदि समय पर इलाज न हुआ तो पशु की मृत्यु भी हो सकती है। अतः टीकाकरण मानसून आने से पूर्व अवश्य करवा लेना चाहिए। वर्तमान में इसका टीका प्रत्येक पशु चिकित्सालय पर उपलब्ध है। इस समय गला घोंटू टीकाकरण का अभियान चलाया जा रहा है। टीकाकरण निःशुल्क है । सभी पशुपालकों से अपील है कि टीकाकरण में सहयोग करें एवं अपने पशुओं को टीका अवष्य लगवायें। टीकाकरण से कोई भी पशु वंचित न रहने पायें। मानसून आने से पूर्व गला घोंटू बीमारी से बचाव का टीका अपने पशु को अवष्य लगवाये । यह टीका निःशुल्क लगाया जाता है। किसी भी आपातकालीन स्थिति में पशु पालन विभाग के नोडल अधिकारी डा0 एस0पी0 सिंह,उप मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी (चिकित्सा स्वास्थ्य) मुख्यालय के मोबाइल नम्बर 9450631724 पर सम्पर्क करें ।