चीन से सीमा पर जारी तनाव के बीच अमेरिकी रक्षा मंत्री मार्क एस्पर ने की राजनाथ सिंह से बात

वाशिंगटन। भारत-चीन सीमा विवाद के बीच अमेरिकी रक्षा मंत्री मार्क एस्पर ने शुक्रवार को भारतीय रक्षा मंत्री से फोन पर बातचीत कर दोनों देशों की रक्षा साझेदारी को और मजबूती देने का आश्वासन दिया। यह जानकारी पेंटागन ने दी। पेंटागन के सूत्रों ने बताया कि दोनों नेताओं ने क्षेत्रीय सुरक्षा के विभिन्न मुद्दों पर लंबी चर्चा की। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, एस्पर ने भारत के साथ मजबूत रक्षा साझेदारी के लिए अपने समर्थन की बात दोहराते हुए भारत में कोरोना और एम्फन तूफान से हुई मौतों पर अफसोस जताया। उन्होंने शीघ्र ही भारत आने की भी इच्छा जताई।

चीन से तनाव के बीच बातचीत

इस बीच नई दिल्ली में सरकारी सूत्रों ने बताया कि रक्षा मंत्री ने अपने अमेरिकी समकक्ष को बता दिया है कि भारत-चीन सीमा विवाद में किसी तीसरे पक्ष की भूमिका की कोई गुंजाइश नहीं है। दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों के बीच यह बातचीत ऐसे समय हुई है जब भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर काफी तनातनी चल रही है। बुधवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दोनों देशों (भारत-चीन) के बीच मध्यस्थता की बात कही थी। हालांकि भारतीय विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को परोक्ष रूप से ट्रंप का प्रस्ताव ठुकराते हुए कहा था भारत शांतिपूर्ण तरीके से चीन से मामले का हल निकालने के लिए प्रयासरत है। बाद में चीन ने भी ट्रंप का प्रस्ताव ठुकरा दिया।

सेना के अफसरों ने चर्चा की

समाचार एजेंसी आइएएनएस के मुताबिक, सेना के वरिष्ठतम अधिकारियों ने चीन के लद्दाख और सिक्किम में घुसपैठ और झ़ड़प की घटनाओं पर गंभीरता से चर्चा की है। यह चर्चा तीन दिनों तक चली है। इसमें सुरक्षा को लेकर उत्पन्न खतरे की गहन समीक्षा की गई। सूत्रों ने बताया कि बैठक पूर्वी लद्दाख में हालात की समीक्षा पर केंद्र‍ित रही। 27 मई को सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवाणे की अध्यक्षता में हुई बैठक में पूर्वी लद्दाख के चार स्थानों पर हुई दोनों सेनाओं की झड़प पर विशेष रूप से ध्यान दिया गया। यह समस्या तब शुरू हुई जब पांच और छह मई को चीनी सेना एलएसी (भारत-चीन की वास्तविक रेखा) पेंगाग झील के भारतीय क्षेत्र में घुस आई है।

भारतीय सेनाएं भी मुस्‍तैद

रिपोर्टों के मुताबिक, पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी पर चीनी सेना को रोकने के लिए भारतीय सेनाएं भी मुस्तैद हो गई हैं। थल सेना ने गलवन घाटी और पैगांग त्सो इलाके में यूएवी (अनमैंड एरियल व्हीकल) तैनात कर दिए हैं जबकि वायुसेना ने भी पूर्वी लद्दाख में अपनी गतिविधियों को बढ़ाते हुए चिनूक हेलीकॉप्टर को अग्रिम इलाकों में उतारा है। यही नहीं लेह स्थित सेना की फायर एंड फ्यूरी कोर के अधीन सेना की 81 और 114 ब्रिगेड ने चीनी सेना से निपटने के लिए अपने जवानों और अधिकारियों को 24 घंटे ऑपरेशनल मोड में रहने के आदेश दिए हैं।