लखनऊ। यूपी के सरकारी मेडिकल कॉलेजों और चिकित्सा संस्थानों में ट्रॉमा, इमरजेंसी व सेमी इमरजेंसी सेवाओं में इलाज के लिए मरीज का कोरोना टेस्ट निगेटिव होना जरूरी है। यही नहीं उसके साथ जो तीमारदार आ रहा है उसकी रिपोर्ट भी निगेटिव होनी चाहिए। तभी डॉक्टर मरीज को देखेंगे व जांच करेंगे अन्यथा नहीं। महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने नॉन कोविड अस्पतालों में इलाज के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं।
प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा रजनीश दुबे ने बताया कि टेलीमेडिसिन या ई-ओपीडी में चिह्नित मरीजों को सेम इमरजेंसी में इलाज के लिए एक रजिस्ट्रेशन नंबर दिया जाएगा। उसे मेडिकल कॉलेज आने पर सैंपल कलेक्शन सेंटर का स्थान बताया जाएगा। सभी मरीजों को सलाह दी गई है कि अस्पताल में आने पर उसका व उसके तीमारदार की रियल टाइम पीसीआर जांच रिपोर्ट निगेटिव होना चाहिए। इसके लिए वह इंडियल काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) से अनुमोदित प्रयोगशाला से वह जांच करवाकर आ सकते हैं।
अस्पताल में आने पर शारीरिक दूरी के नियमों, थर्मल स्कैनिंग आदि का पालन करते हुए ट्रायज एरिया में देखा जाएगा। मरीज को चिकित्सालय में निर्धारित कक्ष में अपने रजिस्ट्रेशन नंबर के साथ कोविड-19 जांच करवानी होगी। जांच निगेटिव आने पर ओपीडी क्षेत्र जो अब सेमी इमरजेंसी होगा, उसमें उसे देखा जाएगा। प्रत्येक अस्पताल में सेमी इमरजेंसी एरिया का निर्धारण विभागवार किया जाएगा।
प्रवेश पर रोगी व तीमारदार की आरटी पीसीआर जांच निगेटिव होने की पुष्टि की जाएगी। निगेटिव रिपोर्ट वाले मरीजों का संबंधित ओपीडी केबिन में विशेषज्ञ जांच करेंगे। जरूरत के अनुसार उन्हें पैथोलाजी व रेडियोलाजी जांच के लिए भेजा जाएगा। सेमी इमरजेंसी वाले मरीज को अगर भर्ती होना पड़ा तो एक से अधिक तीमारदार की आवश्यकता होती है तो वो तीमारदार कोविड-19 की जांच आइसीएमआर से अनुमोदित प्रयोगशाला से करवाकर आ सकते हैं। राजकीय चिकित्सालयों में छूट पर भी जांच करवाई जा सकती है।
अस्पतालों के प्रवेश से लेकर निकासी तक सभी डॉक्टर, मरीजों व तीमारदारों को शारीरिक दूरी का पालन, सैनिटाइजेशन व मास्क आदि लगाने जैसी सर्तकता बरतनी होगी। सेमी इमरजेंसी एरिया में बिजली, जल आपूर्ति व अन्य अनिवार्य सेवाएं दी जाएंगी।