कनाडा और ब्रिटेन जी-7 में रूस की वापसी के पक्ष में नहीं, डोनाल्ड ट्रंप ने दिया था प्रस्ताव

ओटावा। कनाडा और ब्रिटेन जी-7 में रूस की वापसी के पक्ष में नहीं हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार को इस आशय का प्रस्ताव किया था।

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिस ट्रूडो ने सोमवार को कहा, ‘कुछ साल पहले क्रीमिया पर चढ़ाई के बाद रूस को जी-7 से निकाल दिया गया था। वह अभी भी अंतरराष्ट्रीय नियमों और मानकों के प्रति असम्मान और अकड़ जारी रखे हुए है। इसीलिए वह जी-7 से बाहर है और बाहर ही बना रहेगा।’

वहीं, ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के प्रवक्ता ने कहा, ‘हम देखेंगे कि अमेरिका क्या प्रस्ताव करता है। यह रिवाज है कि जो देश जी-7 की अध्यक्षता करता है वह सम्मेलन में मेहमान के तौर पर कुछ अन्य नेताओं को आमंत्रित करता है। क्रीमिया पर चढ़ाई (2014) के बाद रूस को जी-7 से हटा दिया गया था और हमें अभी भी उसके व्यवहार में बदलाव के सुबूत देखने हैं जो उसके पुन:प्रवेश को न्यायोचित ठहराएं। हम समूह के सदस्य के तौर पर उसके पुन:प्रवेश का समर्थन नहीं करेंगे।’

भारत का बढ़ा दबदबा

वहीं, दूसरी ओर अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने यह संकेत भी दिया  कि विकसित देशों के समूह जी-7 (G-7) के सदस्‍य देशों का विस्‍तार किया जाएगा। इसमें भारत का भी नाम शामिल होगा। अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर भारत के लिए यह काफी अहम है। इस मंच के जरिए अब भारत की साझेदारी विकसित देशों के साथ होगी। इससे वैश्विक स्‍तर पर भारत का दबदबा भी बढ़ेगा। यह भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक जीत है।

हालांकि, कोरोना महामारी के चलते राष्‍ट्रपति ट्रंप ने जी-7 की होने वाली बैठक को टाल दिया है। ट्रंप ने शनिवार को कहा है कि समय की मांग है कि इस समूह का विस्‍तार किया जाए। उन्‍होंने कहा कि  जी-7 का स्‍वरूप काफी पुराना हो चुका है। यह पूरी दुनिया का ठीक से प्रतिनिधित्‍व नहीं करता है। इसलिए इसका विस्‍तार जरूरी है। आइए जानते हैं आखिर क्‍या है जी-7। अतंरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर क्‍या है उसकी भूमिका और चुनौतियां। भारत के शामिल होने से कैसे एशिया के बदलेंगे समीकरण।

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