ऑटोमोबाइल बाजार में रौनक लौटने में अभी लगेगा काफी समय

नई दिल्ली। अप्रैल का महीना लॉकडाउन की वजह से देश की ऑटो कंपनियों के लिए शून्य बिक्री के साथ पूरी तरह से सूखा निकला है। मई में सशर्त बिक्री की इजाजत मिलने के बाद थोड़ी आशा तो जगी, लेकिन वह बहुत धीमी है। देश की सबसे बड़ी कार कंपनी मारुति सुजुकी ने बताया है कि उसने मई में महज 18,539 कारों की बिक्री की है जिसमें घरेलू बाजार में 13,865 यूनिट्स की बिक्री रही है। हालांकि यह मई, 2019 के मुकाबले 86 फीसद कम है। दूसरी सबसे बड़ी कार कंपनी Hyundai मोटर इंडिया की बिक्री में 79 फीसद की गिरावट हुई है और इसने कुल 12,583 कारों की बिक्री की है। दोनों कंपनियां घरेलू कार बाजार में तकरीबन 70 फीसद हिस्सेदारी रखती हैं।

लॉकडाउन में काफी ढिलाई होने के बावजूद कार कंपनियों के लिए सभी शोरूम को खोलना संभव नहीं हो सका है। अगर दूसरी कार कंपनियों को देखें तो महिंद्रा एंड महिंद्रा की बिक्री में कुल 79 फीसद की गिरावट हुई है। पैसेंजर कारों की बिक्री मई, 2019 के 20,608 के मुकाबले घटकर 3,867 रह गई है जबकि इस दौरान कमर्शियल वाहनों की बिक्री 17,879 से घटकर 5,170 रह गई है। लेकिन कंपनी के लिए अच्छी बात यह रही है कि इसके ट्रैक्टरों की बिक्री में दो फीसद का इजाफा हुआ है। यह बताता है कि लॉकडाउन का कृषि क्षेत्र में मांग बहुत कम नहीं हुई है। रबी की फसल अच्छी होने से आगे भी ट्रैक्टर मांग में इजाफा होने की संभावना जताई जा रही है।

हीरो मोटोकॉर्प ने बताया है कि उसके दोपिहया वाहनों की बिक्री में मई के महीने में 82 फीसद की बड़ी गिरावट हुई है। कंपनी ने पिछले वर्ष मई में मोटरसाइकिल व स्कूटर मिलाकर कुल 6,52,028 वाहनों की बिक्री की थी जबकि पिछले महीने महज 1,12,682 की बिक्री हुई है। देश में कंपनी के छह प्लांट हैं और सभी में उत्पादन शुरू हो गया है। लेकिन मांग व लॉकडाउन नियमों की वजह से वे अपनी क्षमता का बहुत ही कम उत्पादन कर रही हैं। दोपहिया वाहन निर्माता कंपनी रॉयल एनफील्ड ने कहा है कि उसके मोटरसाइकिल की बिक्री में 69 फीसद की गिरावट हुई है। इसी तरह से भारी वाहन बनाने वाली कंपनी अशोक लेलैंड की बिक्री में 89 फीसद की गिरवट दर्ज हुई है।

कंपनियों का कहना है कि जून के महीने में ही लॉकडाउन के पूरी तरह से खत्म होने की उम्मीद नहीं है जिसकी वजह से उनके लिए खुलकर काम करना संभव नहीं है। हर राज्य के अलग अलग नियम होने की वजह से भी उत्पादन को सुचारू तौर पर बनाए रखना मुश्किल है। अब इनकी नजर सितंबर, 2020 से शुरू होने वाले त्योहारी सीजन पर ही है। त्योहारी सीजन के दौरान ही ऑटो बाजार में ग्राहकों के लौटने की संभावना है।