कोरोना महामारी से बाहर निकलने को लेकर आइसीएमआर ने उठाया महत्‍वपूर्ण कदम

 इंदौर। कोरोना महामारी से बाहर निकलने की दिशा में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) ने महत्वपूर्ण कदम उठाने की तैयारी की है। उसने मध्य प्रदेश सहित सभी राज्यों को निर्देश दिया है कि लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता की जांच कराएं। इसके लिए सेरो सर्वे होगा। सर्वे में लिए गए सैंपलों में इम्युनोग्लोबुलिन-जी (आइजी-जी) एलाइजा टेस्ट किया जाएगा। यदि 70 प्रतिशत लोगों में एंटीबॉडी विकसित हो चुकी होगी तो महामारी से बाहर निकलने का एलान हो सकता है

सामान्‍यत: 14 दिनों में संक्रमित व्‍यक्ति के भीतर विकसित होती है एंटीबॉडी 

गौरतलब है कि जब भी कोई वायरस शरीर पर हमला करता है तो शरीर में उसके खिलाफ एंटीबॉडी विकसित होने लगती है। यह एंटीबॉडी ही उस वायरस को खत्म कर व्यक्ति को बीमारी से निजात दिलाती है। सामान्यत: कोविड-19 का हमला होने के 14 दिन के भीतर संक्रमित व्यक्ति के शरीर में वायरस से लड़ने वाली एंटीबॉडी विकसित हो जाती है और व्यक्ति स्वस्थ हो जाता है। इसके सटीक आकलन के लिए देशभर में लोगों को 17 श्रेणियों में बांटा गया है ताकि विस्तृत सर्वे हो और सही नतीजे सामने आ सकें।

ये हैं 17 श्रेणियां

गंभीर मरीज : इस श्रेणी में ऐसे गंभीर मरीजों को शामिल किया गया है जिन्हें मधुमेह, टीबी, किडनी की समस्या है। सेरो सर्वे में इस तरह के गंभीर मरीजों की रैंडम सैंपलिंग की जाएगी।

कंटेनमेंट एरिया में रहने वाले : जिन इलाकों में बड़ी संख्या में कोरोना पॉजिटिव मिले हैं, वहां के रहवासियों की रैंडम सैंपलिंग होगी।

स्वास्थ्य कर्मचारी : कोरोना मरीजों के सीधे संपर्क में आने वाले डॉक्टर, नर्सिग स्टाफ, सफाईकर्मी आदि।

सुरक्षाकर्मी : सभी सुरक्षाकर्मी जो आने-जाने वालों की थर्मल स्क्रीनिंग, शारीरिक जांच इत्यादि में लगे हैं।

पुलिसकर्मी और पैरामिलिट्री : ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मी और पैरामिलिट्री के लोग जो कोरोना मरीजों के सीधे संपर्क में आ रहे हैं।

मीडियाकर्मी : कोरोना संक्रमित क्षेत्रों में रिपोर्टिग कर रहे हैं, प्रेसवार्ता आदि में शामिल हो रहे हैं।

गांव लौटे मजदूर : यात्रा के दौरान इनके संक्रमित क्षेत्रों से गुजरने की आशंका है।

दैनिक वेतनभोगी : कारखानों में काम करने वाले दैनिक वेतनभोगी रोजाना अलग-अलग जगह काम करते हैं। ऐसे में इनके संक्रमित होने की आशंका ज्यादा है।

किसान : अपनी फसल बेचने बाजार जाते हैं। साथ ही व्यापारी सीधे किसानों के संपर्क में आते हैं।

निगमकर्मी : सफाई, जलप्रदाय, बिजली सप्लाय आदि में लगे कर्मचारी, क्योंकि वे रहवासियों के सीधे संपर्क में आते हैं।

ड्राइवर : एंबुलेंस चालक, बस चालक, ऑटो रिक्शा चालक आदि, क्योंकि ये लोगों के बड़े समूह के संपर्क में रहते हैं।

बैंककर्मी, कोरियर वाले, पोस्ट ऑफिस कर्मचारी : ये सभी रपये, सामान आदि के लेनदेन के कारण दूसरों के संपर्क में आते हैं।

दुकानदार : दुकानदार और दुकानों में काम करने वाले कर्मचारी अन्य लोगों के संपर्क में आते हैं।

हवाई यात्रा से जुड़े लोग : ये लोग कई अन्य लोगों के सीधे संपर्क में आते हैं।

अतरराष्ट्रीय मामलों से जुड़े लोग

वृद्धाश्रम, बाल आश्रम और गरीब बस्तियों में रहने वाले

कैदी

जांच में सफल रही है किट

जिस इम्युनोग्लोबुलिन-जी (आइजी-जी) एलाइजा टेस्ट के जरिए भारतीयों के शरीर में कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ने वाली एंटीबॉडी की जांच की जानी है, उसकी किट पूरी तरह से स्वदेशी है। यह नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी पुणे में विकसित की गई है। तीन चरणों में जांच कर इसकी क्षमता परखी जा चुकी है। जांच में यह किट पूरी तरह से सफल रही है।

रतलाम मेडिकल कॉलेज और कम्युनिटी मेडिसिन विशेषज्ञ के डीन डॉ. संजय दीक्षित ने कहा कि लंबे समय से भारतीय कोरोना के साथ हैं। ऐसे में हमारे शरीर में कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी विकसित हो गई हो, इस बात की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता। सेरो सर्वे के जरिए इसी का पता लगाया जाना है। सर्वे में यह पता चलता है कि 70 प्रतिशत से ज्यादा लोगों में एंटीबॉडी विकसित है तो हम महामारी से बाहर निकल जाएंगे।

एमजीएम मेडिकल कॉलेज इंदौर की डीन डॉ. ज्योति बिंदल ने कहा कि अब तक आइसीएमआर से एंटीबॉडी को लेकर सेरो सर्वे के संबंध में कोई निर्देश नहीं मिले हैं। इस संबंध में जो भी दिशानिर्देश मिलेंगे, उनका पालन किया जाएगा।