लखनऊ। प्रदेश में छह चरण की वोटिंग के दौरान राज्य की 67 लोकसभा सीटों पर चुनाव हो चुका है। इन छह चरणों के दौरान सबसे ज्यादा चर्चा का विषय कम होती वोटिंग रही है। बीते लोकसभा चुनाव के लिहाज से देखा जाए तो हर चरण में वोटिंग कम हुई है। दूसरी ओर समाजवादी पार्टी और बीजेपी के लिए कुछ सेफ सीटों पर भी खेल बिगड़ सकता है। दरअसल, यूपी में पहले दो चरण के दौरान बीते 2019 के चुनाव के मुकाबले काफी कम वोटिंग हुई है। पहले चरण में बीते चुनाव के मुकाबले 5.31 फीसदी कम वोटिंग हुई है। दूसरी चुनाव में ये अंतर और बढ़ा तो दोनों ओर खलबली मच गई। दूसरे चरण के दौरान बीते चुनाव के मुकाबले 6.99 फीसदी कम वोटिंग हुई है. हालांकि तीसरे चरण के बाद वोटिंग में काफी सुधार हुआ है। काफी सुधार होने के बाद भी तीसरे चरण के दौरान बीते चुनाव के मुकाबले 2.24 फीसदी कम वोटिंग हुई है. अगर बीते चुनाव के आंकड़ों के लिहाज से देखें तो चौथे चरण के दौरान 0.53 फीसदी, पांचवें चरण में 0.36 फीसदी और छठे चरण में 0.45 फीसदी कम वोटिंग हुई है. यानी पहले दो चरण के वोटिंग के बाद स्थिति में कुछ सुधार जरूर हुआ है लेकिन फिर भी वोटिंग कम हुई है। इसके अलावा कुछ सीटों पर ज्यादा वोटिंग होने और कुछ सीटों पर काफी कम वोटिंग होने से दोनों गठबंधन का गणित बगड़ने की संभावना बढ़ती जा रहा है।
राज्य में जिन 67 सीटों पर चुनाव हुआ है उसमें सबसे ज्यादा वोटिंग बाराबंकी में हुई है, यहां 67.20 फीसदी वोट पड़े हैं। दो बार से इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है और इस सीट पर सबसे ज्यादा वोटिंग होने के बाद इसकी चर्चा भी खूब हो रही है। फूलपुर सीट पर अब तक सबसे कम वोटिंग हुई है, यहां केवल 48.91 फीसदी वोट पड़े हैं। अगर ज्यादा वोटिंग की बात करें तो लखीमपुर खीरी में 64.68 फीसदी, अमरोहा में 64.58 फीसदी, धौरहरा में 64.54 फीसदी और झांसी में 63.86 फीसदी वोटिंग हुई है। इनमें ज्यादातर सीटों पर बीजेपी बीते दो चुनावों के दौरान काफी ज्यादा मार्जिन से जीती है। हालांकि अमरोहा में 2019 में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था। अब ज्यादा वोटिंग के बाद बीजेपी और सपा गठबंधन के रणनीतिकार अपने-अपने हिसाब से कहानी गढ़ रहे हैं। दोनों ही पक्ष इन सीटों पर जीत का दावा भले ही कर लें लेकिन वोटर्स के मन को पढ़ना इसके लिए मुसीबत बनते नजर आ रहा है। राज्य में कम वोटिंग ने तो पहले बीजेपी खेमे में खलबली मचा रखी थी, हालांकि अब देखा जाए बीते कुछ चुनावों के दौरान जहां बीजेपी बड़े अंतर से जीती है उन सीटों पर इस बार कम वोटिंग हुई है। राज्य की फूलपुर सीट पर 48.91 फीसदी, मथुरा सीट पर 49.41 फीसदी, गाजियाबाद सीट पर 49.88 फीसदी, प्रतापगढ़ सीट पर 51.60 फीसदी और गोंडा सीट पर 51.62 फीसदी वोट पड़े हैं।

फूलपुर सीट पर दो चुनावों को छोड़ दे तो सपा का दबदबा रहा है। इस बार फिर से यह सीट कम वोटिंग के कारण दोनों गठबंधन के लिए अबूझ पहेली बन गई है। मथुरा सीट पर बीते चुनावों के दौरान बीजेपी का वर्चस्व नजर आया है। यहां से हेमा मालिनी चुनाव जीतकर संसद पहुंची हैं लेकिन अब कम वोटिंग ने बीजेपी की टेंशन बढ़ा रखी है। गाजियाबाद सीट बीजेपी के लिए सेफ सीट मानी जाती है, ऐसे में यहां कम वोटिंग के कारण भी बीजेपी के लिए कोई ज्यादा टेंशन की स्थिति नजर नहीं आती है। लेकिन प्रतापगढ़ पर बीते दो चुनावों से पहले बीजेपी या उसका गठबंधन कुछ खास कमाल नहीं कर पाया है। इस वजह से यहां कम वोटिंग होने के साथ ही राजा भैया के कारण बीजेपी का मामला फंसता हुआ नजर आ रहा है। गोंडा में जीत की हैट्रिक लगाने की कोशिश कर रही बीजेपी के लिए कम वोटिंग चिंता का सबब बनी हुई है। हालांकि अब चार जून को ही पता चल पाएगा कि दोनों ओर के गठबंधन में किसके रणनीतिकार अपने योजना को धार दे पाए हैं। लेकिन अभी की स्थिति में दोनों ही पाले के रणनीतिकारों में खलबली मची हुई है और कम वोटिंग इनके लिए एक अबूझ पहले बन गई है।