नई दिल्ली। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच पहली वर्चुअल शिखर बैठक काफी अहम होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ऑस्ट्रेलिया के पीएम स्कॉट मॉरिसन के बीच द्विपक्षीय रिश्तों के अलावा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से समूह-7 देशों की जगह पर नया वैश्विक मंच बनाने के प्रस्ताव पर भी बात होने की संभावना है। ट्रंप ने एक दिन पहले ही इस बारे में मोदी से बात की है और उन्होंने नए मंच में भारत के साथ ऑस्ट्रेलिया व दो और देशों को शामिल करने का प्रस्ताव किया है।
विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक भारत और ऑस्ट्रेलिया के आपसी रिश्ते बहुत ही गर्माहट भरे हैं जो लगातार मजबूत होते जा रहे हैं। 6 अप्रैल, 2020 को भी मोदी और मॉरिसन के बीच टेलीफोन पर बात हुई थी जिसमें द्विपक्षीय संबंधों के तमाम आयामों के साथ कोविड-19 को लेकर भी सहयोग करने पर सहमति बनी थी। मॉरिसन व मोदी के बीच होने वाली इस शिखर वार्ता की अहमियत इसलिए भी बढ़ जाती है कि दोनो देशों की अभी चीन के साथ बहुत ही तल्ख रिश्ते हैं। कोविड-19 पर ऑस्ट्रेलिया के तीखे रवैये को देखते हुए चीन ने उससे होने वाले भारी भरकम आयात को रोकने की धमकी दी है। लेकिन ऑस्ट्रेलिया के रवैये में कोई बदलाव नहीं आया है। दूसरी तरफ भारत व चीन के बीच सीमा विवाद दिनों दिन गहराता जा रहा है। यही नहीं अमेरिकी प्रशासन ने परोक्ष तौर पर चीन के साथ विवाद में भारत व ऑस्ट्रेलिया के रवैये का समर्थन किया है। ऐसे में मोदी और मॉरिसन के बीच होने वाली बातचीत का असर ट्रंप की तरफ से प्रस्तावित समूह-11 के गठन पर भी होगा।
दोनों शीर्ष नेताओं के बीच इन प्रमुख मुद्दो पर होगी बात
मोदी और मॉरिसन के बीच होने वाली बातचीत का दूसरा अहम बिंदु कारोबार होगा। ऑस्ट्रेलिया का पेंशन फंड का शुमार दुनिया के सबसे बड़े निवेशकों में किया जाता है। जिस तरह से पीएम मोदी ने सउदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के शासकों के साथ बातचीत में निवेश के एजेंडो को सबसे ऊपर रखा था उसी तरह से माना जा रहा है कि वह मॉरिसन सरकार को भी अपने फंड के जरिए भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में निवेश के लिए आमंत्रित करने की कोशिश करेंगे। इस फंड ने एक अरब डॉलर का निवेश भी किया है। ऑस्ट्रेलिया चाहता है कि भारत अपनी विशाल जरूरत के लिए उसके खनिज सेक्टर में निवेश करे। ऑस्ट्रेलिया की कंपनियों ने भारत में अभी 10.74 अरब डॉलर का निवेश किया हुआ है जबकि भारतीय कंपनियों का वहां 10 अरब डॉलर से ज्यादा का निवेश है। दोनों देशों के बीच एक नए निवेश समझौते को लेकर भी बातचीत चल रही है।