चीनी मीडिया के सुर बदले, कहा- पूर्वी लद्दाख में डोकलाम जैसा संकट टला लेकिन जारी रहेगा गतिरोध

बीजिंग। भारत और चीन के बीच बार-बार युद्ध की धमकी देने वाले चीन के सरकारी मीडिया के अब सुर बदल गए हैं। ग्‍लोबल टाइम्‍स के अनुसार, भारत-चीन के सेना के अधिकारियों के बीच शनिवार को बातचीत के बाद ‘डोकलाम’ जैसा एक और संकट टल गया। दोनों पक्षों के बीच बातचीत के दौरान सीमा पर शांतिपूर्ण समाधान पर सहमति बनी है। हालांकि, स्थिति की जटिलता के कारण सैन्य गतिरोध थोड़ी देर तक जारी रह सकता है।

गर्मजाशी के माहौल में हुई दोनों पक्षों में बातचीत  

चीनी कम्‍युनिस्‍ट पार्टी के मुखपत्र ग्‍लोबल टाइम्‍स ने भारतीय विदेश मंत्रालय ने के हवाले से कहा कि दोनों पक्ष ‘द्विपक्षीय समझौतों के मुताबिक सीमा के क्षेत्र में स्थिति के शांतिपूर्ण समाधान पर सहमत’ हैं। एमइए (MEA) के अनुसार, दोनों देशों के बीच मिलिट्री कमांडर लेवल की बातचीत बेहद शांतिपूर्ण और गर्मजोशी से भरे माहौल में हुई।

दोनों पक्ष सीमा पर शांति बनाए रखने पर हुए सहमत 

भारतीय पक्ष के अनुसार, विभिन्न द्विपक्षीय समझौतों के अनुसार दोनों देशों के सैन्‍य कमांडर्स सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति से हल करने पर सहमत हुए।  उनका मानना है कि नेताओं के बीच समझौते को ध्यान में रखते हुए कि भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में शांति और धैर्य द्विपक्षीय संबंधों के समग्र विकास के लिए आवश्यक है। हाल के हफ्तों में भारत और चीन ने भारत-चीन सीमा के साथ अन्‍य क्षेत्रों में स्थापित राजनयिक और सैन्य चैनलों के माध्यम से संवाद बनाए रखा है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों पक्षों ने भारत और चीन के कुटनीतिक संबंधों की 70वीं वर्षगांठ को भी याद किया। दोनों देश इस बात पर सहमत हुए कि मसले का जल्‍द हल निकलने से रिश्‍ते आगे बढ़ेंगे।

विवाद नहीं बढ़ाना चाहते दोनों देश 

उधर, ग्‍लोबल टाइम्‍स ने सिंगुआ यूनिवर्सिटी के किआन फेंग के बयान के हवाले से कहा कि दोनों देशों के बीच ताजा बातचीत में दोनों ही पक्षों के शीर्ष अधिकारी शामिल हुए जो यह दर्शाता है कि दोनों पक्ष स्थिति पर पूरा ध्‍यान दे रहे हैं और वे नहीं चाहते हैं कि विवाद किसी कीमत और ज्‍यादा बढ़े। मीडिया रिपोर्टों में कहा गया कि दोनों पक्ष सीमावर्ती क्षेत्रों में अपने सैनिकों को मजबूत कर रहे हैं, जिससे एक और गतिरोध पैदा हो गया है। कुछ ने कहा कि यह दूसरा डोकलाम संकट बन जाएगा। चीनी विशेषज्ञों ने कहा कि वर्तमान संकट तत्‍काल खत्‍म नहीं होने जा रहा है। उन्‍होंने कहा कि भारत चीनी जमीन पर निर्माण कार्य रोके नहीं तो पेइचिंग इस संकट को स्‍वीकार नहीं करेगा।