लखनऊ। प्रदेश के महाराजगंज में बुलडोजर से मकान तोड़ने पर तत्कालीन डीएम, एडीएम और एएसपी समेत 26 लोगों पर मुकदमा दर्ज हुआ है. इनमें लोक निर्माण विभाग और अन्य संबंधित विभाग एक अधिकारी व कर्मचारी भी शामिल हैं। महाराजगंज के मौहल्ला हमीदनगर में यह मकान सडक निर्माण चौड़ीकरण के नाम पर गिराया गया था। मकान मालिक का आरोप था कि यह उनका पुश्तैनी मकान था, जिसे बगैर नोटिस दिए गिरा दिया गया।मकान को बुलडोजर द्वारा 13 सितंबर 2019 को गिराया गया था। यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था और इस पर कोर्ट ने यूपी सरकार द्वारा पीड़ित को 25 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया था। पीड़ित का आरोप है कि मकान गिराने से पहले उन्हें कोई जानकारी नहीं दी गई थी। सक्सेना चौक से लेकर हनुमानगढ़ी चौराहे तक सड़क चौड़ीकरण निर्माण के नाम पर 123 मकान तोड़े गए थे। लेकिन अभी तक यहां काम अधूरा पड़ा है। इस कार्रवाई से अन्य पीड़ितों को भी मदद की आस जगी है।
महाराजगंज के मौहल्ला हमीद नगर के फरेंदा रोड पर मनोज टिबड़ेवाल का मकान था। उन्होंने बताया कि वह उनका पुश्तैनी मकान था। 13 सितंबर 2024 को सड़क निर्माण के नाम पर उनका मकान गिरा दिया गया था। उन्होंने बताया कि मकान तोड़े जाने से पहले न तो उन्हें कोई अतिक्रमण का नोटिस दिया गया था और न ही उनके मकान अधिग्रहण हुआ था। टीम ने आकर अचानक बुलडोजर से उनका मकान गिरा दिया। उनका कहना है कि उन्हें मकान से सामान निकालने का भी मौका नहीं दिया गया था।
मनोज टिबड़ेवाल ने इसकी शिकायत चिट्ठी लिखकर सुप्रीम कोर्ट से की थी। कोर्ट ने मनोज की याचिका पर सुनवाई करते हुए ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को 25 लाख रुपये मुआवजे के तौर पर पीड़ित को देने के आदेश दिए थे। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि इस मामले में तत्कालीन जिलाधिकारी समेत 26 लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया है। जिनमें महाराजगंज के तत्कालीन डीएम अमरनाथ उपाध्याय, एडीएम कुंज बिहारी अग्रवाल, अपर पुलिस अधीक्षक आशुतोष शुक्ल, तत्कालीन अधिशासी अधिकारी नगर पालिका महराजगंज राजेश जायसवाल, कार्य अधीक्षक लोनिवि गोरखपुर मणिकांत अग्रवाल समेत कई अधिकारी शामिल हैं।