TV 20 NEWSll AZAMGARH, ‘उत्तर प्रदेश पर्व-हमारी संस्कृतिः हमारी पहचान’’ के अन्तर्गत संस्कृति उत्सव 2024-25 का आयोजन
प्रेस नोट
आजमगढ़ 02 जनवरी– जिलाधिकारी/अध्यक्ष जिला पर्यटन एवं संस्कृति परिषद, आजमगढ़ श्री नवनीत सिंह चहल ने बताया है कि उत्तर प्रदेश पर्व हमारी संस्कृति-हमारी पहचान के अंतर्गत संस्कृति उत्सव 2024-25 मनाये जाने के सम्बन्ध में शासन द्वारा विस्तृत निर्देश प्राप्त हुये हैं। जिलाधिकारी ने बताया कि शास्त्रीय एवं लोक संगीत की पृष्ठभूमि में उत्तर प्रदेश के सभी अंचलों में ऐसे कलाकारों की पहचान कर उन्हें उनकी योग्यतानुसार मंच प्रदान कर उन्हें प्रोत्साहित एवं समृद्ध करने के उद्देश्य से ही संस्कृति विभाग, उ०प्र० द्वारा ‘‘उत्तर प्रदेश पर्व-हमारी संस्कृतिः हमारी पहचान’’ के अन्तर्गत संस्कृति उत्सव 2024-25 का आयोजन करने हेतु जनपद स्तरीय आयोजन समिति का गठन किया गया है। जिसमें जिलाधिकारी अध्यक्ष, मुख्य विकास अधिकारी उपाध्यक्ष, जिला पंचायत राज अधिकारी, जिला विद्यालय निरीक्षक, सहायक निदेशक सूचना सदस्य एवं जिला पर्यटन सूचना अधिकारी सदस्य-सचिव हैं।
जिलाधिकारी ने बताया कि उत्तर प्रदेश पर्व- हमारी संस्कृति हमारी पहचान के अन्तर्गत संस्कृति उत्सव 2024-25 का आयोजन के क्रम में दिनांक 02-05 जनवरी 2025 तक गांव, पंचायत, ब्लाक एवं तहसील स्तर के कलाकारों की प्रतियोगिता तहसील मुख्यालय पर, 07-08 जनवरी 2025 तक तहसील स्तर के चयनित कलाकारों की प्रतियोगिता जनपद मुख्यालय पर, 10-12 जनवरी तक जनपद स्तर के चयनित कलाकारों की प्रतियोगिता मण्डलीय मुख्यालय पर, 18-20 जनवरी 2025 तक मण्डल स्तर के चयनित कलाकारों की प्रतियोगिता प्रदेश की राजधानी मुख्यालय लखनऊ में, 23 जनवरी को लखनऊ से सम्पन्न प्रतियोगिता के विजयी प्रतिभागियों का उत्तर प्रदेश पर्व में प्रतिभाग हेतु पूर्वाभ्यास तथा दिनांक 24-26 जनवरी 2025 तक उत्तर प्रदेश पर्व के अवसर पर अंतिम रूप से चयनित सभी प्रतिभागियों की प्रस्तुतियां, सम्मान व पुरस्कार का वितरण किया जायेगा।
उन्होने बताया कि उत्तर प्रदेश के सभी ग्रामीण एवं शहरी इलाकों में प्रचलित सांस्कृतिक विधा, शास्त्रीय गायन, ख्याल, ध्रुपद, उपशास्त्रीय गायन, ठुमरी, दादरा, चैती, चैता, झूला, होरी, टप्पा, लोक गायन, कजरी, बिरहा, आल्हा, निर्गुण, लोकगीत, कव्वाली आदि, सुगम संगीत, गीत गजल भजन, देशभक्ति गीत एवं अन्य तथा वादन के अन्तर्गत स्वर वाद्य सुषिर वाद्य बांसुरी, शहनाई, हारमोनियम तन्तु वाद्य सितार, वायलिन, गिटार सारंगी, वीणा वादन आदि ताल वाद्य तबला, पखावन, दक्षिणी भारतीय मृदंगम, घटम आदि, जनजाति वाद्य यंत्र/लोक वाद्य, डफला, नगाड़ा, दुक्कड़, मादल, ढ़ोल-ताशा, ढ़ोलक, नाल, चिमटा, हुड़का, सिंघा आदि, नृत्य के अन्तर्गत कथक, भरतनाट्यम, ओडिसी, मोहिनीअट्टम तथा अन्य शास्त्रीय नृत्य, लोकनृत्य, धोबिया, अहिरवा, करमा, शैला, डोमकच, आखेट नृत्य तथा अन्य जातीय नृत्य, लोकनाट्य, नौटंकी, रामलीला, रासलीला, स्वांग, भगत, बहुरूपिया, नुक्कड़ नाटक आदि सांस्कृति विधाओं में दक्ष कलाकारों को खोजकर प्रस्तुतीकरण कराया जायेगा।
जिलाधिकारी ने बताया कि संबंधित अधिकारी के माध्यम से संस्कृति विभाग द्वारा सुगम रजिस्ट्रेशन हेतु तैयार किये गये पोर्टल पर नियमानुसार रजिस्ट्रेशन एवं डाटा फिडिंग का कार्य सम्पन्न कराया जायेगा तथा हरिऔध कला केन्द्र आजमगढ़ के कार्यालय में कंट्रोल रूम की स्थापना की जायेगी और कन्ट्रोल रूम में अपर जिलाधिकारी (वि०/रा०) तथा जिला विकास अधिकारी द्वारा शिफ्ट वार कार्मिकों की तैनाती की जायेगी। कन्ट्रोल रूम में तैनात किये गये कार्मिकों द्वारा दूरभाष के माध्यम से कॉल व मैसेज करके प्रतिभागियों को कार्यक्रम स्थल, दिनांक, समय आदि की ससमय सूचना प्रदान करना तथा उनकी अन्य प्रेक्षाओं का भी समुचित समाधान कराया जायेगा।
उन्होने बताया कि शासन द्वारा संस्कृति उत्सव 2024-25 की प्रतियोगिताओं की नियम एवं शर्ते निर्धारित की गयी है। जिसके अन्तर्गत सभी प्रतिभागियों को उत्तर प्रदेश का निवासी होना चाहिए, जिसके लिये प्रतिभागी का आधार कार्ड मानक होगा। प्रतियोगिता में प्रतिभाग हेतु सम्बन्धित जनपद का निवासी अपने ही जनपद के क्षेत्रान्तर्गत प्रतियोगिता स्थलों पर प्रतिभाग कर सकता है। *प्रतियोगिता में प्रतिभाग करने हेतु ऑनलाइन पंजीकरण अनिवार्य है। ऑनलाइन पंजीकरण संस्कृति विभाग द्वारा निर्धारित पोर्टल पर किया जायेगा। प्रतियोगिता में प्रतिभाग करने वाले प्रतिभागी जिला सूचना कार्यालय, आजमगढ़ में उपस्थित होकर संस्कृति विभाग के पोर्टल पर अपना पंजीकरण करा सकते हैं।* एक प्रतिभागी केवल एक ही विधा में प्रतिभाग कर सकता है। प्रतिभागी कलाकार दलनायक के रूप में अपने सभी सहयोगी कलाकारों का सम्पूर्ण विवरण यथा-नाम, पत्ता, अथार कार्ड, मोबाईल नम्बर, पासपोर्ट साइज की वो फोटो अलग से प्रस्तुत करेंगे। यदि कोई कलाकार अन्य किसी दल के साथ सहभागिता करेगा तो उस क्लाकार की दूसरे दल नायक के रूप में शामिल नहीं किया जायेगा। सभी कलाकारों को संगत कलाकार व वाद्य यंत्रों की व्यवस्था स्वंय करनी होगी। देशभक्ति गीत, लोकगीत, लोकनृत्य, जनजातीय नृत्य एवं लोकवाद्य में केवल समूह प्रस्तुतियां होंगी, अन्य सभी विधाओं मे सिर्फ एकल प्रस्तुतियां होंगी। सभी प्रतिभागी कलाकार एकल प्रस्तुति के अतिरिक्त सिर्फ एक समूह प्रस्तुति में भाग ले सकते हैं। प्रतिभागी कलाकारों के साथ संगत कर रहे संगतकार एक से अधिक दल के साथ संगत कर सकते हैं, लेकिन एक ही दल के साथ संगत करने वाले दलनायक को अत्तिरिक्त अंक दिये जायेंगे। प्रस्तावित विधाओं के अतिरिक्त कोई अन्य प्रस्तुति मान्य नहीं होगी। देशभक्ति समूह गीत प्रस्तुति के दौरान प्रतिभागी अपने नियत स्थान पर ही बने रहेंगे और जब निर्णायक मण्डल उन्हें निर्देशित करेगा, तो वह अपनी पूर्व स्थिति में जा सकेंगे। शास्त्रीय नृत्य एवं लोकनृत्य में उस विधा से सम्बन्धित मान्य वेश-भूषा अनिवार्य है। समूह प्रस्तुतियों हेतु भी गणवेश अनिवार्य है। सभी प्रस्तुतियां पारंपरिक और मर्यादित होनी चाहिए, अन्यथा निर्णायक मण्डल द्वारा प्रस्तुति निरस्त की जा सकती है। प्रतिभागी/प्रतिभागी दल को अपनी प्रस्तुति से पूर्व प्रस्तुति का संक्षिप्त विवरण लिखित रूप से निर्णायक मण्डल के समक्ष प्रस्तुत करना अनिवार्य है। किसी राजनीतिक दल, धर्म, संप्रदाय, जाति या व्यक्ति की भावनाओं को आहत करने वाली प्रस्तुतियां पूर्णतया प्रतिबंधित होंगी। एकल या समूह नृत्य में अग्निवर्धक व दुर्घटनाकारी सामग्रियों का प्रयोग प्रतिबंधित है। प्रतियोगिता स्थल पर केवल ध्वनि उपकरण ही आयोजक द्वारा उपलब्ध कराये जायेंगे। एकल गायन व नृत्य की प्रस्तुति में अधिकतम 03 संगतकार मान्य होंगे। समूह गायन में संगतकार सहित न्यूनतम 06 और अधिकतम 08 होनी चाहिए। समूह नृत्य में संगतकार सहित कलाकारों की संख्या न्यूनतम 12 अधिकतम 15 होनी चाहिए। समूह वाद्य प्रस्तुति में कलाकारों की संख्या न्यूनतम 05 और अधिकतम 10 होनी चाहिए। गायन के दल में न्यूनतम 06 तथा अधिकतम 08 सदस्य होंगे, लोकनृत्य के दल में न्यूनतम 13 तथा अधिकतम 16 तथा अधिकतम 16 सदस्य होंगे, लोक नाट्य में न्यूनतम 20 तथा अधिकतम 25 सदस्य होंगे। प्रतियोगिता में सम्मिलित होने वाले सभी कलाकार दल के सदस्य दलनायक के माध्यम से निर्धारित प्रपत्र पर आफलाइन आवेदन प्रतियोगिता स्थल पर प्राप्त किया जा सकता है। आवेदन का प्रारूप संस्कृति विभाग के वेबसाइट https://upculture.up.nic.in पर उपलब्ध होगा। प्रतियोगिता में सम्मिलित होने के लिए कोई शुल्क देय नहीं है। प्रतियोगियों को प्रतियोगिता स्थल तक स्वयं अपने साधन से आना-जाना होगा। प्रतियोगिता में प्रथम, द्वितीय तथा तृतीय पुरस्कार दिये जायेंगे। सभी विजयी प्रतियोतियों को प्रमाण-पत्र भी दिये जायेंगे। लखनऊ में विजयी प्रतिभागियों को पुरस्कृत करने के साथ-साथ उत्तर प्रदेश दिवस (दिनांक 24-26 जनवरी, होने वाले उक्त कार्यक्रम में 2025) के अवसर पर प्रस्तुति का अवसर भी दिया जायेगा तथा लखनऊ में आयोजित विजयी कलाकार दल के सम्मिलित किये जाने पर आने-जाने का किराया, रहने, भोजन, की व्यवस्था तथा उचित मानदेय भी यथा निर्धारित दिया जायेगा। आवेदक दल को केन्द्र सरकार, राज्य सरकार, जिला प्रशासन अथवा अन्य महत्वपूर्ण संस्थाओं द्वारा आयोजित किये जाने वाले कार्यक्रमों में कम से कम तीन आयोजनों में सम्मिलित होने का प्रमाण संलग्न करना होगा। समिति का निर्णय अंतिम तथा बाध्यकारी होगा तथा विवाद की स्थिति में संबंधित मण्डलायुक्त का निर्णय अंतिम एवं मान्य होगा। अश्लील नृत्य तथा गायन प्रतियोगिता को अयोग्य माना जायेगा तथा प्रस्तुति तुरन्त रोक दी जायेगी। जिस प्रतियोगिता में 5 से कम दलों के आवेदन प्राप्त हों, उन्हें निरस्त कर दिया जायेगा, परन्तु जनजातीय दलो के तीन दलों की प्रविष्टि के बाद भी प्रतियोगिता आयोजित की जायेगी। सभी प्रतिभागियों को ई-प्रमाण पत्र, विजेताओं को प्रमाण पत्र, मेडल, स्मृति चिन्छ, निर्धारित पुरस्कार प्रदान किया जायेगा। निर्णायक मण्डल का निर्णय अन्तिम एवं सर्वमान्य होगा। आयोजन समिति आवश्यकतानुसार कोई भी निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है, जो सर्वमान्य होगा। संस्कृति उत्सव 2024-25 का समापन समारोह उत्तर प्रदेश दिवस के अवसर पर 24 जनवरी 2025 को लखनऊ में किया जायेगा, जिसमें विजेता प्रतिभागियों को मेडल, प्रमाण पत्र एवं स्मृति चिन्ह प्रदान कर पुरस्कृत किया जायेगा।
——-जि0सू0का0 आजमगढ़-02.01.2025——–