आजमगढ़ 02 जुलाई– जिला कृषि रक्षा अधिकारी डाॅ0 उमेश कुमार गुप्ता ने बताया कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों, इटावा, ललितपुर, एवं मध्य प्रदेश तथा राजस्थान में टिड्डी दल की मौजूदगी बनी हुई है तथा जनपद में कभी भी टिड्डी दल की मौजूदगी हो सकती है, अभी भी टिड्डी दल का खतरा बरकरार है। कृषि विभाग के कर्मचारियों को निर्देशित किया गया है कि कृषकों से निरन्तर सम्पर्क कर टिड्डी दल के नियन्त्रण के विषय में जानकारी देते रहे और टिड्डी दल के प्रकोप होने पर जिला कृषि रक्षा अधिकारी को सूचित करें।
उन्होने बताया कि टिड्डी दल एक साथ लाखांे की संख्या में गमन करते है। जिस क्षेत्र में इनका आक्रमण होता है वहाॅ के क्षेत्र की हरियाली चट कर विरान कर देते है। इस कीट की वयस्क टिड्डियाॅ हवा की दिशा में एक दिन में 100 से 150 कि0मी0 की दूरी तय कर लेती है। टिड्डी दल प्रायः सूर्यास्त के समय किसी न किसी पेड़ पौधों पर सूर्योदय होने तक आश्रय लेते है। आश्रय के समय ही समस्त वनस्पतियों को आर्थिक नुकसान पहुॅचाते है। एक मादा टिड्डी भूमि में 500 से 1500 अण्डे देकर सुबह उड़ जाती है। इनके नियन्त्रण के लिये संस्तुत रसायनों के छिड़काव का सबसे उपयुक्त समय रात्रि 11ः00 बजे से प्रातः 8ः00 बजे तक होता है।
इनके नियंत्रण हेतु यांत्रिक विधि में टिड्डी दल को खेतों के आस-पास दिन के समय दिखाई देते ही किसान भाई टोलियाॅ बनाकर थाली, ढोल, नगााड़े, घण्टियां, डी0जे0 एवं पटाखे आदि की तेज आवाज करके इनको भगा दे। रात्रि में प्रकाश प्रपंच का प्रयोग कर भी टिड्डियों को एकत्रित करके नष्ट किया जा सकता है। टिड्डी दल के आकाश में दिखाई देने पर घास-फूस जलाकर धूआॅ करें। टिड्डी दल के आक्रमण के पश्चात कीटनाशक उपलब्ध न होने की दशा में टैªक्टर चालित पावर स्प्रेयर के द्वारा पानी की तेज बौछार से भी इन्हे भगाया जा सकता है।
जैविक विधि के अन्तर्गत इसके नियंत्रण के लिये कृषक भाई एजाडीरेक्टीन (नीम आॅयल) 1.50 से 2.00 ली0 प्रति हेक्टेयर 600 से 700 ली0 पानी में घोल बनाकर छिड़कांव करें।
इसी प्रकार रासायनिक नियंत्रण में टिड्डियों का प्रकोप होने पर क्लोरपायरीफाॅस 20 प्रतिशत ई0सी0 1200 मिली0, क्लोरपायरीफाॅस 50 प्रतिशत ई0सी0 500 मिली0, बेन्थियों कार्ब 80 प्रतिशत 125 ग्रा0, फिप्रोनिल 5 प्रतिशत एस0सी 125 मिली0, लैम्बडासायलोथ्रिन 5 प्रतिशत ई0सी0 400 मिली0, लैम्बडासायलोथ्रिन 10 प्रतिशत डब्लू0पी0 200 ग्रा0 में से किसी एक रसायन को 500 ली0 पानी में प्रति हेक्टेयर की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें।
जिला कृषि रक्षा अधिकारी द्वारा कृषि विभाग के समस्त प्राविधिक सहायकों को निर्देशित किया गया कि टिड्डी दल की स्थिति पर निगरानी रखें। तथा नामित नोडल अधिकारी से निरन्तर सम्पर्क बनायें रखें, साथ ही साथ किसानों को सलाह देते समय इस बात को अवश्य बतायें कि सब्जियों पर नियंत्रण के लिये रसायन का प्रयोग करने से बचें, कीटनाशक रसायन के स्थान पर एजाडीरेक्टीन (नीम आॅयल) का प्रयोग करें। टिड्डी दल के खेत में बैठने के उपरान्त उनके अण्डो को नष्ट करने हेतु खेत की गहरी जुताई कर दें।
टिड्डी दल के आक्रमण होने की सूचना ग्राम प्रधान, लेखपाल कृषि विभाग के प्राविधिक सहायकों एवं ग्राम पंचायत अधिकारी के माध्यम से कृषि विभाग अथवा जिला प्रशासन तक तत्काल पहुचायें। इनके आक्रमण की दशा में जनपद स्तर पर बने कन्ट्रोल रुम मोबाइल नं0 9919588753 एवं 9450809578, पर जानकारी उपलब्ध करायें या क्षेत्रीय केन्द्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबन्धन केन्द्र, लखनऊ के फोन नं0 0522-2732063 अथवा अपर निदेशक कृषि रक्षा लखनऊ को फोन नं0- 0522-2205868 पर भी सूचित कर सकते है।
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