इसमें कहा गया है कि किसी भी दोष सिद्ध के प्रति सजा सुनाते समय सहानुभूति नहीं दिखानी चाहिए, क्योंकि इससे समाज में गंभीर संकट उत्पन्न होता है। आम जनता में न्याय प्रशासन के प्रति अविश्वास उत्पन्न होता है। सात साल की मासूम के साथ दुष्कर्म के बाद हत्या करने के मामले में एक गवाह ने झूठी गवाही दी। बिल्सी पुलिस ने मुकदमे की विवेचना के दौरान मजबूत साक्ष्यों को संकलित करने के साथ ही कड़ी पैरवी की। इससे गवाही जानेआलम को राहत नहीं दे सकी। मुकदमे में गवाह बने परवेज ने शुरुआत में पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की थी।