प्रेस नोट
आजमगढ़ 19 अप्रैल– डा0 गगन दीप सिंह, जिला कृषि रक्षा अधिकारी, आजमगढ़ द्वारा जनपद के प्रिय किसान भाईयों को बताया गया है कि वर्तमान समय में गन्नें के फसल में चूसक कीट पायरिला (गन्नें का पादप हॉपर) का प्रकोप बढ़ रहा है अथवा बढ़नें की सम्भावना है। प्रिय किसान भाईयों को सलाह दी जाती है कि कीट का समय से पहचान कर पौधे और पेडी फसल को इन कीटों से बचाने के लिये विशेष सावधानी बरतने की जरुरत है। चूसक कीट पायरिला यह एक प्रकार का पंखवाला कीट है, जो पौधों की पत्तियों का रस चूसता है और गन्ने की फसल को भारी नुकसान पहॅुचाता है। जिसके कारण गन्नें के पौधे की पत्तियां पीली पड़ जाती है तथा फसल की वृद्धि प्रभावित होती है। इसके बचाव के लिये निम्नलिखित सुझाव एवं संस्तुतियों को अपनाकर किसान भाई फसलों को प्रभावित होने से बचाव कर सकते है।
उन्होने बताया कि इस कीट का जीवन चक्र तीन अवस्थाओं में पूर्ण होता है। इसके अण्डे हल्के पील रंग के, अण्डकार, पत्ती की निचली सतह पर लगभग 20 अण्डों के समूहों में पाये जाते है। निम्फ शुरु में हरे रंग के होते है तथा बाद मे हल्कें भूरें, पंख रहित और सफेद फुल्की मोमी सामग्री से ढकंे तन्तुओं की एक जोड़ी के साथ रहते है एवं वयस्क हरे से भूरें रंग और 7.8 मिमी लम्बें, नुकीले थूथन वाले छेदने वाले और चूसने वालें मुॅह वाले हिस्से होते हैै। इस कीट का प्रकोप गर्मियों के दिनों, विशेष रुप से अप्रैल से अक्टूबर माह तक दिखता है। पायरिला के वयस्क एवं निम्फ दोनों गन्ने के पत्तें के निचली सतह से रस चूस लेते है तथा हन्नी डीयु का निष्कासन करते है। हन्नी डियु मीठा होने के कारण काली कवक को बढ़ावा देता है, जिससें पूरी पत्तियों पर काली कवक छा जाती है और पौधें की प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया रुक जाती है। पायरिला कीट से प्रभावित गन्ने की गुणवत्ता एवं शर्करा 35 प्रतिशत कम हो जाती है। पायरिला कीट से ग्रसित गन्नें के खेत में यूरिया का अधिक प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि नाइट्रोजन के अधिक प्रयोग वाले खेत में पायरिला कीट का प्रकोप बढ़ जाता है। पायरिला कीट के अण्ड परजीवी जैसे टेट्रास्टिक्स पायरीली, काइलोन्यूरस पायरीली एवं ओनसिरटस द्वारा प्राकृतिक रुप से पायरिला की संख्या मानसून के बाद नियन्त्रित हो जाती है। मेटाराईजीयम एनीसोपली फफॅूदी प्रकृति में पायरिला को नष्ट करती है। मानसून के बाद मेटाराईजीयम एनीसोपली फफॅूदी के स्पोर का छिड़काव करके कम तापक्रम व अधिक आद्रता के कारण पायरिला कीट की संख्या कम कर देती है। रसायनिक विधि से नियन्त्रण हेतु क्लोरपायरीफॉस 20 प्रतिशत ईसी की 2 मिली की मात्रा प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करके नियन्त्रण किया जा सकता है।
——-जि0सू0का0 आजमगढ़-19.04.2025——–