नहीं होगी बौनेपन की समस्या, कुपोषण से मिलेगी मुक्ति – जिलाधिकारी आजमगढ़

पोषण माह- बच्चों को पोषक तत्वों से भरपूर खुराक दिलाने पर जिलाधिकारी का पूरा जोर
जिले के 220 विद्यालयों की पोषण वाटिका में लहलहाएंगे सहजन, पपीता, पालक के पौधे- जिलाधिकारी आजमगढ़

आजमगढ़ 13 सितम्बर– पोषण माह के तहत जिलाधिकारी राकेश कुमार की कोशिश कामयाब हुई तो बच्चों को बौनेपन की समस्या से बहुत कुछ मुक्ति मिल सकेगी। इतना ही नहीं कुपोषण की समस्या भी दूर होगी। भोजन में पोषक तत्वों की कमी से शुरुआत में बच्चों के शरीर का विकास ठीक से नहीं हो पाता और इससे बौनेपन की संभावनाएं भी बढ़ जाती हैं। जिलाधिकारी के निर्देश पर जिले के 220 विद्यालयों जिनमें आंगनबाड़ी केंद्र भी हैं, वहां पर सहजन, पपीता सहित तमाम पोषक तत्वों से भरपूर वाले पौधे लगाए जा रहे हैं | मिड-डे मिल में इनके फलों-पत्तियों आदि को शामिल किया जाएगा। साथ ही गर्भवती और धात्री महिलाओं को इसके प्रयोग पर जोर दिया जाएगा।
मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ0 दीपक पांडे कम लम्बाई की समस्या के लिए प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन, जिंक और मैग्नीशियम को कारण बताते हैं। वह कहते हैं कि हमारे शरीर के विकास में हार्मोन्स की बड़ी भूमिका होती है। हार्मोन मांस पेशियों और हड्डियों को बढ़ाते हैं। जैसे दिमाग से हड्डी बढ़ाने के लिए हार्मोन का श्राव होता है तो सभी तत्व अपनी-अपनी भूमिका में लग जाते हैं। आयरन, मैग्नीशियम और जिंक तीनों उत्पेरक का काम करते हैं वहीं विटामिन, कैल्शियम, फास्फोरस हड्डियां बढ़ाने की प्रक्रिया में सीधे शामिल होते हैं। इनके ही कारण हड्डियों में घनापन आता है। यह एक तरह से काफी कुछ वैसे ही काम करते हैं जैसे एक मकान बनाने में बालू और सीमेंट करते हैं। प्रोटीन से एमीनोएसिड निकलता है जो मांसपेशियों को बनाता है।
डॉ0 दीपक कहते हैं कि सरकार के सारे अभियान इनकी कमी को पूरा करने के लिए है। एक सामान्य भोजन जिसमें दाल, रोटी, फल, सलाद और दूध होता है, उसे बैलेंस खुराक कहा जाता है। यह हर परिवार के भोजन में शामिल नहीं होता है। कमजोर वर्ग के लोग कभी रोटी और नमक या रोटी और प्याज से ही काम चला लेता है जिससे उन परिवार के बच्चों में इन पोषक तत्वों की कमी रह जाती है और शरीर का विकास ठीक से नहीं हो पाता है। वह कहते हैं कि वैसे तो पपीते में सारे विटामिन्स पाए जाते हैं लेकिन कैल्शियम और विटामिन सी से सम्पन्न रहता है। सहजन को मेडिकल प्लांट कहा जाता है। उसकी पत्तियों में आयरन और कैल्शियम होता है।
सेहत का खजाना हैं यह पौधे कोयलसा सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के आयुष चिकित्सक डॉ उपेंन्द्र दुबे बताते हैं कि सहजन की पत्तियों में कैल्शियम और विटामिन-सी के अलावा प्रोटीन, पोटेशियम, आयरन, मैगनीशियम और विटामिन-बी कॉम्पलैक्स भी प्रचुर मात्रा में होता है।
आंगनबाड़ी केंद्रों पर सहजन के पौधे लगवाने का मुख्य उद्देश्य गर्भवती माताओं को इसके प्रयोग पर बल देना है। उन्हें प्रेरित किया जा रहा सहजन की सब्जी, सूप आदि का प्रयोग करने से उनका स्वास्थ्य तो उत्तम होगा ही जन्में बच्चे भी स्वस्थ होंगे। सहजन की उपरोक्त विशेषताओं के अतिरिक्त ये कैल्शियम का सबसे अच्छा स्रोत है जो हड्डियों का प्रमुख तत्व होता है। बढ़ते बच्चे, वृद्ध, धात्री और गर्भवती को कैल्शियम संपन्न खुराक चाहिए। अतः इन सबमें सहजन बहुत कारगर है।
पपीते में सबसे अच्छे पाचक एंजाइम होते हैं जो कि भोजन को पचाने और स्वांगीकरण में सहायक होते हैं। स्वांगीकरण का मतलब भोजन के पाचन के बाद उसे आंतों में मौजूद वाहिकाओं द्वारा अवशोषित किए जाने की प्रक्रिया। वहीं पालक और बथुआ आयरन से भरपूर होते हैं जो शरीर में खून की कमी की स्थिति में बेहद कारगर होते हैं । साथ ही इनमें अच्छा रफेज( खुरदरापन) होने से कब्ज में भी लाभ होता है। इतना ही नहीं आंगनबाड़ी केंद्र के नौनिहालों को भी इसका सेवन कराया जाएगा ताकि उन्हें विटामिन युक्त आहार मिल सके।
जिला कार्यक्रम अधिकारी (डीपीओ) मनोज कुमार मौर्य ने बताया कि जिले में 220 विद्यालयों (इनमें आंगनबाड़ी केन्द्र भी हैं) में पोषण वाटिका बन रही है। इनमें सहजन, पपीता, पालक, आंवला, नीबू, लौकी आदि लगाया जा रहा है। पोपण वाटिका में हरी सब्जियों और पत्तेदार सब्जियों और जिनमें आयरन ज्यादा पाया जाता है उस पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है। इसके माध्यम से बच्चों के मिड-डे मील को पोषक तत्वों से भरपूर बनाया जाएगा।