*TV20 NEWS || DELHI : ऑपरेशन सिंदूर: कंधार से पहलगाम तक 25 मिनट में 25 साल का हिसाब…आतंकी शिविरों का ओसामा से क्या कनेक्शन!*

नई दिल्ली। 6 से 7 मई की दरमियानी रात को 1.05 बजे से लेकर 1.30 बजे तक सशस्त्र बलों ने ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया। 25 मिनट के इस ऑपरेशन में 24 मिसाइलों के जरिए नौ आतंकी शिविरों को ध्वस्त कर दिया गया। इन नौ ठिकानों में से पांच पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में थे, वहीं चार पाकिस्तान में थे। इन ठिकानों में आतंकियों को भर्ती किया जाता था। उन्हें प्रशिक्षित किया जाता था। उनके दिमाग में जहर भरा जाता था। ऑपरेशन सिंदूर में यह खास ध्यान रखा गया कि पाकिस्तान के सैन्य प्रतिष्ठानों, रिहाइशी इलाकों और आम नागरिकों को नुकसान न पहुंचे। इस पराक्रम के तहत नष्ट किए गए आतंकी ठिकानों के बारे में बारी-बारी से जानते हैं..

1. सवाई नाला कैम्प, मुजफ्फराबाद, पीओके
कहां : नियंत्रण रेखा से 30 किमी दूर।
किसका कैम्पर: लश्कर-ए-तैयबा।
2024 में सोनगर्म और गुलमर्ग में हुए आतंकी हमलों के साथ-साथ पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को पर्यटकों पर हुए हमले को अंजाम देने आए आतंकियों ने इसी शिविर में प्रशिक्षण लिया था। यह आतंकी शिविर 2000 में शुरू हुआ था। पाकिस्तान की फौज और आईएसआई के अफसर अक्सर यहां आते थे।
2. मरकज सैयदना बिलाल कैम्प, मुजफ्फराबाद, पीओके
किसका कैम्प: जैश-ए-मोहम्मद।
यहां हथियार, विस्फोटक रखे जाते थे। यहां आतंकियों को घने जंगलों में जिंदा रहने का प्रशिक्षण दिया जाता था। पाकिस्तानी सेना का स्पेशल सर्विसेस ग्रुप यहां पर आतंकियों को ट्रेनिंग देने आता था।
3. गुलपुर कैम्प, कोटली, पीओके
कहां: नियंत्रण रेखा से 30 किमी दूर।
किसका कैम्प: लश्कर-ए-तैयबा।

राजौरी और पुंछ में सक्रिय आतंकी इसी कैम्प से प्रशिक्षण प्राप्त करते थे। पुंछ में 20 अप्रैल 2023 को हुए हमले और रियासी में 9 जून 2024 को तीर्थयात्रियों पर हमला करने आए आतंकियों ने भी यहीं से ट्रेनिंग ली थी।
4. बरनाला कैम्प, भीमबेर, पीओके
कहां: नियंत्रण रेखा से नौ किमी दूर।
किसका कैम्प: लश्कर-ए-तैयबा।
यहां हथियार, आईईडी रखे जाते थे। आतंकियों को घने जंगलों में जिंदा रहने का प्रशिक्षण दिया जाता था। यहां एक बार में 100 से ज्यादा आतंकी रुक सकते थे।
5. अब्बास कैम्प, कोटली, पीओके
कहां: नियंत्रण रेखा से 13 किमी दूर।
किसका कैम्प: लश्कर-ए-तैयबा/जैश-ए-मोहम्मद
यहां पर लश्कर के फिदायीन दस्ते तैयार किए जाते थे। एक बार में 15 आतंकियों को प्रशिक्षण देने लायक जगह थी। माना जाता है कि जैश-ए-मोहम्मद का आतंकी कारी जरार भी यहां आता था। पुंछ और राजौरी सेक्टर में घुसपैठ के लिए यहीं से आतंकी तैयार होते थे।
पाकिस्तान के अंदर मौजूद चार आतंकी ठिकाने

6. सरजल कैम्प, सियालकोट, पाकिस्तान
कहां: अंतरराष्ट्रीय सीमा से छह किमी दूर।
किसका कैम्पः जैश-ए-मोहम्मद।
मार्च 2025 में जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवानों की जिन आतंकियों ने हत्या की, उन्होंने यहीं ट्रेनिंग हासिल की थी। जैश का आतंकी अब्दुल रउफ असगर इस कैम्प को चलाता था। यहीं पर आतंकियों को सुरंगें खोदना सिखाया जाता था। यहीं से आतंकी ड्रोन के जरिए हथियार और नशे की खेप भारत में भेज रहे थे।
7. महमूना जोया कैम्प, सियालकोट, पाकिस्तान
कहांः अंतरराष्ट्रीय सीमा से 12 से 18 किमी दूर।
किसका कैम्प हिजबुल मुजाहिदीन।
यहीं से प्रशिक्षण लेने के बाद आतंकी जम्मू और कठुआ में घुसपैठ करते हैं। पठानकोट एयरबेस पर हुए हमले की साजिश यहीं रची गई थी। यह कैम्प एक स्वास्थ्य केंद्र की आड़ में चल रहा था। जम्मू में आतंकी हमलों को अंजाम देने वाला इरफान टांडा इस कैम्प को चलाता था।
8. मरकज तैयबा कैम्प, मुरीदके, पाकिस्तान
कहां: अंतरराष्ट्रीय सीमा से 18 से 25 किमी दूर।

किसका कैम्प: लश्कर-ए-तैयबा।
पाकिस्तान के अंदर मौजूद सबसे बड़े आतंकी ठिकानों में से एक। 2008 के 26/11 मुंबई हमलों को अंजाम देने आए आतंकियों ने यहीं प्रशिक्षण लिया था। अजमल कसाब और डेविड हेडली को भी यहीं पर ट्रेनिंग दी गई थी, जिसे दौरा-ए-रिब्बत कहा जाता है। तहव्वुर राणा भी यहां पर आया था, जिसे अब अमेरिका से भारत प्रत्यर्पित किया जा चुका है। यहां पर चार मिसाइलें दागी गईं। अल कायदा के सरगना आतंकी ओसामा बिन लादेन ने यहां पर एक गेस्ट हाउस बनाने के लिए 10 लाख पाकिस्तानी रुपये दान में दिए थे। लश्कर यहां पर आतंकियों की भर्ती दो हफ्ते का कोर्स पढ़ाता था, जिसमें नए आतंकियों का ब्रेनवॉश किया जाता था।
9. मरकज सुभानअल्लाह, बहावलपुर, पाकिस्तान
कहां: अंतरराष्ट्रीय सीमा से 100 किमी दूर।
किसका कैम्प: जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालय।
यहां पर लोगों को भड़काकर उन्हें आतंकी बनाया जाता था। भर्ती के बाद उन्हें प्रशिक्षण दिया जाता था। आतंकी सरगना अक्सर यहां आते थे। फरवरी 2019 के पुलवामा हमले की साजिश यहीं से रची गई थी। इसी परिसर में जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर और उसके भाई असगर के घर भी थे। मसूद अजहर वही आतंकी है, जिसे 1999 के कंधार विमान अपहरण मामले के बाद यात्रियों की रिहाई के बदले छोड़ना पड़ा था। बाद में इसने जैश-ए-मोहम्मद आतंकी संगठन बनाया।

(जानकारी आधिकारिक सूत्रों के हवाले से न्यूज एजेंसियों द्वारा जारी खबरों के मुताबिक)