*TV20 NEWS|| LUCKNOW : अदालत में जवाब दाखिल के लिए जांच अधिकारी का पैसे मांगना अत्यंत खेदजनक- हाई कोर्ट*
प्रयागराज अदालत में जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए जांच अधिकारी द्वारा पक्षकारों से कथित तौर पर पैसे की मांग को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गंभीरता से लिया है. अदालत ने पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को एक सर्कुलर जारी कर प्रत्येक पुलिस अधिकारी को यह सूचित करने को कहा है कि वे अदालत में जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए मामले से जुड़े पक्षकार को कभी भी फोन करके पैसे की मांग ना करें.
न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार ने मंगलवार को इस मामले को पुलिस महानिदेशक को संकेत करते हुए संबंधित जांच अधिकारी मधुसुदन वर्मा के खिलाफ उचित जांच कराने को कहा. अदालत ने कहा, “इस तरह की व्यवस्था अत्यंत खेदजनक है.” अदालत ने कमलेश मिश्रा नाम के एक व्यक्ति और अन्य द्वारा दायर एक मामले में सुनवाई करते हुए उक्त टिप्पणी की.
जांच अधिकारी ने हलफनामा दाखिल करने के लिए मांगे रुपये
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि इस मामले के जांच अधिकारी ने याचिकाकर्ता को फोन कर जवाबी हलफनामा दाखिल करने के एवज में 3,000 रुपये मांगे थे. उन्होंने कहा कि यह चलन सा हो गया है कि जांच अधिकारी पक्षकार को फोन करके जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए पैसे मांगते हैं.
अदालत में उपस्थित जांच अधिकारी मधुसुदन वर्मा ने यह तथ्य स्वीकार किया कि उन्होंने सूचना प्राप्त करने के लिए याचिकाकर्ता को फोन किया था. हालांकि उसने पैसे मांगने के आरोप से इनकार किया. अदालत ने जांच अधिकारी की यह दलील अस्वीकार करते हुए उसे अपना व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया. इसके बाद, व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर इसे रिकॉर्ड में दर्ज किया गया.
अदालत ने मामले को डीजीपी के सुपुर्द किया
हलफनामे में जांच अधिकारी ने दृढ़ता से यह बात कही कि उसने संतोषजनक जवाब दाखिल करने के लिए याचिकाकर्ता को फोन किया था, लेकिन उसने कभी भी पैसे की मांग नहीं की और पुलिस विभाग की छवि धूमिल करने के लिए झूठा आरोप लगाया गया है.
जांच अधिकारी की इस दलील पर असंतोष व्यक्त करते हुए अदालत ने कहा, व्यक्तिगत हलफनामे में लिया गया उक्त रुख जांच अधिकारी के आचरण की व्याख्या नहीं करता. इसलिए यह मामला, उचित जांच के लिए डीजीपी के सुपुर्द किया जाता