आजमगढ़ 01 अक्टूबर 2020– जिला कृषि अधिकारी डाॅ0 उमेश कुमार गुप्ता ने बताया है कि धान की फसल में विगत वर्षांे की भांति इस वर्ष भी कण्डुवा रोग की शिकायत हो सकती है। इसमें धान की बाली में दाने बनने की जगह काला पाउडर बन जाता है। जिसके लिये विशेष फफॅूद (अस्टिलैजिन्वाइडिया वाइरेन्स) जिम्मेदार होेता है। धान की फसल में इस रोग का प्रकोप दुग्धावस्था में होता है।
इस बिमारी का प्रकोप उस समय अधिक होता है जब वातावरण में 90 प्रतिशत से ज्यादा नमी हो और तापमान 25 डिग्री से 35 डिग्री सेन्टीग्रेड के बीच हों। धान की दुग्धावस्था में दानों की जगह हरा पीला चुर्ण दिखाई देता है। जो बाद में काले रंग का हो जाता है। इस रोग का अधिक प्रकोप होने पर पैदावार में 75 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है। खड़ी फसल में इस बिमारी का उपचार सम्भव नही है। इसको नियंन्त्रित करने के लिए प्रतिरोधी किस्मों का प्रयोग करना चाहीये। व बिमारी से बचने के लिये कार्बेण्डाजीम 50 प्रतिशत का 2 से 2.5 ग्रा0 मात्रा प्रति किग्रा0 बीज या थीरम 75 प्रतिशत के 2.5 ग्रा0 मात्रा प्रति किग्रा0 बीज से उपचारित करके बुआई करना चाहीये। यदि फसल में इक्का दुक्का बालियों पर इसका प्रकोप दिखाई दे तो उसे सावधानी पुर्वक निकालकर नष्ट कर दे। तथा युरिया की अधिक मात्रा प्रयोग न करें। सुरक्षात्मक उपचार के लिये कार्बेण्डाजीम 50 प्रतिशत की 0.500 ग्रा0 मात्रा को 600 से 800 ली0 पानी में मिलाकर प्रति हे0 छिड़काव करें। या काॅपर हाइड्राक्साइड 53.8 प्रतिशत डीएफ की 600 ग्रा0 मात्रा या टेबूकोनाजोल 50 प्रतिशत + ट्राईफलोक्सीस्ट्रोबिन 25 प्रतिशत डब्ल्यूजी की 140 ग्रा0 मात्रा 200 ली0 पानी में घोलकर प्रति एकड छिड़काव करें।