कृषि अधिकारी डाॅ0 उमेश कुमार गुप्ता की अध्यक्षता में दो दिवसीय कृषक वैज्ञानिक संवाद का किया गया आयोजन

आजमगढ़ 21 अक्टूबर– कृषि भवन सभागार सिधारी, आजमगढ़ में जनपद के विभिन्न विकास खण्डों से आये हुए कृषकों के मध्य उप कृषि निदेशक/जिला कृषि अधिकारी डाॅ0 उमेश कुमार गुप्ता की अध्यक्षता में दो दिवसीय कृषक वैज्ञानिक संवाद का आयोजन किया गया।
उक्त आयोजन में कृषि विज्ञान केन्द्र कोटवा, आजमगढ़ के कार्यालय अध्यक्ष डाॅ0 केएम सिंह द्वारा कृषकों को आगामी रबी की बुवाई पर विस्तृत जानकारी देते हुए गेहूँ की अगेती प्रजातियाँ जैसे एच0डी0-2386, एच0डी0-2967, एच0डी0-186 एवं मध्य देर से बोई जाने वाली प्रजाति पी0डी0डब्ल्यू-373 एवं देर से बोई जाने वाली प्रजाति हलना के बारे में जानकारी दी गयी। साथ ही साथ मसूर की बुवाई नवम्बर के प्रथम या द्वितीय सप्ताह में, मटर की बुवाई अक्टूबर के अन्तिम सप्ताह या नवम्बर के प्रथम सप्ताह में, चने की बुवाई नवम्बर के प्रथम या द्वितीय सप्ताह में तथा सब्जी मटर की बुवाई अक्टूबर के मध्य में करना लाभदायक होता है। बीज जनित बिमारियों से बचाव हेतु बीज उपचारित करके ही बुवाई करें।
कृषि विज्ञान केन्द्र कोटवा, आजमगढ़ के वरिष्ठ वैज्ञानिक डाॅ0 आरके सिंह द्वारा बताया गया कि गेहूँ की फसलों में खर-पतवार नियंत्रण हेतु 160 ग्राम क्लोडीनोकस (टापिक) का प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना लाभदायक होता है। आलू में अगेती झूलसा रोग नियंत्रण हेतु 2.50 ग्राम कार्बेन्डाजीम प्रति लीटर पानी की घोल में डुबोकर बुवाई करना लाभदायक है। पिछेती झूलसा रोग नियंत्रण हेतु 02 एम0एल0 रिडोमिल गोल्ड 01 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव लाभकारी है। कृषि विज्ञान केन्द्र कोटवा, आजमगढ़ के वैज्ञानिक डा0 अखिलेश द्वारा कृषकों की कृषि से सम्बन्धित प्रश्नों का समुचित समाधान किया गया।
उप कृषि निदेशक/जिला कृषि अधिकारी डाॅ0 उमेश कुमार गुप्ता द्वारा कृषि विभाग में चल रही समस्त योजनाओं की जानकारी देते हुए फसल अवशेष प्रबन्धन/पराली जलाने से लाभ एवं हानि तथा उसपर अर्थदण्ड इत्यादि विषयों की विस्तृत जानकारी दी गयी।
उक्त कार्यक्रम में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन योजना के सलाहकार डाॅ0 रामकेवल यादव, विषय वस्तु विशेषज्ञ, सदर डा0हरिनाथ यादव, प्रभारी उप परियोजना निदेशक आत्मा डा0सी0एल0शर्मा, प्रगतिशील कृषक हरिकृष्ण दूबे, महेन्द्र सिंह चैहान, चन्द्रभान यादव, श्रीमती मुन्द्रिका एवं सौरभ सिंह सहित कुल-56 कृषक वैज्ञानिक संवाद में सम्मिलित रहे।