पुलिस Recruitment में कैरेक्टर वेरीफाई न करने का एसपी कुशीनगर का आदेश रद

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश पुलिस सीधी भर्ती (Recruitment ) -2023 में चयनित अभ्यर्थी को कैरेक्चटर सर्टिफिकेट जारी न करने का पुलिस अधीक्षक कुशीनगर के आदेश को रद्द कर दिया है. कोर्ट ने आदेश दिया है कि एसपी कुशीनगर अपने आदेश पर पुनर्विचार कर याची की नियुक्ति (Recruitment ) पर निर्णय लें. यह आदेश जस्टिस अजित कुमार ने देवेंद्र प्रताप सिंह की याचिका पर दिया है. याचिका पर अधिवक्ता श्री कुमार दीक्षित ने बहस की.
बता दें कि उत्तर प्रदेश में आरक्षी सिविल पुलिस में भर्ती (Recruitment ) के लिए आवेदन प्रक्रिया 2023 में शुरू की गयी थी. यह भर्ती (Recruitment ) प्रक्रिया 13 मार्च 2025 को पूरी हुई जब फाइनल रिजल्ट जारी किया गया. इस लिस्ट में कुल 60244 नाम शामिल थे. इसके बाद चयनित अभ्यर्थियों का मेडिकल को मेडिकल के लिए बुलाया गया. इसी दौरान सभी अभ्यर्थियों से एक शपथ पत्र लिया गया. इसमें अभ्यर्थी को व्यक्ति जानकारियां देने के साथ ही यह भी बताना था कि उसके खिलाफ किसी भी थाने में कोई मुकदमा दर्ज है या नहीं.
इसी दौरान अभ्यर्थियों से प्रपत्र—92 भरवाया गया था. इसमें भी एक कॉलम अपराध की जानकारियां देने से संबंधित था. इसकी सबसे खास बात यह थी कि इसमें सिर्फ उन मुकदमो की जानकारी देने को कहा गया था जिसमें आरोपित को दोष सिद्ध किया गया हो. इसमें पेंडिंग केसेज का ब्यौरा देने के संबंध में कोई कॉलम नहीं था.

इसके विपरीत हजारों अभ्यर्थियों का अभ्यर्थन सिर्फ इसलिए निरस्त कर दिया गया क्योंकि उन्होंने शपथ पत्र में मुकदमे की जानकारी नहीं दी थी. तमाम अभ्यर्थियों ने मुकदमे का ब्यौरा दिया. लेकिन उनका भी अभ्यर्थन (Recruitment ) निरस्त कर दिया गया है. इसमें तर्क दिया गया है कि अभ्यर्थी के खिलाफ थानो में केस दर्ज है. तमाम उन अभ्यर्थियों का भी अभ्यर्थन (Recruitment ) निरस्त कर दिया गया जिनके मुकदमे समाप्त हो चुके थे.
यानी कोर्ट में फाइनल रिपोर्ट पुलिस की तरफ से लगायी गयी और कोर्ट ने उसे एक्सेप्ट भी कर लिया. इसी के आधार पर तमाम जिलों के डीएम ने सेलेक्टेड कैंडीडेट्स को एप्वाइंटमेंट लेटर जारी नहीं किया. नियुक्ति अधिकारी एसपी—एसएसपी अथवा अपर पुलिस आयुक्तों ने अभ्यर्थियों की पात्रता (Recruitment ) निरस्त कर दी.
इसके खिलाफ कोर्ट में तमाम याचिकाएं दाखिल की जा रही हैं. यह सिलसिला अब भी जारी है. इसी तरह का मामला देवेन्द्र प्रताप सिंह के साथ हुआ तो उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट में एसपी के फैसले को चैलेंज किया. एसपी ने उन्हें ट्रेनिंग पर भेजने से यह कहते हुए इंकार कर दिया कि उन्होंने पेंडिंग केसेज से संबंधित जानकारी छिपायी है.
अभ्यर्थन निरस्तीकरण आदेश में एसपी की तरफ से कहा गया था कि याची के खिलाफ दो मामले दर्ज थे. इसकी जानकारी उन्होंने नहीं दी. इसके विपरीत याची का कहना था कि दोनों मामलों में चार्जशीट के स्थान पर फाइनल रिपोर्ट लगा दी गयी थी. चालान में उसका नाम ही नहीं था.
पुलिस अधीक्षक ने 11 जुलाई 2025 को शासनादेश 28 अप्रैल 1958 का हवाला देकर कहा कि याची ने लंबित मामलों की जानकारी छिपाई है. इसलिए चरित्र सत्यापन नहीं कर सकते. कोर्ट ने याची के अधिवक्ता ने कहा कि भर्ती (Recruitment) का फॉर्म-92 केवल दोषसिद्धि से जुड़े खुलासे की मांग करता है, लंबित मामलों की नहीं. कोर्ट ने सुनवाई के बाद एसपी के आदेश को रद कर दिया और कहा कि वह अपने आदेश पर पुनर्विचार करते हुए नियुक्ति (Recruitment) आदेश जारी करने पर फैसला लें.
7 साल बाद आयी भर्ती (Recruitment), उम्र सीमा में छूट नहीं, हाईकोर्ट ने यूपीपीएससी से मांगा जवाब

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की सहायक अध्यापक (एलटी)टी जीसी श्रेणी भर्ती (Recruitment)-2025 में आयु छूट दिये जाने की मांग में दाखिल याचिका पर आयोग से जवाब मांगा है. कोर्ट ने इस प्रकरण में अगली सुनवाई की तिथि 17 सितंबर नियत की है. यह आदेश जस्टिस सीडी सिंह ने गरिमा सिंह व 38 अन्य की याचिका पर दिया है.
याचीगण का कहना है कि आयोग की इस भर्ती (Recruitment) में अभ्यर्थी की अधिकतम आयु सीमा 40 वर्ष निर्धारित है. यह भर्ती सात साल बाद आई है. सात साल से भर्ती (Recruitment) नहीं आने से बड़ी संख्या में अभ्यर्थी ओवरएज हो गए हैं. सरकार से आयु सीमा में छूट दिए जाने की मांग की थी. मांग पूरी न होने पर कुछ अभ्यर्थियों ने हाई कोर्ट में याचिका लगाई है. कोर्ट ने मुद्दा विचारणीय माना. हालांकि आयोग के अधिवक्ता ने याचिका का विरोध किया और जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा.