सत्ता में बैठे मानसिक मुर्दा को न्याय के प्रति कागजी जीवित मृतक करेंगे जागरूक- लाल बिहारी मृतक

मृतक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष व सामाजिक कार्यकर्ता लाल बिहारी मृतक ने कहाकि कुछ सत्ता में बैठे मानसिक मुर्दा को न्याय के प्रति कागजी जीवित मृतक जागरूक करेंगे। भारत का संविधान किसी एक जाति-धर्म का नहीं है। सभी जाति धर्मों के लोगों को खाने-पीने, बोलने-पढ़ने लिखने, पूजा पाठ नमाज आदि का मौलिक अधिकार दिया है। इस स्वतंत्र देश में कुछ मानव दानवरूपी निजी स्वार्थों में आकर जाति-धर्म, उंच नीच, भेदभाव कर मानव मानव को लड़ाकर खून बहाकर राजनीत कर रहे है। कलकारखाना, उद्योग, फैक्ट्री, नौकरी, शिक्षा, स्वास्थ्य के स्थान पर करोड़ों करोड़ रूपये जनता  में बांटकर विकास के स्थान पर विनाश कर बेरोजगारों को आलसी बना रही है। मतदाताओं के मतों से जीते विधायक एमपी, विधानसभा, लोकसभा, राज्यसभा, विधान परिषद में एसी के कमरों में जाकर हल्लाकर मनमानी ढ़ंग से कानून बनाकर भोली भांली जनता पर भष्मासुर की तरह हथियारों से दौड़ा रहे है। मारपीट कर जेल में बंद कर रहे है।
भारत देश में तो मुर्दे भी नहीं स्वतंत्र है। इनको भी समय समय पर कब्रिस्तानों, श्मशान घाटों, भू राजस्व अभिलेखागारों से आकर अपने अधिकारों के लिये लड़ना पड़ रहा है। कुछ भ्रष्ट अधिकारियों, कर्मचारियों नेता मंत्रियों के निष्क्रियता से भ्रष्टाचार, अन्याय, घुसखोरी, कर सरकारी विभागों के अभिलेखों में मृत घोषित कर दिया गया है। गरीब, अनपढ़, निःसंतान, विधवा, विकलांग, नेत्रहीन, महिला पुरूषों के जमींनों मकानों को हड़पकर कानूनी न्यायिक प्रक्रिया के मकड़जाल में फंसा दिया जाता है। न्याय के बदले वर्षों वर्ष तक कार्यालयों न्यायालयों से मिलती रहती है। तारीखे सामाजिक न्याय, मानवाधिकारों की रक्षा जीविकोपार्जन जीवनरक्षा, संविधान व न्यायालय के सम्मान में जब कोई धरना प्रदर्शन रैली करता है तो उसको भंग करने के लिए सरकारें किसी न किसी जाल में फंसाकर बवाल कर देती है। पीड़ितों की लड़ाई को कमजोर कर देती है। किसान अन्नदाता भाग्यविधाता का आंदोलन साहिन बाग आदि विभागों के खिलाफ आंदोलन करने वालो की संख्या देश में है। आखिर कौन जिम्मेदार है, सरकार या जनता कागजी मुर्दे भी न्याय के प्रति जनआंदोलन कर अपनी गिरफ्तारी देना चाहते है लेकिन सरकारें मुर्दो को गिरफ्तार नहीं करती है, छोड़ देती है। इनका नाम तक रजिस्ट्रेटों में नहीं दर्ज करती है। मृतक संघ के तत्वावधान में अंहिसापूर्वक विचारों की क्रांति अनोखे संघर्षों से जनता को न्याय के प्रति जनहित में जागरूक करने की तैयारी चल रही है।