कोरोना संक्रमित मरीज को सीटी वैल्यू से नहीं होना चाहिये मतलब… जाने क्या है ख़ास इस खबर में

संक्रमित को सीटी वैल्यू से नहीं होना चाहिये मतलब कोई मरीज कोविड 19 पॉजिटिव है या नहीं यह आरटीपीसीआर या फिर एंटीजन टेस्ट के माध्यम से चेक किया जाता है, जहां आरटीपीसीआर जांच में सीटी वैल्यू को देखा जाता है। आईसीएमआर की गाइडलाइन के अनुसार अगर आपकी सीटी वैल्यू 35 से नीचे है तो आप कोविड पॉजिटिव हैं, लेकिन कई लोग लगातार सीटी वैल्यू कितनी है इसको पता करने के लिए परेशान रहते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि मरीजों को सीटी वैल्यू से कोई मतलब नहीं होना चाहिए क्योंकि यह एक टेक्निकल टेस्ट होता है, जो डॉक्टर्स को एक रफ एस्टीमेट देता है। ऐसे में मरीज को महज अपने इलाज पर ध्यान रखना चाहिए।

वायरस लोड पता चलता है

अमेरिकन एसोसिएशन फॉर क्लीनिकल केमिस्ट्री के मुताबिक साइकिल थ्रेशहोल्ड यानि सीटी वैल्यू से यह पता चलता है कि जिसमें कोरोना का वायरस अपने आरएनए को बढ़ाकर संक्रमण को किस स्तर तक ले जाता है। केजीएमयू में माइक्रोबॉयोलॉजिस्ट डॉ। शीतल वर्मा बताती हैं कि कोरोना टेस्ट में सीटी वैल्यू एक तरह से मरीज के वायरल लोड के बारे में जानकारी देता है। यानि यह समझने में मदद करता है कि संक्रमण कितना ज्यादा है। अगर वायरस लोड कम है तो संक्रमणता कम है और यदि वायरस लोड अधिक है तो संक्रमणता अधिक है। यानि जिसमें वायरस लोड होगा वो दूसरों में संक्रमण और तेजी से फैला सकता है, लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं है कि लोग परेशान होने लगे क्योंकि सीटी वैल्यू भी बहुत परिस्थितियों पर डिपेंड करती है। अगर आरटीपीसीआर टेस्ट में सीटी वैल्यू 35 लिखा है तो इसका मतलब कि मरीज निगेटिव है। अगर सीटी वैल्यू 35 से नीचे है तो मरीज कोरोना पॉजिटिव माना जाता है।

डॉ। शीतल बताती हैं कि कोरोना टेस्ट में सीटी वैल्यू कम या ज्यादा देखी जाती है। अगर सीटी वैल्यू बहुत कम हो तो मरीज को आइसोलेट करते हुए इलाज किया जाता है। उसी के आधार पर डॉक्टर द्वारा इलाज भी किया जाता है, लेकिन सीटी वैल्यू हमेशा सही हो यह भी जरूरी नहीं है। सबकुछ सैंपल पर डिपेंड करता है, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण होता है सैंपल कौन और कैसे ले रहा है। अगर सैंपल सही तरीके से नहीं लिया जायेगा तो सीटी वैल्यू में फर्क देखने को मिल सकता है। इसके अलावा टेस्सि्टंग के दौरान उसकी हैंडलिंग कैसे हो रही है। साथ ही यह लोगों पर भी निर्भर करता है यानि सैंपल लेने से पहले उसने गार्गल किया हुआ हो या कोई दवा खाई हुई हो या फिर पानी पिया हुआ हो इन सब परिस्थतियों पर भी सीटी वैल्यू डिपेंड करता है। ऐसे में लोगों को इसकी जगह अपने इलाज और लक्षणों पर ध्यान देना चाहिए।

रिपोर्ट में हो रही देरी

राजधानी लखनऊ में लगातार बढ़ते मामलों के कारण टेस्ट कराने वालों की भी लंबी लाइन लग रही है और टेस्टिंग सेंटर में रिपोर्ट आने में दो तीन दिन तक लग जा रहा है, लेकिन सरकारी लैब में सीटी वैल्यू नहीं लिखा होता है। यह केवल निजी लैब की रिपोर्ट में लिखा होता है, जो केवल डॉक्टर्स के समझने के लिए होता है।

कोरोना के RT PCR टेस्ट में क्या है CT वैल्यू? कम होने से क्या है खतरा

देश के कई राज्यों में कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. इसी बीच आरटी पीसीआर टेस्ट (RT PCR Test ct value) पर बहस छिड़ गई है. असल में मरीज, कोरोना पॉजिटिव है या नहीं इसका पता आरटी पीसीआर टेस्ट के जरिए लगाया जा रहा है. कोरोना संक्रमण के टेस्ट के लिए (RT PCR Test) को ही सबसे सही जरिया माना जा रहा है. इससे संक्रमण की लगभग सही-सही जानकारी मिलती है.

हाल ही में महाराष्ट्र के स्वास्थ्य सचिव, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के प्रमुख डॉ. बलराम भार्गव को एक पत्र में कहा गया है कि इसके ((CT) निर्धारित नमूने की वजह से कोविड पॉजिटिव की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है.

दरअसल, मुंबई में कोरोना पॉजिटिव के बढ़ते आंकड़े को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार ने आईसीएमआर से यह निवेदन किया था कि RT PCR Test में साइकिल थ्रेशहोल्ड यानी सीटी वैल्यू (Ct Value) के कट ऑफ की निर्धारित सीमा को घटाकर 24 कर दें जो अभी 35 है. हालांकि इस निवेदन को आईसीएमआर ने खारिज कर दिया था.

असल में सीटी वैल्यू जितना कम होगा, वायरस का खतरा उतना ही ज्यादा होता है. आरटी पीसीआर टेस्ट में अगर सीटी वैल्यू 35 लिखा है तो इसका मतलब है कि मरीज नेगेटिव है. वहीं अगर सीटी वैल्यू 35 से नीचे है तो कोरोना मरीज पॉजिटिव होता है. आरटी-पीसीआर टेस्ट के सीटी वैल्यू से ही पता चलता है कि कोरोना पॉजिटिव मरीज में वायरस का कितना प्रभाव है.

सीटी वैल्यू से ही यह जानकारी मिलती है कि पेशेंट के अंदर बीमारी का कितना खतरा है. वह डेंजर जोन में है या खतरे से बाहर. सीटी वैल्यू रेट के हिसाब से ही डॉक्टर मरीज की हेल्थ कंडीशन को समझते हैं और उनका इलाज करते हैं.

सीटी वैल्यू की अचानक चर्चा तब शुरू हुई जब महाराष्ट्र सरकार ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के सामने इसके निर्धारित सीमा जो अभी 35 है, इसे लेकर मुद्दा उठाया. महाराष्ट्र सरकार का तर्क था कि निर्धारित सीमा घटाने से कोविड-19 पॉजिटिव मरीजों की संख्या में कमी होगी. वहीं आईसीएमआर (ICMR) का मानना है कि सीटी कट ऑफ वैल्यू रेट कम होने की वजह से स्थिति कन्फ्यूजन पैदा करने वाली हो जाएगी, क्योंकि ऐसे में बहुत सारे मरीज छूट जाएंगे.

आईसीएमआर के epidemiology and communicable diseases head डॉ. समीरन पांडा का कहना है कि, “अगर आप सीटी वैल्यू रेट कम करते हैं तो किसी व्यक्ति की रिपोर्ट तो नेगेटिव आ जाएगी. उसमें वायरल लोड कम होगा लेकिन वह अभी भी संक्रमित होगा. वह दूसरों के लिए एक गंभीर समस्या पैदा कर देगा. उसे लगेगा कि उसकी रिपोर्ट तो नेगेटिव है यानी वह ठीक है. वह ना खुद को आइसोलेट करेगा ना ही अपना इलाज करवाएगा. इस तरह वह अपने परिवार और समाज के दूसरे लोगों में इंफेक्शन फैलाने का काम करेगा.”

क्या है वर्तमान सीटी वैल्यू की गाइडलाइन

जिस व्यक्ति का सिटी वैल्यू 35 या उससे कम है वही कोरोना पॉजिटिव की कैटेगरी में आता है. यानी 23 से 35 की वैल्यू यानी मरीज खतरे से बाहर है. वहीं CT वैल्यू 15 से कम होने पर मरीज को ऑक्सीजन बेड और 10 से कम होने पर उसे आईसीयू बेड की जरूरत होती है.

हालांकि सीटी वैल्यू की कई कमियां भी हैं. यह मरीज के हेल्थ हिस्ट्री पर भी डिपेंड करता है. कई बार कम सिटी वैल्यू वाले मरीज की हालत सही रहती है और ज्यादा वैल्यू वाले डेंजर जोन में होते हैं. यह जांच की पूरी प्रक्रिया पर भी डिपेंड करता है. जैसे- संक्रमण के कितने दिन बाद, किस तरह सैंपल लिया गया और कितने सुरक्षित तरीके से टेस्ट के लिए ट्रांसपोर्ट किया गया. सबसे जरूरी बात, आखिर में कितने सही तरीके से इसका एनालिसिस किया गया. इसलिए हम तो यही कहेंगे, अपना खूब ध्यान रखिए ताकि इस जांच की आपको जरूरत ही ना पड़े.

सीटी वैल्यू की उपयोगिता?

सीटी वैल्यू से ही मरीजों के कोविड संक्रमण में जोखिम के स्तर का भी पता चलता है और इससे कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग की प्राथमिकता निर्धारण में भी मदद मिलती है. कई पैथोलॉजी लैब टेस्ट में मानकीकरण ना होने के कारण इस वैल्यू को रिपोर्ट में नहीं दर्शाती हैं. जबकि क्लीनिकल शोधकर्ताओं को सीटी वैल्यू के आधार पर कोविड-19 संक्रमित मामलों का प्रबंधन करने का अधिकार भी नहीं है.

क्या सीटी वैल्यू की हैं कुछ सीमाएं

सीटी वैल्यू के ही आधार पर मरीज की स्थिति की गंभीरता का आंकलन नहीं किया जा सकता है. इसके अलावा यह वैल्यू नमूने को हासिल करने के तरीके, स्रोत, परिवहन और संक्रमण एवं नूमूने हासिल करने का समय के साथ विश्लेषण पर निर्भर करता है.

सीटी वैल्यू के अलग-अलग मानों का मतलब

अभी की गाइडलाइन्स के मुताबिक 35 या उससे कम सीटी वैल्यू को ही कोरोना पॉजिटिव माना जा रहा है. 23 से 35 के बीच की वैल्यू बताती है कि स्थिति खतरे से बाहर है. 22 से कम वैल्यू होने पर मरीज को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत है. अगर वैल्यू 15 कम हो तो मरीज को ऑक्सीजन बेड की, अगर 10 से कम हो तो उसे आईसीयू बेड की जरूरत होगी.

क्या है सीटी वैल्यू का पैमाना

सीटी वैल्यू स्थिति
35 या कम पाजिटिव
23-39 खतरे बाहर की स्थिति
22 से कम एडमिट होने की जरूरत
15 से कम ऑक्सीजन बेड की जरूरत
10 से कम ICU बेड की जरूरत

क्या-क्या सावधानी बरतने की जरूरत?

कोरोना संक्रमण से बचने के लिए मास्क पहनना ही बचाव का पहला तरीका है. रिपोर्ट निगेटिव है तब भी मास्क लगाकर रहें.
किसी भी कोरोना संक्रमित के कॉन्टैक्ट में आने का पता चलने के बाद सातवें दिन टेस्ट कराएं. तब ही रिजल्ट बेहतर आएंगे.
अगर लक्षण हैं और पहली RTPCR निगेटिव आई है तो तीन दिन बाद दोबारा टेस्ट कराएं. कई बार दूसरी रिपोर्ट तक शरीर में वायरस का पता चल जाता है.