ऑक्सीजन कंसंट्रेटर केस: कोर्ट बोली- जब सरकार ने नहीं तय किए रेट तो गलती व्यापारी की कैसे?

ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की कालाबाजारी के मामले में आरोपी नवनीत कालरा की अग्रिम जमानत याचिका पर साकेत कोर्ट में सुनवाई चल रही है. नवनीत कालरा के वक़ील ने कहा कि ऑक्सीजन कंसंट्रेटर को पुलिस के कई अधिकारियों को भी मेरे द्वारा बेचा गया और पैसों का ट्रांसजेंक्शन हमारे पास मौजूद है, सब कुछ लीगल तरीक़े से किया गया.
नवनीत कालरा के वकील ने कहा कि कुछ भी ग़लत नहीं किया गया, लेक़िन मुझे आरोपी बना दिया गया, अगर सब कुछ लीगल तरीके से बेचा गया, तो फिर होर्डिंग या कालाबाज़ारी कैसे हुई? लुक आउट नोटिस जारी करने का क्या मतलब है.
सरकारी वक़ील ने कहा कि पूरा विश्व कोरोना महामारी से प्रभावित है और आरोपियों ने उसका फ़ायदा उठाते हुए ऑक्सीजन कंसंट्रटर मंहगे बेचने शुरू कर दिए, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर का रेट 10 से 20 हज़ार रुपये होता था, लेक़िन अभी की परिस्थितियों का फ़ायदा उठाकर इन्होंने इसे 70 हज़ार तक का बेचना शुरू कर दिया.
सरकारी वक़ील ने कहा कि चीन से इन्होंने घटिया ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मंगाए, जो काम भी ठीक से नहीं करते हैं. इस पर कोर्ट ने पूछा कि चीन से माल लाने की इजाज़त तो ख़ुद सरकार ने दी है, सरकार ने इस पर बैन क्यों नहीं लगाया? सरकार अगर चीन से सामान मांगती है तो वो सही होता है, लेक़िन अगर वही माल प्राइवेट कंपनी मांगती है, तो वो घटिया हो जाता है? ये कैसा तर्क है?
कोर्ट ने कहा कि सरकार के पास ऐसा कोई नियम ही नहीं है जो ये तय कर सके कि ऑक्सीजन कंसंट्रेटर का रेट क्या होगा. कोर्ट ने पूछा कि क्या आपके पास ऐसा कोई सबूत है, जिसमें जो आरोपियों ने 70 हज़ार का रेट तय किया था उससे ज़्यादा का बेचा हो? कोर्ट ने कहा कि आज 11 मई को भी सरकार की तरफ़ से कोई गाइडलाइंस या नोटिफिकेशन हो, जिसमें ऑक्सीजन कंसंट्रेटर के रेट तय किया गया हो.
कोर्ट ने कहा कि सरकार अगर ख़ुद ही कोई नियम ऑक्सीजन कंसंट्रेटर के रेट को रेगुलेट करने के लिए नहीं बना रही है तो फ़िर आप बिज़नेस मैन को कैसे टारगेट कर सकते हो, अगर बिजनेस मैन कुछ कमाने के लिए महामारी में कुछ कर रहा है तो वो अपराध की श्रेणी में कैसे आ सकता है, आप जबरन आतंक क्यों दिखाना चाहते हो, पुलिस क्या दिखाना चाहती है?कोर्ट ने कहा कि हम मीडिया में नहीं है, क्या हो रहा है समाज में ये दिखाना हमारा काम नहीं है, राज्य को अपने लोगों के लिए निष्पक्ष होना ज़रूरी है ,चाहे वो बिजनेसमैन ही क्यों नहीं हो, शराब भी महामारी में बेची जा रही है, क्योंकि उससे आर्थिक फ़ायदा होता है, लॉकडाउन में क्या बिज़नेस करना कोई अपराध है? मैं ये जानना चाहता हूं कि अगर कोई बिजनेसमैन बाहर से मांगकर कोई सामान देश में बेच रहा है तो ये क्या गलत है? कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार ने न तो ऑक्सीजन कंसंट्रेटर ख़ुद ख़रीद कर बाज़ार तक पहुंचाई, और जो लोग बेच रहे थे, उनको पकड़ लिया, अब वो लोग कहां जाए, जो 70 हज़ार रुपये देकर भी ऑक्सीजन कंसंट्रेटर ख़रीद कर अपने लोगों की जान बचाना चाहते थे.