आजमगढ़, 23 फरवरी 2022
गर्भावस्था के दौरान लिया गया पौष्टिक आहार और नियमित जांच नवजात के स्वस्थ जीवन की नींव तैयार करता है। साथ ही मां को भी स्वास्थ्य संबंधी कई जटिलताओं से बचाता है। पौष्टिक भोजन, नियमित समय पर वजन और स्वास्थ्य की जांच गर्भवती और नवजात की वृद्धि सुरक्षित प्रसव में सहायक है। यह कहना है मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आईएन तिवारी का।
डॉ तिवारी ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान बिना चेतावनी के खतरनाक दिक्कत खड़ी हो सकती है, इसलिए गर्भवती को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र या अस्पताल ले जाना चाहिए। ताकि वहाँ चिकित्सीय मदद से सुरक्षित प्रसव हो सके। जिससे जच्चा–बच्चा की जान जोखिम में पड़ने से बच जाए। उन्होने बताया की जिले में अप्रैल 2021 से अब 36574 प्रसव के साथ ही,उच्च जोखिम 3225 सुरक्षित संस्थागत प्रसव कराया गया है।
जिला महिला चिकित्सालय की मुख्य अधीक्षक एवं वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ मंजुला सिंह ने कहा की प्रत्येक गर्भधारण के दौरान स्वास्थ्य केंद्रों पर नियमित जांच की जरूरत होती है। गर्भावस्था के दौरान महिला का वजन लगभग 10-12 किलो बढ़ना चाहिए। स्वयं गर्भवती के महसूस करने पर पहली बार गर्भाधान की प्रथम तिमाही अथवा 12 सप्ताह से पहले स्वास्थ्य केन्द्र पर जाना चाहिए। जहां पर गर्भवती को स्वास्थ्य की जानकारी व नियमित चिकित्सा जांच व पोषण संबंधी जानकारी दी जाती है। गर्भावस्था के दौरान उचित देखभाल के साथ ही गर्भवती को दिनभर में कम से कम 5 बार खाने की जानकारी, जिसमें से तीन बार मुख्य भोजन और दो बार पौष्टिक नाश्ता होना चाहिए। प्रतिदिन के आहार में पोष्टिक भोजन शामिल करना चाहिए। गहरे रंग की हरी पत्तेदार सब्जी, विटामिन सी युक्त खाद्य पदार्थ, साबूत दालें और फलियां, अनाज जैसे बाजरा, ज्वार, रागी और दूध या दूध से बानी चीज़ें अवश्य ही खानी चाहिए। इसके साथ ही मौसमी फलों में आयरन, जिंक, कैल्शियम और विटामिन ए जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व मौजूद होते हैं। लाल आयरन (आईएफए) की गोलियों का सेवन गर्भावस्था के दौरान शरीर में आयरन की जरूरत पूरी करता है। आयरन की कमी से,चक्कर,समय से पहले प्रसव और जटिल प्रसव की संभावना बढ़ जाती हैI दूसरी और तीसरी तिमाही में प्रतिदिन एक आयरन (आईएफए) टैबलेट का सेवन करें। इसे बच्चे के जन्म के छह महीने बाद तक भी जारी रखें।
ध्यान रखने योग्य बातें- गर्भवती महिला को उपवास नहीं करना चाहिए। सब्जियों का सूप और जूस लेना चाहिए। बाजार में मिलने वाले रेडीमेड सूप व् जूस का उपयोग न करें। गर्भवती महिला को फास्टफूड या बाहर का खाना खाने से बचना चाहिए। साथ ही ज्यादा तला हुआ और मसालेदार खाने से भी परहेज करना चाहिए। दिन के समय कम से कम दो-तीन घंटे का आराम करना चाहिए और रात में 6 से 10 घंटे सोना चाहिए। इससे पल रहे शिशु के रक्त की आपूर्ति में वृद्धि होती है।