अमेठी। जिले के मोहनगंज थाने की महिला चौकी प्रभारी उपनिरीक्षक शुक्रवार दोपहर बाद सरकारी आवास में फंदे से लटकी मिलीं। आनन-फानन दरवाजा तोड़कर उन्हें सीएचसी पहुंचाया गया जहां चिकित्सकों ने दरोगा को मृत घोषित कर दिया। संदिग्ध हालात में महिला दरोगा की मौत से विभाग में हड़कंप मच गया। घटना की सूचना पर पहुंचे एसपी व एएसपी ने घटना स्थल का निरीक्षण किया। लखनऊ जिले के गोसाईगंज थानाक्षेत्र के मलौली गांव निवासी मुन्नालाल यादव की पुत्री रश्मि यादव का चयन 2017 में उपनिरीक्षक के पद पर हुआ था। प्रशिक्षण पूरा होने के बाद उपनिरीक्षक रश्मि यादव की 2018 में अमेठी जिले में तैनाती हुई थी। जगदीशपुर व गौरीगंज समेत कई थानों में तैनाती के बाद मार्च 2021 में उनका स्थानांतरण मोहनगंज हो गया। यहां रश्मि यादव को महिला हेल्प डेस्क प्रभारी के साथ महिला चौकी की भी जिम्मेदारी दी गई थी। रश्मि शुक्रवार को सीओ कार्यालय में अफसरों के साथ वार रूम की तैयारी में साथी अफसर व कर्मियों के साथ मौजूद थीं। वार रूम स्थगित होने के बाद करीब दो बजे रश्मि सरकारी आवास चली गईं।

अपराह्न तीन बजे एएसपी विनोद कुमार पांडेय का निरीक्षण होने की जानकारी देने के लिए कार्यालय में मौजूद मुंशी रश्मि को बुलाने के लिए कमरे पर गया। काफी देर तक आवास का दरवाजा खटखटाने के साथ आवाज लगाई लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। मुंशी ने रश्मि के मोबाइल पर कई बार फोन भी किया लेकिन फोन रिसीव नहीं हुआ। इसके बाद मुंशी ने पूरे मामले की जानकारी प्रभारी निरीक्षक अमर सिंह को दी। सूचना मिलते ही प्रभारी निरीक्षक साथी पुलिस कर्मियों के साथ उनके कमरे पर पहुंचे और दरवाजा तोड़ा तो रश्मि को कमरे में लगे पंखा के सहारे फंदे से लटकता देख सबके होश उड़ गये। आनन-फानन रश्मि को नीचे उतारकर सीएचसी पहुंचाया गया जहां चिकित्सकों ने उपनिरीक्षक को मृत घोषित कर दिया।

सूचना पर थाने पहुंचे एसपी दिनेश सिंह व एएसपी ने घटना स्थल का निरीक्षण करते हुए साथी कर्मियों ने जानकारी ली। एसपी के निर्देश पर पहुंची फोरेंसिक टीम ने घटना स्थल से साक्ष्य संकलित किया तो पुलिस पूरे प्रकरण की जांच में जुटी है। बेटी दरोगा के मौत की सूचना पर पहुंचे पिता व भाई का अस्पताल में रो-रोकर बुरा हाल है। परिजनों के आने के बाद पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया। उपनिरीक्षक रश्मि यादव की मौत की सूचना पर किसी को भरोसा नहीं हो रहा था। मिलनसार रश्मि यादव जिले में अपनी तेज कार्यशैली के लिए भी मशहूर थीं। अपराध नियंत्रण की बात हो या महिला उत्पीड़न से जुड़े मामले सभी को निस्तारित करने में रश्मि यादव पूरे मनोयोग से काम करती थीं। कोविड संक्रमण काल में गौरीगंज में तैनाती के दौरान न सिर्फ रश्मि ने नियमों का पालन कराया बल्कि जरूरतमंदों को भोजन कराने के साथ उन्हें गंतव्य तक भेजने में अपेक्षित सहयोग भी किया था।

उपनिरीक्षक की मौत की सूचना पर लोगों में गम का माहौल है। रश्मि यादव के आत्महत्या की बात समझ में नहीं आ रही है। मिशन शक्ति में रश्मि जिले में महिलाओं व बालिकाओं को विपरीत परिस्थितियों में डरने नहीं बल्कि मुकाबला करने की सीख देती थीं। ऐसे में रश्मि के आत्महत्या करने की थ्यौरी किसी के गले नहीं उतर रही है। एसपी दिनेश सिंह ने बताया कि उपनिरीक्षक रश्मि काफी मिलनसार और काबिल दरोगा थी। शुक्रवार को उनका शव कमरे में फंदे से लटका मिलने व अस्पताल में मौत की पुष्टि के बाद पूरे प्रकरण की विस्तृत जांच की जा रही है। कमरे की जांच फोरेंसिक टीम व थाने की पुलिस परिजनों की मौजूदगी में कर रही है। मौके पर अब तक कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है। सभी तथ्यों की जांच व पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के बाद ही मौत के सही कारणों का पता चल सकेगा।

उपनिरीक्षक रश्मि यादव के मौत की सूचना पर पहुंचे पिता मुन्ना लाल यादव ने कहा कि तीन दिन पहले रश्मि अवकाश से ड्यूटी पर थाने आई थी। परिवारिक या निजी परेशानी जैसा कोई मामला नहीं था। थाने के काम से कुछ परेशान जरूर थी। घर में रश्मि ने कहा था कि उसका स्थानांतरण हो जाए तो अच्छा होगा। बृहस्पतिवार को रश्मि ने फोन पर मोहनगंज से पुलिस कार्यालय के वन स्टॉप सेंटर सेल में स्थानांतरण होने की बात बताते हुए खुशी भी जाहिर की थी। शुक्रवार को उनकी बात नहीं हुई थी। दोपहर बाद रश्मि के मौत की सूचना मिली। मौके पर पहुंचने के बाद मीडिया से बात करते हुए पिता मुन्ना लाल यादव ने रश्मि की हत्या की आंशका जाहिर करते हुए कहा कई लोग बता रहे हैं कि हत्या हुई है।