आजमगढ़ : दीमक एवं जड़ की सूड़ी, खैरा रोग तथा जीवाणु झुलसा एवं जीवाणु धारी रोग लग सकता है, किसान भाई ऐसे पायें छूटकारा

प्रेस नोट
आजमगढ़ 02 सितम्बर– उप कृषि निदेशक (प्रभारी कृषि रक्षा) आजमगढ़ श्री थान सिंह गौतम ने अवगत कराया है कि वर्तमान समय में धान की फसल में कीट/रोग लगने की संभावना बढ़ गयी है। जिनमें प्रमुख रूप से पत्ती लपेटक कीट, तना छेदक कीट, दीमक एवं जड़ की सूड़ी, खैरा रोग तथा जीवाणु झुलसा एवं जीवाणु धारी रोग लग सकता है। किसान भाई अपनी फसलों की नियमित रुप से निगरानी करते रहें, अति आवश्यक होने पर ही रसायनों का प्रयोग करें।
उन्होने बताया कि पत्ती लपेटक कीट के नियंत्रण के लिए क्लोरपायरीफास 20 प्रतिशत ई0सी0 2 ली0 या क्यूनालफास 25 प्रतिशत ई0सी0 की 1.25 ली0 मात्रा को 500-600 ली0 पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर फसल पर छिड़काव करें। तना छेदक कीट के नियंत्रण के लिये कार्बोफ्यूरान 3 प्रतिशत जी0 अथवा कारटाप हाइड्रोक्लोराइड 4 प्रतिशत जी0 में से किसी एक की 20 कि0ग्रा0 दानेदार मात्रा को 3 से 5 सें0मी0 स्थिर पानी में प्रति हे0 की दर से प्रयोग करें। दीमक एवं जड़ की सूड़ी के नियंत्रण हेतु क्लोरपाइरीफास 20 प्रतिशत ई0सी0 की 2.5 लीटर मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से सिंचाई के पानी के साथ प्रयोग करें।
खैरा रोग के नियंत्रण हेतु 5 कि0ग्रा0 जिंक सल्फेट को 20 कि0ग्रा0 यूरिया अथवां 2.5 कि0ग्रा0 बुझे हुए चूने को प्रति हे0 की दर से 1000 ली0 पानी में घोलकर छिडकाव करना चाहिए। जीवाणु झुलसा एवं जीवाणुधारी रोग के नियंत्रण हेतु स्यूडोमोनास फ्लोरिसेन्स 2 प्रतिशत ए0एस0 2 ली0 प्रति हे0 की दर से अथवा स्ट्रेप्टोमाईसिन सल्फेट 90 प्रतिशत+ टेट्रासाइक्लिन हाईड्रोक्लोराइड 10 प्रतिशत की 15 ग्रा0 मात्रा को 500 ग्रा0 कापर आक्सीक्लोराइड 50 प्रतिशत डब्ल्यू0 पी0 के साथ मिला कर 500 से 700 ली0 पानी में घोलकर प्रति हे0 की दर से छिड़काव करना चाहिए।
फसल सुरक्षा की अधिक जानकारी अथवा अन्य किसी समस्या के समाधान हेतु किसान भाई अपने विकास खण्ड स्थित कृषि रक्षा इकाई के प्रभारी या उप कृषि निदेशक (प्रभारी कृषि रक्षा) आजमगढ़ कार्यालय के तकनीकी सहायक अनिल कुमार से मो0नं0-9691579152 पर संपर्क कर सकते हैं।

—-जि0सू0का0 आजमगढ़-02-09-2021—–