गर्भावस्था के समय बरतें सावधानी, रहें सतर्क – डॉ धनंजय

हल्का बुखार तथा सुस्ती के लक्षण नजर आने पर कराएं टीबी की जांच
आजमगढ़, 9 सितम्बर 2022 ।
गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिला को कई तरह की समस्या का जोखिम बना रहता है| जिसका असर भ्रूण पर भी पड़ सकता है। ऐसे में अगर किसी गर्भवती को ट्यूबरकुलोसिस (टीबी) यानि तपेदिक रोग हो जाए, तो यह चिंता का विषय बन सकता है| गर्भवती को गर्भावस्था के समय अपने शरीर में हो रहे हर छोटी – बड़ी समस्याओं के प्रति सचेत रहने की जरूरत है| यह कहना है जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ परवेज अख्तर का|
डॉ अख्तर ने बताया कि ट्यूबरकुलोसिस बीमारी माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक बैक्टीरिया से होती है| जो आमतौर पर लंग्स यानि फेफड़ों को नुकसान पहुंचाती है| इस रोग का असर धीरे-धीरे शरीर के अन्य हिस्सों पर पड़ने लगता हैं| गर्भावस्था के दौरान टीबी हो जाने पर तुरंत इलाज करवाना बेहद जरूरी है| ऐसा न करने से टीबी का असर गर्भवती के साथ ही होने वाले शिशु पर भी पड़ सकता है, जो शिशु को नुकसान पहुंचा सकता है| गर्भवस्था के समय माँ से टीबी की बीमारी, शिशु को पहुंच सकती है|
गांव बिलेरियागंज की 23 वर्षीय जरीना ने बताया कि गर्भावस्था के दूसरे महीने में कुछ खाने पीने की इच्छा नहीं होती थी। ऐसा लगा कि ऐसा गर्भावस्था के दौरान होता है लेकिन कुछ दिन बाद से हल्का बुखार होने लगा। तीसरे माह की 6 मई 2022 को जांच के लिए गई,डॉक्टर को इसकी जानकारी दी। पीएचसी पर ही मेरे बलगम की जांच हुई। इसमें टीबी के लक्षण मिले। डॉक्टर ने तुरंत ही टीबी की दवा शुरू कर दी। खाने पीने और साफ सफाई पर विशेष ध्यान देने के लिए समझाया। मैं डॉक्टर के बताए अनुसार समय पर दवा खाती थी। पोष्टिक भोजन पर ध्यान दिया आज मैं और बच्चा दोनों बिलकुल स्वस्थ हैं।
कोल्हूखोर ब्लॉक के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ धनंजय पांडे का कहना हैं कि गर्भावस्था में ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) की जांच करने के लिए नि:शुल्क सुविधा दी जाती है |इनकी मदद से टीबी होने की जानकारी मिल सकती है। अगर इन जांचों के बाद गर्भवती महिला में टीबी का पता चल जाता है, तो इलाज में देरी नहीं करनी चाहिए | पीएचसी पर जनवरी 2022 से अब तक कुल सात मरीजों का सफल व सुरक्षित इलाज किया जा चुका है।
गर्भावस्था के समय अगर दिखाई दें ऐसे लक्षण –
• दो हफ्ते से ज्यादा खांसी होना
• रात में पसीना आना
• वजन कम होना
• प्रेगनेंसी में सीने में दर्द या सांस की तकलीफ
• गर्भावस्था में बुखार आना
• बहुत थकान या बेचैनी होना
डॉ धनंजय पांडे ने कहा कि नवजात में कई लक्षण देखे जा सकते हैं जैसे –
• जन्म के समय शिशु का वजन कम होना
• टीबी के कारण शिशु का समय से पहले जन्म
• शिशु को जन्म के समय टीबी इंफेक्शन से संक्रमित होना
• जन्मजात लीवर और श्वसन की समस्या
• गर्भनाल से टीबी इंफेक्शन होना
• हेपेटोसप्लेनोमेगाली यानी लीवर और स्प्लीन संबंधी समस्या
• टीबी के कारण नवजात शिशु को बुखार होना
• रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होना
डॉ धनंजय ने बताया कि टीबी में अक्सर विटामिन ए, विटामिन सी और विटामिन बी कांपलेक्स की कमी देखी जाती है| इसलिए टीबी को ठीक करने के लिए इनके स्तर को सामान्य स्तर पर लाना बहुत आवश्यक होता है| जिसके लिए फल जैसे अमरूद और आंवला को खाकर आप इन विटामिनों की कमी को पूरा कर सकते हैं, क्योंकि इनमें विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट मौजूद होते हैं
साबुत अनाज में विटामिन बी कॉम्प्लेक्स और फाइबर मौजूद होते हैं, जो आपको उर्जा प्रदान करते हैं। इससे आपको टीबी के दौरान होने वाली सुस्ती और थकान से राहत मिलती है। इसलिए स्वस्थ और संतुलित आहार खाने में शामिल करें |जिससे टीबी को कम समय में ठीक कर सकते हैं।
फल- टीबी के संक्रमित व्यक्ति को फलों में अमरूद, सेब, संतरा, नींबू, आंवला, आम जैसे फल खाने चाहिए|इन फलों में विटामिन ए, ई और विटामिन “सी” काफी होता है. इसके अलावा इन फलों में कई दूसरे पोषक तत्व भी मौजूद होते हैं, जो शरीर को मजबूत बनाते हैं|