आजमगढ़ : संस्कृत के महाकवि वाल्मीकि जयंती के मौके पर एक साहित्यिक गोष्ठी का किया गया आयोजन

आजमगढ़। लोक मनीषा परिषद् के तत्वावधान में रविवार को दोपहर एक बजे नगर के हरवंशपुर स्थित परिषद् कार्यालय पर संस्कृत के महाकवि वाल्मीकि जयंती के मौके पर एक साहित्यिक गोष्ठी का आयोजन किया गया। अध्यक्षता आचार्य पंडित देवकी नन्दन शुक्ल व संचालन परिषद् के अध्यक्ष जन्मेजय पाठक ने किया।
कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ रामायण ग्रंथ व मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलित व माल्यार्पण कर किया गया। इस अवसर पर कुमार जागृति एवं अभिनव द्वारा सरस्वती व ग्रंथ की वन्दना गीत प्रस्तुत किया। विद्यार्थी दिगंत शर्मा ने मंगलाचारण पूरित कर कार्यक्रम की शुरूआत किया।
जयंती को संबोधित करते हुए आचार्य देवकीनन्दन शुक्ल ने कहाकि यायावरीकर्म के लोक धर्मानुरागी महर्षि वाल्मीकि ने मानव जीवन में अनन्त घटना प्रवाहों के उत्थान-पतन की कथा का परम्परागत स्मरण मैथुनरत क्रौन्च पक्षी के घायल होकर गिरता देख शोक व करूण से आप्लावित होकर तटस्थ समीक्षा के उपरांत काव्य के माध्यम से पारिवारिक सामाजिक राष्ट्रीय जीवन को त्रिकालजयी बनाकर भावी समाज को सौंपा। जो अब तक के समाज के लिए अनुकरणीय बना हुआ है।
लोक मनीषा परिषद् के अध्यक्ष पंडित जनमेजय पाठक ने कहाकि तब की परिस्थितियां औचित्य व संस्कारी सुसपनों की कल्पनाओं में आदि काल से चली आ रही तांत्रिक व्यवस्थात्मक समाज के विरूद्ध होकर मानवता के लिए आत्मचेता, महान उद्यमी, धैर्यशील एवं दृढ़प्रतिज्ञ मानव रूपी राम को ही शीर्षस्थान देकर सर्वग्राही समाज की स्थापना को प्रदर्शित कर दिखाया।
इस अवसर पर देवीशंकर सिंह ने कहाकि महाकवि वाल्मीकि के निर्मित समाज ने भारतीय जीवन शैली को उचितकृत करके विश्वगुरू का स्थान प्रदान कराया।
गोष्ठी को प्रभातरंजन राय एवं शशिशेखर चौहान ने भी संबोधित किया। गोष्ठी का समापन अध्यक्ष देवकीनन्दन द्वारा किया गया।
इस अवसर पर भरतु यादव, रामचेत विश्वकर्मा, प्रह्लाद सोनकर, ऋषिकेश सिंह, अमिताभ, शिवशेखर सहित आदि श्रोता मौजूद रहे।