नई दिल्ली : मां के इलाज के दौरान अस्पताल में शुरु हुई थी प्रेम कहानी, पत्नी साधना के निधन के तीन महीने बाद दुनिया छोड़ गए मुलायम
नई दिल्ली। समाजवादी पार्टी के संस्थापक व यूपी पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का सोमवार 82 साल की उम्र में निधन हो गया. मुलायम सिंह लंबे समय से बीमार चल रहे थे. गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था. यूं तो मुलायम की तबियत पिछले दो साल से ज्यादा खराब थी, लेकिन नौ जुलाई को दूसरी पत्नी साधना गुप्ता के निधन के बाद वह ज्यादा टूट गए थे. पत्नी की मौत के तीन महीने के अंदर ही मुलायम सिंह ने भी दुनिया को अलविदा कह दिया. इसी साल नौ जुलाई मेदांता अस्पताल में मुलायम सिंह यादव की पत्नी का भी निधन हुआ था. उनके निधन के एक महीने बाद ही मुलायम सिंह की तबियत ज्यादा खराब हो गई. 22 अगस्त को उन्हें मेदांता में भर्ती कराया गया. तब से उनका इलाज यहां चल रहा था. दो अक्तूबर को हालात ज्यादा खराब होने के बाद उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया. लगातार उनकी हालत खराब हो रही थी. रक्तचाप सामान्य नहीं हो रहा था. आठ दिन तक वेंटिलेटर पर रहने के बाद सोमवार को उन्होंने अंतिम सांस ली.
नौ जुलाई को साधना गुप्ता का गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल निधन हुआ था। एक जुलाई को ही साधना गुप्ता ब्लड प्रेशर, शुगर और फेफड़े के संक्रमण सहित अन्य बीमारियों की वजह से अस्पताल में भर्ती कराया गया था. 10 जुलाई को लखनऊ के पिपराघाट पर साधना गुप्ता का अंतिम संस्कार हुआ था. उनके बेटे प्रतीक यादव ने मुखाग्नि दी.साधना की शादी 4 जुलाई साल 1986 को फर्रुखाबाद के व्यापारी चंद्रप्रकाश गुप्ता से हुई थी. इसके एक साल बाद 7 जुलाई साल 1987 को उन्होंने बेटे प्रतीक यादव को जन्म दिया. प्रतीक के जन्म के करीब दो साल बाद साधना और चंद्रप्रकाश अलग हो गए. दोनों का तलाक हो गया. पहले पति चंद्र प्रकाश गुप्ता से अलग होने के बाद साधना गुप्ता ने राजनीति में कदम रखा. वह पार्टी की कार्यकर्ता थीं. इस दौरान उनकी मुलाकात मुलायम सिंह यादव से होने लगी. दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ने लगीं.
अखिलेश यादव की बायोग्राफी बदलाव की लहर में मुलायम सिंह और साधना के रिश्ते का भी जिक्र है. इस किताब में बताया गया है कि मुलायम की मां मूर्ती देवी अक्सर बीमार रहती थीं. उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था. तब साधना गुप्ता मूर्ति देवी की देखभाल करती थीं. एक बार सैफई मेडिकल कॉलेज में एक नर्स गलत इंजेक्शन लगाने जा रही थी, उस वक्त साधना ने ही नर्स को रोका था. दरअसल, साधना भी नर्स रही थीं. उन्होंने नर्सिंग का कोर्स करने के बाद उन्होंने कुछ दिनों तक नर्सिंग होम में काम भी किया था. जब ये बात मुलायम को मालूम हुई तो वह साधना से काफी प्रभावित हुए. अस्पताल में ही दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ गईं.
शुरुआत में अमर सिंह इकलौते ऐसे शख्स थे जो जानते थे कि मुलायम को प्यार हो गया है. उन्होंने किसी से कहा नहीं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, साल 1988 में पहली बार मुलायम ने अखिलेश को साधना गुप्ता से मिलवाया. तब वो 15 साल के थे. कहा जाता है कि उस वक्त अखिलेश को साधना अच्छी नहीं लगीं. एक बार तो साधना ने उन्हें थप्पड़ मार दिया. इसके कुछ समय बाद मुलायम ने अखिलेश को पढ़ाई के लिए राजस्थान के धौलपुर स्थिति मिलिट्री स्कूल भेज दिया. 1987 में पति से अलग होने के बाद साधना मुलायम की जिंदगी में आईं. दोनों की मुलाकात बढ़ती गई और प्यार भी. इस बीच, साधना मुलायम के लिए लकी साबित हुईं. 1989 में मुलायम यूपी के मुख्यमंत्री बन गए. साल 2003 में मुलायम सिंह यादव ने सार्वजनिक तौर पर पहली बार साधना गुप्ता को अपनी पत्नी का दर्जा दिया. उसी साल मुलायम की पहली पत्नी और अखिलेश यादव की मां मालती देवी का निधन हुआ था.
साधना गुप्ता को पत्नी स्वीकार करने पर अखिलेश यादव अपने पिता से काफी नाराज हुए थे. कहा जाता है कि तब समझौता हुआ था कि साधना के बेटे प्रतीक यादव राजनीति से दूर रहेंगे. साधना भी राजनीति से दूर ही रहीं. हालांकि, बाद में साधना गुप्ता की बहू और प्रतीक की पत्नी अपर्णा यादव ने जरूर राजनीति में कदम रखा. अपर्णा विधानसभा का चुनाव भी लड़ चुकी हैं. अपर्णा फिलहाल भाजपा में हैं. यूं तो मुलायम सिंह यादव लंबे समय से बीमार चल रहे थे, लेकिन नौ जुलाई को दूसरी पत्नी साधना की मौत के बाद वह बिल्कुल टूट गए. इसके बाद वह ज्यादा बीमार रहने लगे. तीन महीने बाद ही मुलायम सिंह यादव ने भी दुनिया को अलविदा कह दिया.